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हत्या के मामले में सात आरोपितों को मिली उम्रकैद की सजा, चार साल पहले घटना को दिया था अंजाम

जामताड़ा में गुरुवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश तृतीय देवेश कुमार त्रिपाठी ने अंतिम सुनवाई के बाद सात आरोपितों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इन सभी ने तीन अगस्त 2020 को करमाटांड़ थाना क्षेत्र के कासीटांड़ गांव में एक हत्‍याकांड को अंजाम दिया था। अदालत ने सभी आरोपितों को धारा 302 के तहत आजीवन कारावास और 10000 रुपये के अर्थदंड की सजा मुकर्रर की है।

By Sufiyan Md Edited By: Arijita Sen Published: Thu, 29 Feb 2024 05:30 PM (IST)Updated: Thu, 29 Feb 2024 05:30 PM (IST)
हत्या के मामले में सात आरोपितों को आजीवन कारावास

संवाद सूत्र, जामताड़ा। हत्या के एक मामले में अंतिम सुनवाई के पश्चात गुरुवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश तृतीय देवेश कुमार त्रिपाठी ने अंतिम सुनवाई के पश्चात सात आरोपितों को आजीवन कारावास की सजा मुकर्रर की है।

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चार साल पहले हत्‍याकांड को दिया अंजाम

घटना के संदर्भ में अपर लोक अभियोजक धनंजय देव पांडे ने बताया है कि तीन अगस्त 2020 को करमाटांड़ थाना क्षेत्र के कासीटांड़ गांव के विनोद मंडल और सयाकुल अंसारी, गोनोटर गांव के महेंद्र मंडल के घर सब्जी की खरीदारी करने गए थे।

वहां पहुंचकर घर वाले ने बताया कि महेंद्र मंडल शराब पीने के लिए गया है। एक घंटे तक इंतजार करने के बाद महेंद्र मंडल, नारायण सिंह, मुन्ना सिंह, चुन्ना सिंह, सदानंद सिंह, गुड्डू सिंह और योगेंद्र सिंह लाठी डंडे से लैस होकर आए और विनोद मंडल और सियाकुल अंसारी के साथ मारपीट करने लगे।

करमाटांड़ थाने में दर्ज कराया गया मामला

गंभीर रूप से घायल करने के बाद रात के समय आरोपियों ने सूचक विनोद मंडल और सियाकुल अंसारी को तीन नंबर बागान के कुआं में फेंक दिए। रात्रि के समय अंधेरा होने के कारण किसी तरह विनोद मंडल कुआं से निकलकर सामने के झाड़ियों की ओट में रातभर छिपा रहा।

सुबह ग्रामीणों ने घायल अवस्था में देखकर उसे अस्पताल पहुंचाया। उसकी निशानदेही पर सियाकुल अंसारी को मृत अवस्था में कुआं से निकला गया। विनोद मंडल ने इस संबंध में करमाटांड़ थाने में मामला दर्ज कराया गया।

10 गवाहों के लिए गए बयान

उक्त मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से 10 गवाह का बयान दर्ज कराया गया। अदालत ने सभी आरोपितों को धारा 302 के तहत आजीवन कारावास और 10000 रुपये के अर्थदंड की सजा मुकर्रर की है।

अर्थदंड नहीं देने पर छह माह अतिरिक्त सजा भुगतना होगा। वही धारा 307 में 10 साल की कठोर कारावास और 10000 रुपये अर्थदंड की सजा मुकर्रर की है।

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