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Vat Savitri Vrat 2021: अखंड सुहाग की कामना संग वट-सावित्री की पूजा, ये है मान्यता

वट सावित्री पूजा गुरुवार को पूरे कोल्हान में श्रद्धाभाव से की जा रही है। इसको लेकर तैयारियां बुधवार को ही पूरी कर ली गई थी। वट सावित्री पूजा सुहागिनें करती हैं। अखंड सुहाग की कामना के लिए मनाए जाने वाले व्रत को लेकर सुहागिनों में काफी उत्साह देखा गया।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 10 Jun 2021 05:46 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jun 2021 05:46 PM (IST)
चाइबासा में वट सावित्री पूजा करती सुहागिनें। जागरण

जमशेदपुर, जासं। वट सावित्री पूजा गुरुवार को पूरे कोल्हान में श्रद्धाभाव से की जा रही है। इसको लेकर तैयारियां बुधवार को ही पूरी कर ली गई थी। वट सावित्री पूजा सुहागिनें करती हैं। अखंड सुहाग की कामना के लिए मनाए जाने वाले व्रत को लेकर सुहागिनों में काफी उत्साह देखा गया। हालांकि, कोरोना के कारण उतनी स्वतंत्रता नहीं है। 

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सुहागिन गुरुवार की सुबह स्नान ध्यान कर पूजा की थालियों के साथ नजदीकी बरगद के पेड़ के समीप पहुंची और वट सावित्री की पूजा-अर्चना की। बुधवार को पूजन सामग्री की खरीदारी को लेकर दुकानों में खूब भीड़ रही थी। पूजन सामग्री के साथ-साथ पंखों की बिक्री भी खूब रही। पूजन सामग्रियों की खरीदारी के लिए सुबह से ही दुकानों पर भीड़ जुटने लगी थी। दोपहर के दो बजे तक पूजन सामग्री का क्रय कर ली थीं। चूंकि आंशिक लाकडाउन की वजह से दुकानें दो बजे तक ही खुली हुई थी। सुहागिनों ने बताया कि वट सावित्री की पूजा से पति की आयु लंबी होती है। उन्होंने कहा कि पति की आयु लंबी हो, इसी धारणा के साथ इसकी पूजा की जाती है। पूजा को लेकर बरगद के पेड़ों के आसपास साफ-सफाई की गइ ताकि पूजा करने के लिए आने वाली सुहागिनों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो।

ये है मान्यता

बरगद के वृक्ष की पूजा कर महिलाएं देवी सावित्री के त्याग, पति प्रेम एवं पति व्रत धर्म का स्मरण करती हैं। उन्होंने कहा कि मान्यता है कि वट वृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु एवं डालियों में त्रिनेत्रधारी शिव का निवास होता है। इसलिए इस वृक्ष की पूजा से सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती है।

वट सावित्री व्रत पूजन सामग्री

बांस की लकड़ी से बना बेना (पंखा), अक्षत, हल्दी, अगरबत्ती या धूपबत्ती, लाल-पीले रंग का कलावा, सोलह श्रंगार, तांबे के लोटे में पानी, पूजा के लिए सिंदूर और लाल रंग का वस्त्र पूजा में बिछाने के लिए, पांच प्रकार के फल, बरगद पेड़ और पकवान आदि।


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