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Hasya Kavi Sammelan: चीनी को जमाकर गन्ना बना दूं’ पुस्तक लिख रहे शंभू शिखर

‘चीनी को जमाकर गन्ना बना दूं...’ शंभू शिखर की सर्वाधिक चर्चित पंक्तियां हैं जिसके सहारे कई लतीफे सुना देते हैं। मधुबनी में जन्मे व दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर के बाद गजल से अपने कॅरियर की शुरूआत की थी।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 03 Oct 2021 04:55 PM (IST)Updated: Sun, 03 Oct 2021 04:55 PM (IST)
अग्रवाल समाज फाउंडेशन ने शनिवार को अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया

जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। कवि शंभू शिखर ना केवल मंच पर धमाल मचा रहे हैं, बल्कि किताबें भी लिख रहे हैं। उनकी ताजा किताब ‘चीनी को जमाकर गन्ना बना दूं’ शीर्षक से है, जो 2022 में प्रकाशित होगी। दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने बताया कि इससे पहले उनकी दो किताब आ चुकी है, जिसमें ‘सिलवटों की महक’ (2014) गजल संग्रह और ‘संन्यासी योद्धा’ (2017) स्वामी विवेकानंद पर आधारित है।

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ज्ञात हो कि ‘चीनी को जमाकर गन्ना बना दूं...’ शंभू शिखर की सर्वाधिक चर्चित पंक्तियां हैं, जिसके सहारे कई लतीफे सुना देते हैं। मधुबनी में जन्मे व दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर के बाद गजल से अपने कॅरियर की शुरूआत की थी। करीब 20 वर्ष की यात्रा में 21 देशों में अपनी धाक जमा चुके हैं।

हम श्रम नायक हैं भारत के...हम धरती पुत्र बिहारी हैं...

अग्रसेन जयंती समारोह की कड़ी में अग्रवाल समाज फाउंडेशन ने शनिवार को अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें देश के नामचीन कवि अरुण जेमिनी, सुदीप भोला, शंभू शिखर, गजेंद्र चौहान व कवयित्री योगिता चौहान ने अपनी रचनाओं से खूब गुदगुदाया।  कवि सम्मेलन का मंच संचालन गजेन्द्र चौहान ने किया, जबकि इसमें अरुण जैमिनी ने हरियाणवी में एक से बढ़कर एक रचनाएं सुनाईं, जबकि सुदीप भोला अप्रत्यक्ष रूप से राहुल बाबा कहकर खूब चुटकी ली। गजेंद्र चौहान वीर रस के साथ सामाजिक संबंधों और योगिता चौहान ने श्रृंगार रस के साथ शहरवासियों को गदगद कर दिया।

अंतिम दौर में शंभू शिखर ने

‘हम श्रमनायक हैं भारत के और मेधा के अवतारी हैं

हम सौ पर भारी एक पड़ें, हम धरतीपुत्र बिहारी हैं

वेदों के कितने बंद रचे, हमने गायत्री छंद रचे

साहित्य सरित की धारा में कितने ही काव्य प्रबंध रचे

हम दिनकर, रेणु, विद्यापति और भिखारी हैं

हम धरतीपुत्र बिहारी हैं , हम धरतीपुत्र बिहारी हैं

सत्ता जब मद में चूर हुई, हम जयप्रकाश बन कर डोले

सिंहासन खाली करो कि जनता आती है.. दिनकर बोले

हम सिखों के दशमेश गुरु, बिरसा मुंडा अवतारी हैं

हम धरतीपुत्र बिहारी हैं, हम धरतीपुत्र बिहारी हैं...’ से खूब तालियां बटोरीं।

उन्होंने मारवाड़ी समाज की तारीफ में कहा कि ये जहां रहते हैं और कमाते हैं, उसी इलाके को समृद्ध करते हैं, राजस्थान नहीं भेजते हैं। चौथी बार जमशेदपुर आए शंभू ने झारखंड की सुंदरता व आजादी की लड़ाई में योगदान पर भी कविता सुनाई।

 अरुण जेमिनी की पंक्तियां

चीज़ों में कुछ चीज़ें

बातों में कुछ बातें वो होंगी

जिन्हें कभी देख नहीं पाओगे

इक्कीसवीं सदी में

ढूंढते रह जाओगे

आंखों में पानी

दादी की कहानी

परोपकारी बंदे

और अर्थी को कंधे

ढूंढते रह जाओगे

बच्चों में बचपन

जवानों में यौवन

शीशों में दरपन

जीवन में सावन

गांव में अखाड़ा

शहर में सिंघाड़ा

टेबल की जगह पहाड़ा

और पायजामे में नाड़ा

ढूंढते रह जाओगे

योगिता चौहान

पायल की छन छन ना हो

दानव संहार जरूरी है

बेटी बेटियां जिसने लूटी

उठो उनका संहार करो

चूड़ी वाले हाथों में तलवार जरूरी है़...

बन्ना ने सुनाई कविता ‘मन तो मेरा भी करता है झूमूं नाचूं गाऊं...’

अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन का उद्घाटन झारखंड सरकार के स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन व उपभोक्ता मामले विभाग मंत्री बन्ना गुप्ता ने अपनी पत्नी सुधा गुप्ता के साथ किया। बन्ना ने अपने संबोधन में हरिओम पवार की कविता सुनाई...

मन तो मेरा भी करता है झूमूं , नाचूं, गाऊं मैं

आजादी की स्वर्ण-जयंती वाले गीत सुनाऊं मैं

लेकिन सरगम वाला वातावरण कहां से लाऊं मैं

मेघ-मल्हारों वाला अंत:करण कहां से लाऊं मैं

मैं दामन में दर्द तुम्हारे, अपने लेकर बैठा हूं

आजादी के टूटे-फूटे सपने लेकर बैठा हूं

घाव जिन्होंने भारत माता को गहरे दे रक्खे हैं

उन लोगों को जेड सुरक्षा के पहरे दे रक्खे हैं

जो भारत को बरबादी की हद तक लाने वाले हैं

वे ही स्वर्ण-जयंती का पैगाम सुनाने वाले हैं

इनकी उपस्थिति रही उल्लेखनीय

स्वागत सत्र का संचालन कमल किशोर अग्रवाल ने किया, जबकि इस दौरान अग्रवाल समाज फाउंडेशन के अध्यक्ष नीलेश राजगढि़या व श्री अग्रसेन महिला क्लब की अध्यक्ष सुनीता अग्रवाल, सिंहभूम चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के पूर्व अध्यक्ष अशोक भालोटिया, गोविंद दोदराजका, अरुण बाकरेवाल, मुकेश मित्तल, पीयूष गोयल, संदीप मुरारका, संदीप बरवालिया, बिमल अग्रवाल, रेशु बरवालिया, अश्विनी अग्रवाल, हर्ष बाकरेवाल, अशोक अग्रवाल, संतोष छापोलिया, नरेश मोदी, बालमुकुंद गोयल, कल्याणी कबीर, राजेंद्र अग्रवाल, संजय कसेरा, विजय खेमका, अश्विनी अग्रवाल, अमर गनेरीवाल, मनोज पुरिया, आशीष अग्रवाल, श्याम अग्रवाल, रंजू अग्रवाल, नीलम गनेरीवाला, पूनम बजाज, मंजू अग्रवाल, उषा अग्रवाल, सोनी पोद्दार समेत मारवाड़ी समाज के कई लोग उपस्थित थे।


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