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ड्यूटी को लेकर विवाद, एमजीएम अस्पताल में भिड़े दो सीनियर डॉक्टर

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सचिव सह एनेस्थेसिया रोग विशेषज्ञ डॉ. मृत्युंजय सिंह भी पहुंच गए और बीच-बचाव किया।

By Sachin MishraEdited By: Published: Thu, 08 Feb 2018 12:19 PM (IST)Updated: Thu, 08 Feb 2018 02:25 PM (IST)
ड्यूटी को लेकर विवाद, एमजीएम अस्पताल में भिड़े दो सीनियर डॉक्टर
ड्यूटी को लेकर विवाद, एमजीएम अस्पताल में भिड़े दो सीनियर डॉक्टर

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल उस समय अखाड़ा बन गया, जब दो सीनियर डॉक्टर आपस में ही भिड़ गए। दोनों एनेस्थेसिया विभाग में प्रशिक्षण लेने के लिए आए हुए हैं। घटना मंगलवार की दोपहर करीब साढ़े 12 बजे की है। हड्डी रोग विभाग के ऑपरेशन थियेटर के बाहर वाले रूम में जामताड़ा के डॉक्टर राजदेव व डालटनगंज से आए हुए डॉक्टर हरिओम बैठे हुए थे।

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तभी ड्यूटी को लेकर दोनों के बीच विवाद होने लगा। मामला मारपीट तक जा पहुंचा। इससे पूरे वार्ड में अफरा-तफरी मच गई। मौके पर तैनात दूसरे डॉक्टर व नर्सों ने बीच-बचाव करने की कोशिश की। इस दौरान उन्हें भी चोटें आई हैं। आवाज सुनकर सुरक्षाकर्मी भी पहुंच गए और मामले को शांत कराया। इस बीच, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सचिव सह एनेस्थेसिया रोग विशेषज्ञ डॉ. मृत्युंजय सिंह भी पहुंच गए और बीच-बचाव किया। दरअसल, एनेस्थेसिया विभाग में साढ़े चार माह के लिए चार सीनियर डॉक्टर प्रशिक्षण को आए हैं।

इसमें जामताड़ा के डॉक्टर राजदेव व डालटनगंज के डॉक्टर हरिओम भी शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार, प्रशिक्षण के दौरान डॉ. राजदेव बहुत कम समय ही उपस्थित रहते थे और हाजिरी पूरी बनाते थे। इसे लेकर डॉ. हरिओम ने सवाल खड़ा कर दिया। एमजीएम अस्पताल में सीनियर डॉक्टर भिड़ने का यह पहला मामला है। इससे पूर्व जूनियर डॉक्टर व होमगार्ड जवानों के बीच कई बार मारपीट हो चुकी है।

जानिए, किसने क्या कहा

घटना की जानकारी मुझे नहीं है। अगर ऐसा है तो जांच कराई जाएगी। इसमें जो भी दोषी पाए जाएंगे उनपर उचित कार्रवाई होगी। इस तरह के मामले से अस्पताल की छवि धूमिल होती है और लोगों के बीच गलत संदेश जाता है।

- डॉ. भारतेंदु भूषण, अधीक्षक, एमजीएम।

डॉक्टरों को इस तरह की हरकत शोभा नहीं देती है। मैं वहां से गुजर रहा था तो चिल्लाने की आवाज सुनाई पड़ी। इसके बाद मैं वहां पहुंचा तो देखा कि दो सीनियर डॉक्टर आपस में उलझे हुए हैं। किसी तरह दोनों को शांत कराया गया।

- डॉ. मृत्युंजय सिंह, सचिव, आइएमए।

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