चिरिया माइंस के 452 ठेका मजदूर कुछ दिन में हो जाएंगे बेरोजगार...जानें कारण
Manoharpur News छटनी से चिरिया माइंस के 452 मजदूर बेरोजगार हो जाएंगे। गरीब आदिवासी मजदूर भुखमरी का शिकार हो सकते हैं। मजदूरों ने सरकार औऱ खान प्रबंधन से इसपर कोई हल निकालने की बात कही है। जिससे मजदूर बेरोजगार नहीं हो।
मनोहरपुर(चक्रधरपुर) : मनोहरपुर अयस्क खान चिरिया में ठेका प्रबंधन मेसर्स नारायणी संस इंडिया प्राईवेट लिमिटेड के अधीनस्थ कार्यरत 452 ठेका मजदूर आगामी 19 जुलाई 2022 के बाद से बेरोजगार हो जाएंगे। मजदूरों को अभी से बेरोजगारी का निवाला छिन जाने का डर सताने लगा है।
मनोहरपुर अयस्क खान चिरिया के ठेकेदार एन एस आई पी एल ने अप्रैल माह में ही केंद्रीय सचिव श्रम मंत्रालय भारत सरकार से औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के 14 धारा 25 -एन के खंड (1) के बिंदु(सी) के तहत चिरिया माइंस के ढोबिल खादान में कार्यरत सभी 452 मजदूरों को छंटनी करने की अनुमति मांगा था। जिसे लेकर श्रम शक्ति भवन दिल्ली में संयुक्त सचिव के साथ मुख्य नियोक्ता एवं संबंधित मजदूर यूनियन के साथ सुनवाई बैठक दो बार हुई, पर दूसरी बार 20 जून 2022 की सुनवाई बैठक के बाद फैसला श्रमिको के हक़ में न हो कर ठेकेदार के हक में हुआ।
फिर बीते 22 जून को धारा 25 -एन के तहत श्रमिकों को छंटनी करने का आदेश जारी कर दिया गया। श्रम मंत्रालय द्वारा श्रमिकों के पक्ष एवं परिस्थिति को नजरअंदाज करते हुए ठेकेदार के पक्ष में श्रमिकों को छंटनी कर देने का जो फैसला दिया गया उसके अनुसार आगामी 19 जुलाई से श्रमिकों को काम से निकाल दिया जाएगा। जिसकी खबर सुनते ही चिरिया माइंस में कार्यरत सैकड़ों ठेका मजदूर आहत है। उन्हें बेरोजगारी का डर सताने लगा है। बताते चलें की सेल प्रबंधन के द्वारा ठेका कंपनी मेसर्स नारायणी संस इंडिया प्रा.लिमिटेड (NSIPL) को बीते दिनांक 21 सितंबर 2020 से तीन वर्षों का ठेका,वर्क ऑडर दिया गया है। ठेकेदार को काम का अभी एक वर्ष 9 माह ही हुए है।ठेकेदार के पास अभी भी एक वर्ष 3 माह का काम है।
विदित हो कि मनोहरपुर अयस्क खान चिरिया माइंस में हर तीन साल में टेंडर के अनुसार ठेकेदार बदलता रहता है परंतु मजदूर वही रहते हैं। नई निविदा कार्य में भी खनन एवम ट्रास्पोटिंग की अवधि तीन सालों का रखा गया है। इसी निविदा के अंतर्गत 13 अक्तूबर 2020 से ठेका मजदूर कार्यरत है,काम करते आ रहे है।
छटनी से चिरिया माइंस के 452 मजदूर बेरोजगार हो जाएंगे। गरीब आदिवासी मजदूर भुखमरी का शिकार हो सकते है। सेल व सरकार को मजदूरों को भुखमरी के कगार पे जाने से रोकने के लिए सकारात्मक कदम तत्काल उठाना चाहिए। - राजेश विश्वकर्मा,महामंत्री, गुवा चिरिया खान श्रमिक संघ (बी एम एस)