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    जानिए, यहां तीन-चार साल में ही क्यों दरक जाते हैं रिश्ते

    By Sachin MishraEdited By:
    Updated: Tue, 18 Jul 2017 10:40 AM (IST)

    तलाक विरोधी जागरूकता अभियानों के बावजूद रिश्तों के टूटने का ग्राफ साल दर साल बढ़ता जा रहा है।

    जानिए, यहां तीन-चार साल में ही क्यों दरक जाते हैं रिश्ते

    गुरदीप राज, जमशेदपुर। सात जन्मों के वादों के साथ बनने वाले रिश्ते झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले में तीन-चार साल में ही दरक जा रहे हैं। यहां हर साल 300 से अधिक दंपती तलाक ले रहे हैं। यहां हर साल लगभग 640 तलाक से जुड़ी अर्जियां परिवार न्यायालय में दस्तक देती हैं। इनमें से 300 से अधिक तलाक की अर्जियां बहस और गवाही के बाद मंजूर कर ली जाती हैं।

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    तलाक विरोधी जन जागरूकता अभियानों के बावजूद रिश्तों के टूटने का ग्राफ साल दर साल बढ़ना समाज के लिए चिंता की बात है। आलम यह है कि तलाक के बढ़ते मामलों को देखकर जिले में दो न्यायालय गठित किए गए हैं। एक परिवार न्यायालय और दूसरा सहायक परिवार न्यायालय। जहां हर दिन बड़ी संख्या में मामलों की सुनवाई होती है।

    शराब, अवैध संबंध व घरेलू हिंसा मुख्य वजह

    जिले में बढ़ रहे तलाक की मुख्य वजह शराबखोरी, अवैध संबंध और घरेलू हिंसा है। कोर्ट में आने वाली अर्जियों में इन्हीं तीन समस्याओं का मुख्य रूप से उल्लेख होता है। ज्यादातर मामलों में पीडि़ता का आरोप होता है कि उसका पति शराब पी कर घर आता है। बात-बात पर मारपीट करता है। जबकि पति का आरोप होता है कि पत्‍‌नी के अवैध संबंध हैं।

    पहले होती है रिश्तों को बचाने की कोशिश

    ऐसा नहीं है कि कोर्ट में तलाक के जो भी मामले आते हैं, उन्हें पहली नजर में ही सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिए जाते हैं। मध्यस्थता केंद्र के जरिए पहले रिश्तों को बचाने की कोशिश होती है। मध्यस्थता केंद्र में न्याय सदन के पदाधिकारी पति-पत्नी को आमने-सामने बैठाकर काउंसिलिंग करते हैं। यहां प्रत्येक वर्ष 150 से 200 मामले सुलझाए जाते हैं। मामला जब नहीं सुलझ पाता है तो तलाक की प्रक्रिया शुरू होती है।

    खूब चमक रहा वकीलों का ऑनलाइन कारोबार

    तलाक से टूट रहे घर जहां चिंता की बात है, वहीं जमशेदपुर में वकीलों का कारोबार चमक रहा है। यहां ऑनलाइन वकील ऐसे मामलों में सलाह देने के लिए तैयार बैठे हैं। एक वेबसाइट की पड़ताल में कई ऐसे वरिष्ठ वकील नजर आए। फोन पर हर 30 मिनट परामर्श के लिए 500 से 1500 रुपये लेते हैं। दफ्तर में जाकर एक घंटा बात करेंगे तो 750 से 3500 रुपये वसूल करते हैं। ईमेल के जरिए सुझाव मांगेंगे तो 1500 से 2200 देने होंगे। कुछ वकील वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए भी परामर्श देते हैं। इसके एवज में एक घंटे के लिए 1500 रुपये वसूल करते हैं।

    जानिए, किसने क्या कहा

    कोट हां, यहां तलाक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। छोटी-छोटी बात को लेकर तलाक के लिए याचिकाएं परिवार न्यायालय में दाखिल हो रही हैं। प्रतिवर्ष 300 से ज्यादा रिश्ते टूट रहे हैं।

    -ज्योति कुमारी, अधिवक्ता

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    परिवार न्यायालय की कोशिश होती है कि रिश्ते टूटें नहीं। इसलिए ऐसे मामलों को पहले मध्यस्थता केंद्र भेजा जाता है। यहां अभी हर वर्ष करीब 150 से 200 मामलों में पति-पत्नी के बीच समझौता करवाया जा रहा है।

    - रंजना श्रीवास्तव, अधिवक्ता

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