धनबाद सदर के डाक्टर-कर्मचारियों का 'आसमान से गिरे, खजूर में अटके' जैसा हाल, क्या दूर होगी इनकी बीमारी ?
सदर अस्पताल में काम कर रहे हैं कर्मियों का कहना है वर्ष 2017 में लगभग डेढ़ सौ डॉक्टर और कर्मचारियों की बहाली हुई थी। 2020 में भी 50 के आसपास डॉक्टर और कर्मियों की बहाली हुई है। डीएमएफटी से बहाल लगभग 200 कर्मचारी और डॉक्टर यहां काम कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, धनबाद। सदर अस्पताल में डीएमएफटी फंड के तहत बहाल काम कर रहे डॉक्टर और पारा मेडिकल कर्मियों अब आउटसोर्सिंग एजेंसी में देने को लेकर विरोध तेज हो गया है। इसे लेकर अस्पताल के कर्मचारी गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से मिलेंगे। पिछले दिनों जिला प्रशासन में स्वास्थ्य विभाग के साथ बैठक हुई थी। जिला प्रशासन की ओर से एक प्रस्ताव दिया गया की सदर अस्पताल में काम कर रहे डॉक्टर और कर्मियों को आउटसोर्सिंग एजेंसी के हवाले कर दिया जाए। इस प्रस्ताव को अब जिला प्रशासन अमल में लाने की तैयारी कर रहा है। अब जैसे ही इसकी भनक अस्पताल में काम कर रहे डॉक्टर और पारा मेडिकल कर्मियों को लगा सभी विरोध पर उतर आए।
4 साल नौकरी की अब भविष्य खिलवाड़ कर रहा है जिला प्रशासन
सदर अस्पताल में काम कर रहे हैं कर्मियों का कहना है वर्ष 2017 में लगभग डेढ़ सौ डॉक्टर और कर्मचारियों की बहाली हुई थी। 2020 में भी 50 के आसपास डॉक्टर और कर्मियों की बहाली हुई है। डीएमएफटी से बहाल लगभग 200 कर्मचारी और डॉक्टर यहां काम कर रहे हैं। डॉक्टर और कर्मचारियों में आशा थी, भविष्य में जिला प्रशासन अथवा राज्य सरकार उन्हें स्थाई करेगा। लेकिन अब इतने साल काम करने के बाद आउटसोर्सिंग एजेंसी को देना सरासर नाइंसाफी है। इस संबंध में कर्मचारियों का प्रतिनिधि अस्पताल से मुलाकात कर अपनी बातों को रखेगा बात नहीं माने जाने पर आगे की रणनीति तय की जाएगी।
कर्मचारियों के समर्थन में स्वास्थ्य संगठन भी उतरे
इधर कर्मचारियों के संगठन में विभिन्न स्वास्थ्य संगठन भी आंदोलन पर उतर आए हैं। झारखंड राज्य चिकित्सा एवं जन कर्मचारी संघ के नेता ओम प्रकाश ने कहा कि इसका विरोध किया जाएगा। कर्मचारियों का शोषण किसी भी शर्त पर बर्दाश्त नहीं करने दिया जाएगा। कहा कि जरूरत पड़ी तो सभी जगह हड़ताल कर दिया जाएगा। ओमप्रकाश ने बताया कि यहां पर कार्यरत डॉक्टर नर्स, पारा मेडिकल कर्मी, चतुर्थवर्गीय कर्मी आदि कोरोनावायरस की पहली और दूसरी लहर में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। अब इन्हें सम्मानित करने की जगह जिला प्रशासन अपमानित करने पर तुला हुआ है। अगर ऐसा हुआ तो आंदोलन तेज होगा।