Lok Sabha Election : जहां वेंकैया का हेलीकॉप्टर फूंका, अब वहां हो रही लोकतंत्र की जय-जयकार
झारखंड के चतरा जिले के नक्सल प्रभावित इलाके में लोकतंत्र मजबूत होता दिख रहा है। जानकारी के अनुसार यहां साल 2009 के बाद 2019 में हुए चुनाव में मतदान का प्रतिशत बढ़ा है। यहां तक कि मतदाताओं और मतदान कर्मियों के बीच उग्रवादियों का खौफ भी कम हुआ है। बता दें कि साल 1999 में नक्सलियों ने वोट बहिष्का के उल्लंघन पर हाथ काट दिया था।
जुलकर नैन, चतरा। चतरा जिले के घोर सुदूरवर्ती और उग्रवाद प्रभावित गांवों में एक गड़िया-अमकुदर है। भाकपा माओवादियों का सबसे सुरक्षित क्षेत्र माना जाता था। कौलेश्वरी जोन के अंतर्गत था। 5 सितंबर 1996 को माओवादियों ने भाकपा माले के एक दर्जन नेताओं व कार्यकर्ताओं का संहार कर दिया था। क्षेत्र बिहार की सीमा से सटा है।
गया जिले के बाराचट्टी थाना क्षेत्र के धनगाई गांव से सटे जंगली क्षेत्र में 29 जनवरी 2005 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष वेंकैया नायडू के हेलिकाप्टर को जला दिया था।
1999 के लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद वोट बहिष्कार का उल्लंघन करने पर टंडवा थाना क्षेत्र के कामता गांव निवासी जसीमउद्दीन अंसारी का हाथ और महादेव यादव का अंगूठा काट दिया था।
यहां उग्रवादियों का प्रभाव इतना अधिक था कि लोग मतदान केंद्र की ओर जाने में खौफ खाते थे। यह स्थिति 2009 तक देखने को मिली। 2009 के लोकसभा चुनाव में चतरा संसदीय क्षेत्र में मात्र 45.62 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि 2019 में 64.97 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान किया।
सकारात्मक बदलाव आए
दस वर्षों में 19.35 प्रतिशत की वृद्धि हुई। यह सकारात्मक बदलाव तेजी से किए गए विकास के कारण आया।
राजपुर और वशिष्ठ नगर थाना क्षेत्रों के डेढ़ दर्जन गांवों की तस्वीर बदल गई है। घनघोर जंगल और पहाड़ों की तराई में बसे उन गांवों तक पहुंचना जन साधारण के लिए आसान नहीं था।
पगडंडियों के सहारे ग्रामीण अपनी मंजिल तय करते थे। अब यहां सड़कों का विकास हुआ। बिजली की व्यवस्था की गई।
माओवादियों से मुक्ति
सरकारी स्कूलों की व्यवस्था सुधरी। पीने का पानी के लिए हैंडपंप लगाए गए। पुलिसिया अभियान से कौलेश्वरी जोन को माओवादियों से मुक्त करा दिया गया।
अमकुदर गांव निवासी सुशील गंझू कहते हैं कि पिछले तीन-चार वर्षों में अप्रत्याशित बदलाव हुए हैं। लेढो की सुनीता देवी कहती हैं कि एक समय था, जब गांव तक कोई वाहन नहीं आते थे। आज यात्री वाहनों का परिचालन हो रहा है। अब कोई भय का वातारण नहीं है।
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