अपनी आय दोगुनी करने के लिए उद्यमी बनें किसान
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन जम्मू के सहयोग से कृषि उत्पादन एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से शुक्रवार चड़वाल पंचायत में अरोमा मिशन (द्वितीय चरण) के तहत कार्यशाला आयोजित की गई। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। कृषि उत्पादन एवं किसान परिवार कल्याण जम्मू के निदेशक केके शर्मा ने किसानों को लेमन ग्रास की खेती के महत्व पर से रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान भी कृषि क्षेत्र ने अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
जागरण संवाददाता,कठुआ : इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन जम्मू के सहयोग से कृषि उत्पादन एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से शुक्रवार चड़वाल पंचायत में अरोमा मिशन (द्वितीय चरण) के तहत कार्यशाला आयोजित की गई। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।
कृषि उत्पादन एवं किसान परिवार कल्याण जम्मू के निदेशक केके शर्मा ने किसानों को लेमन ग्रास की खेती के महत्व पर से रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान भी कृषि क्षेत्र ने अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के मिशन को आगे बढाने और आय दोगुनी करने के लिए किसान उद्यमी बनें। उन्होंने कहा कि कुसुम मिशन के तहत किसानों को सोलर पंप उपलब्ध कराए जा रहे हैं। कृषि के विविधीकरण के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने लेमन ग्रास,रोजा घास की खेती के लिए किसानों को आगे आने का आह्वान किया और कहा कि ये विशेष रूप से किसानों की बंदरों के प्रकोप से प्रभावित क्षेत्र में आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। समशीतोष्ण क्षेत्र में लैवेंडर की खेती के लिए कठुआ जिला का जलवायु उपयुक्त है। उन्होंने कार्यशाला के आयोजन के लिए आइआइएम जम्मू के वैज्ञानिकों को भी धन्यवाद दिया।
इस मौके पर मुख्य कृषि अधिकारी कठुआ विजय उपाध्याय ने भी किसानों को लेमन ग्रास व लैवेंडर की खेती के तहत क्षेत्र विस्तार और बंदरों के प्रकोप से प्रभावित ख्ेातों में इसकी खेती का के बारे में जानकारी दी। उन्होंने लागू की गई सीएसएस योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। जिसमें कृषि-अवसंरचना निधि योजना, प्रधान मंत्री जैसे विभाग द्वारा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों (पीएमएफएमई), किसानों का औपचारिकरण उत्पादक संगठन (एफपीओ), एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी), जैविक खेती, पीएम-किसान, मशरूम की खेती। उन्होंने उक्त कार्यशाला के सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। आइआइएम-जम्मू के परियोजना प्रभारी डॉ. सुमित गैरोला ने अपने कार्यकाल के दौरान उद्घाटन भाषण की खेती के विस्तृत महत्व के बारे में बताया। इसमें किसानों की आय दोगुनी करने में लेमन ग्रास की खेती बढ़ाने से किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति मजबूत होने में भूमिका निभा सकते हैं।
खेती की तकनीकी पर की चर्चा
आइआइएम-जम्मू के वैज्ञानिक डॉ. राजिदर भंवरिया, डॉ. सरबजीत, डॉ. वी.पी. राहुल ने लेमन ग्रास की खेती के सभी पहलुओं पर इसकी खेती की तकनीकी जानकारी पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि किसानों को सफल उद्यमी बनने के लिए विभिन्न उत्पादों का मूल्यवर्धन के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि कठुआ जिला इसकी खेती के लिए सबसे उपयुक्त है। उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र में इसके पौधे सर्वोत्तम उपयुक्त हैं लेमन ग्रास, रोजा ग्रास, तुलसी समशीतोष्ण क्षेत्र में जबकि लैवेंडर की खेती के लिए सबसे उपयुक्त है।
जीवाणुरोधी है लेमनग्रास आयल
लेमन ग्रास आयल जीवाणुरोधी है, पाचन में मदद करता है, एंटिफंगल, विरोधी भड़काऊ गुण और सर्वोत्तम कोलेस्ट्रॉल के रोगियों के लिए जबकि लैवेंडर का तेल बालों के विकास के लिए अच्छा है अरोमाथेरेपी, एलर्जी में इस्तेमाल होने वाली शांत और दिव्य सुगंध वाला है।
कई अधिकारी सम्मानित
एसडीएओ, दियालाचक प्रदीप शर्मा, नारायण सिंह, जेएईओ, राजेश गुप्ता, एईए, संदीप कुमार, एईए को सम्मानित किया गया। जिले में लेमन ग्रास की खेती को बढ़ावा देने के अवसरयुवा उद्यमी को भी सम्मानित किया गया। इस मौके पर प्रतिशील किसान, सरंपच सीमांत शर्मा भी मौजूद थे।
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