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देवनागरी लिपि को अपना कर पाटी जा सकती है भारतीय भाषाओं के बीच की दूरी

शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग और भारतीय शिक्षण मंडल जम्मू-कश्मीर प्रांत ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग के अध्यक्ष प्रो. रसाल सिंह ने की।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Fri, 25 Feb 2022 05:36 PM (IST)Updated: Fri, 25 Feb 2022 05:36 PM (IST)
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के मौके पर केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू में कविता पाठ भी किया गया।

जम्मू, जेएनएन : प्रो. रसाल सिंह ने लॉर्ड मैकाले की दोषपूर्ण औपनिवेशिक शिक्षा नीति के बरक्स राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को श्रेष्ठ बताते हुए उसे मातृभाषा की हितैषी बताया। मातृभाषा के अधिक से अधिक प्रयोग पर बल देते हुए उन्होंने सभी भारतीय भाषाओं के लिए देवनागरी लिपि को अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने देवनागरी लिपि को राष्ट्रलिपि के रूप में प्रयोग करने की बात की। देवनागरी लिपि को अपनाने से भारतीय भाषाओं के बीच की दूरी, अलगाव और अपरिचय मिटेगा।

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शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग और भारतीय शिक्षण मंडल, जम्मू-कश्मीर प्रांत ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग के अध्यक्ष प्रो. रसाल सिंह ने की। कार्यक्रम की भूमिका और रूपरेखा डा. शशांक शुक्ल ने प्रस्तुत की। डा. शशांक शुक्ल ने मातृभाषा दिवस की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए मातृभाषा दिवस के आयोजन की आवश्यकता को लेकर अपने विचार रखे।

भारतीय शिक्षण मंडल जम्मू-कश्मीर के प्रांत विस्तारक शिवम जोशी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस भारतीय शिक्षण मंडल का प्रमुख कार्यक्रम है। मातृभाषा में ही मौलिक चिंतन किया जा सकता है । कार्यक्रम में जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय के शिक्षकों डा. ऋतु बख्शी, रोमेश शर्मा और अरबिंद यादव ने भी अपनी मातृभाषा में प्रस्तुति दी। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के प्राध्यापक, शोधार्थी और विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

देश भर की मातृभाषाओं में कविताओं और गीतों की प्रस्तुति : अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के मौके पर केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू में कविता पाठ भी किया गया। अर्जुन ने भद्रवाही, परमजीत कौर ने पंजाबी, कजोल देवी ने डोगरी, पीयूष कुमार ने अवधी, संजीव कुमार ने हरियाणवी, कृष्ण मोहन ने भोजपुरी, पूजा शर्मा ने डोगरी, समिति शर्मा ने हिंदी, मनीष ने हिंदी, आरती देवी ने कश्मीरी, कमलदीप ने हिंदी और सौरभ ने पहाड़ी भाषा में कविताएं और गीतों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग के सहायक आचार्य डा. रत्नेश कुमार यादव ने किया। कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों का धन्यवाद डा. वंदना शर्मा ने किया।


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