नौकरी से बर्खास्त दिव्यांग को पेंशन देने पर हो विचार : हाईकोर्ट
राज्य ब्यूरो, जम्मू : हाईकोर्ट ने एक अहम निर्देश में सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक को याचिकाकर्ता को
राज्य ब्यूरो, जम्मू : हाईकोर्ट ने एक अहम निर्देश में सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक को याचिकाकर्ता को दिव्यांग पेंशन के मामले पर विचार करने को कहा। कोर्ट ने पाया कि यह मामला दिव्यांग पेंशन के अधीन आता है। इसीलिए 30 मार्च तक इस मामले पर विचार कर इसकी रिपोर्ट कोर्ट में सौंपी जाए।
चीफ जस्टिस एनपाल वसंथाकुमार और जस्टिस आलोक अराधे की खंडपीठ ने यह निर्देश राजकुमार की याचिका पर सुनाए। इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से हाजिर एडवोकेट धीरज चौधरी ने कहा कि याचिकाकर्ता राजकुमार अप्रैल 1986 को बीएसएफ में कांस्टेबल भर्ती हुआ था। साल 1993 में वह लांसनायक बन गया। 12 जून 1997 को कुंजवानी में सड़क दुर्घटना में वह घायल हो गया और जीएमसी में कोमा में रहा। इस दौरान वह मनोरोग से पीड़ित हो गया। छुट्टी के बाद उसे किसी भी अहम स्थान पर ड्यूटी के लिए तैनात नहीं किया जाता था। 1999 में उसका रियासी के बिड्डा में तबादला कर दिया गया, लेकिन वहां पर कोई भी स्वास्थ्य सुविधा न होने के कारण उसका इलाज जीएमसी में चलता रहा। आठ नवंबर 1999 को राजकुमार अपने सीनियर की इजाजत लेकर जीएमसी जम्मू आया, लेकिन वह मनोरोगी होने के कारण सीधा अपने घर रामगढ़ चला गया। घर पर बीमार हो जाने के बाद वह उप जिला अस्पताल रामगढ़ में भर्ती रहा। उसने 45 दिन की छुट्टी के लिए प्रार्थना पत्र दिया मगर उसकी छुट्टी मंजूर नहीं हुई। इस दौरान राजकुमार को भगोड़ा घोषित कर दिया गया। उसे नौकरी से निकाल दिया गया।
एडवोकेट धीरज चौधरी का तर्क था कि जब एक जवान अस्पताल में अपना इलाज करा रहा है तो वह भगोड़ा कैसे हो सकता है। अगर उसे नौकरी से निकालना ही था तो भी याचिकाकर्ता को दिव्यांग पेंशन का हक है। इस पर खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को पेंशन देने पर विचार करने को कहा।