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Kashmir : जन्नत में 72 हूरों के किस्से सुनाकर युवाओं को आतंक की राह पर धकेलता था अब्बास शेख

Militancy In Kashmir अब्बास के ही इशारे पर साकिब मंजूर ने एडवोकेट बाबर कादरी और हब्बाकदल के दुकानदार के अलावा इंस्पेक्टर परवेज अहमद डार की हत्या की। सोमवार को अब्बास को साथी साकिब के साथ एसओजी मुख्यालय श्रीनगर से करीब 200 मीटर दूरी पर मुठभेड़ में मार गिराया।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 24 Aug 2021 09:35 AM (IST)Updated: Tue, 24 Aug 2021 12:39 PM (IST)
कुलगाम आतंकी गतिविधियों में उसका नाम आया, लेकिन बतौर ओवरग्राउंड वर्कर वह हर बार जमानत पर छूट जाता।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : अब्बास शेख उर्फ तुराबी उर्फ मौलवी बेशक 2015 से लगातार सक्रिय था, लेकिन आतंकवाद से उसका नाता तीन दशक पुराना है। वह खुद पहली बार 17 साल पहले आतंकी बना था और तीसरी बार 2015 में। उसके बाद वह पकड़ा नहीं गया और न जेल गया। सीधा 72 हूरों से मिलने चला गया।

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वह नए युवकों को जिहाद का पाठ पढ़ाते हुए उन्हेंं जन्नत में 72 हूरों के किस्से सुनाता था और कहता था कि गैर मुस्लिम, गैर कश्मीरी और सुरक्षाबल ही नहीं, जो भी हिंदुस्तान का नाम लेता है, वह काफिर है। उसके ही इशारे पर साकिब मंजूर ने एडवोकेट बाबर कादरी और हब्बाकदल के दुकानदार के अलावा इंस्पेक्टर परवेज अहमद डार की हत्या की थी। सोमवार को इसके साथ ही अब्बास को साथी साकिब के साथ एसओजी मुख्यालय श्रीनगर से करीब 200 मीटर दूरी पर मुठभेड़ में मार गिराया।

वर्ष 2004 में वह पहली बार आतंकी गतिविधियों के सिलसिले में पकड़ा गया था। वह जन सुरक्षा अधिनियम के तहत डेढ़ साल बंद रहा और फिर छूट गया। वह आतंकी हिंसा में 006 में सक्रिय हुआ और 24 अक्टूबर 2007 को उस समय पकड़ा गया, जब वह अपने अन्य सहयोगी अब्दुल मजीद मजीद सेह के साथ कोयमू में सुरक्षाबलों पर ग्रेनेड हमला करने जा रहा था। उसके पास से एक यूबीजीएल और एक हथगोला मिला था।

पकड़े जाने से पहले 21 फरवरी 2006 को उसने सांख्यिकी विभाग के विभागीय वाहन पर अपने साथियों संग हमला किया था। इसमें चार कर्मचारी जख्मी हुए थे। उसने तीन मार्च 2006 को रेडवनी कुलगाम के तीन युवकों मेहराज-उद-दीन वागे, जलाल-उद-दीन डार और सरताज अहमद डार को अगवा किया। मेहराजदीन को गोली मारकर जख्मी कर दिया था। पांच अप्रैल 2006 के कोयमू कुलगाम में सीआरपीएफ के जवानों पर ग्रेनेड से हमला किया था। तीन जवान और दो नागरिकों समेत पांच लोग जख्मी हुए थे।

14 नवंबर 2006 को उसने होमशालीबुग यारीपोरा कुलगाम में अहमदुल्ला पर्रे को गोली मार जख्मी कर दिया था। पकड़े जाने के बाद वह करीब दो साल तक जेल में बंद रहा और फिर जमानत पर छूट गया। कुछ दिन वह शांत रहा और फिर दोबारा पर्दे के आतंकी गतिविधियों में सक्रिय हो गया। पांच दिसंबर 2010 को ओजीडब्ल्यू शौकत अहमद बट निवासी बंदरपोरा को हथियार/गोला- बारूद मुहैया कराया। इसका इस्तेमाल बस स्टैंड अनंतनाग पर फायरिंग के लिए हुआ। एक दर्जन लोग जख्मी हुए थे।

ओवरग्राउंड वर्कर बनकर टारगेट चिह्नित करता : इसके बाद कुलगाम में हुई विभिन्न आतंकी गतिविधियों में उसका नाम आया, लेकिन बतौर ओवरग्राउंड वर्कर या आतंकियों लिए हथियार जुटाने, उनके लिए टारगेट चिह्नित करने तक। वह हर बार जमानत पर छूट जाता। 2013 में वह फिर पकड़ा गया और करीब एक साल जेल में रहा। 2014 में छूटने के बाद वह कुछ दिन आराम से बैठा और फिर सक्रिय हो गया। उसे जब लगा कि वह अब दोबारा सुरक्षाबलों की नजर में आ गया है तो हिजबुल मुजाहिदीन का सक्रिय आतंकी बन गया। यह वर्ष 2015 की बात है और उसके बाद वह सुरक्षाबलों के हाथों से लगातार बचते हुए अपनी आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता रहा।

आतंक का नया दौर शुरू : दो साल पहले लश्कर के हिट स्क्वाड का आपरेशनल चीफ कमांडर बनने के बाद उसने आतंक का नया दौर शुरू किया। इसी साल 27 जनवरी को को उसने कुलगाम के शमसीपोरा में सुभानपोरा स्थित सरकारी स्कूल में आइईडी लगाई थी। इसमें हुए धमाके में एक जवान दीपक कुमर निवासी कोसली रिवाड़ी शहीद हो गया था, जबकि तीन अन्य जख्मी हुए थे। मार्च 2021 में श्रीनगर में अपना ठिकाना बनाने से पूर्व उसने श्रीनगर के छन्नपोरा में छह फरवरी 2021 को साथियों संग सीआरपीएफ जवानों पर हमला किया था। जवान मनोज कुमार यादव घायल हुआ था।

हमले की निगरानी भी करता था: 19 फरवरी को बागात श्रीनगर में शिव शक्ति स्वीट शाप के बाहर जब साकिब ने दो पुलिसकर्मियों मोहम्मद यूसुफ और सुहैल अहमद लोहार को शहीद किया था तो अब्बास खुद थोड़ी दूरी से पूरे हमले की निगरानी कर रहा था। 25 मार्च को लावेपोर में सीआरपीएफ जवानों पर हुए हमले की सजिश में भी वह शामिल था। सब इंस्पेक्टर मांगे राम देव बर्मन अैर कांस्टेबल अशोक कुमार शहीद हुए थे। नवाबाजार में सात मई को सुरक्षाबलों पर हुए ग्रेनेड हमले को उसके ही इशारे पर साकिब ने अंजाम दिया था। सैदपोरा ईदगाह में पुलिसकर्मी जावेद अहमद काम्बे, 23 जून को हब्बाकदल में दुकानदार और उससे एक दिन पहले 22 जून को नौगाम में इंस्पेक्टर परवेज अहमद डार की हत्या भी उसने ही साकिब व उसके सथियों से कराई थी।

इसी महीने की तीन तारीख के श्रीनगर पुलिस स्टेशन खनयार के पुलिस दल पर उसने अपने साथियों संग मिलकर हमला किया था। एक पुलिसकर्मी और एक नागरिक जख्मी हुए थे। इसके चार दिन बाद कुलगाम के पोश्पन इलाके में उसने पुलिसदल पर हमला किया था। इस हमल में एक पुलिसकर्मी शहीद व दो अन्य जख्मी हो गए थे। अनंतनाग में करीब 12 दिन पहले भाजपा के सरपंच गुलाम रसूल डार और उसकी पत्नी जवाहिरा बेगम की हत्या मभी अब्बास शेख के इशारे पर हुई थी। दोनों आतंकी एसओजी मुख्यालय श्रीनगर से करीब 200 मीटर दूर बंद पड़ी खादी मिल में हुई मुठभेड़ में मारे गए। 

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