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Baddi Factory Fire: न लाइसेंस न पंजीकरण का पता, फिर भी चल रही थी फैक्‍ट्री; सवालों के घेरे में आई प्रदेश सरकार

Baddi Factory Fire सोलन में परफ्यूम फैक्‍ट्री में आग लगने के बाद कई परिवार उजड़ गए। अब प्रदेश सरकार पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जांच में सामने आया है कि फैक्‍ट्री का न तो लाइसेंस था और न ही कोई पंजीकरण फिर भी यह कंपनी किसकी कृपा से चल रही थी। प्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य दवा नियंत्रक को भी इस भंडारण की कोई जानकारी नहीं है।

By Suneel Kumar Sharma Edited By: Himani Sharma Published: Mon, 05 Feb 2024 09:16 PM (IST)Updated: Mon, 05 Feb 2024 09:16 PM (IST)
सवालों के घेरे में आई प्रदेश सरकार

सुनील शर्मा, बीबीएन। सेंट, परफ्यूम जैसे खुशबुदार उत्पाद बनाकर करोड़ों रुपयों का कारोबार कर चुकी एनआर एरोमा कंपनी ने प्रदेश सरकार की नीतियों व अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

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उद्योग के पास न तो ड्रग एंड कॉस्मेटिक विभाग का लाइसेंस था और न ही किसी अन्य जिम्मेदार विभाग ने इन्हें लाइसेंस जारी किया हुआ था। उद्योग में चार दिनों तक जलने वाला कैमिकल कौन सा है और किस क्षमता में कंपनी के अंदर रखा गया था, इसकी किसी भी विभाग के पास जानकारी नहीं है।

बुझाए नहीं बुझ पा रहा कैमिकल 

प्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य दवा नियंत्रक को भी इस भंडारण की कोई जानकारी नहीं है। हिमाचल में ऐसे और भी उद्योग हो सकते हैं, यह कह पाना गलत नहीं होगा। खुशबुदार उत्पाद बनाने वाली एनआर एरोमा उद्योग पिछले 14 वर्षों से झाडमाजरी में काम कर रही है। इस उद्योग के अंदर इतनी अधिक मात्रा में ज्वलनशील कैमिकल या फिर एल्कोहल था कि जो चार दिनों तक भी बुझाए नहीं बुझ पा रहा है। उद्योग के इस बड़े हादसे व लापरवाही ने हिमाचल सरकार की नीतियों व लाइसेंसिंग एजेंसियों को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है।

सवाल एक नहीं

एरोमा उद्योग का हादसा उद्योग प्रबंधन की लापरवाही तो उजागर कर ही रहा है, सरकारी विभागों के अधिकारी भी इस घोर लापरवाही का पूरा पूरा हिस्सा हैं। फायर विभाग ने मार्च 2023 में इस उद्योग को एनओसी जारी की थी। एनओसी जारी करते समय क्या एग्जिट या अन्य औपचारिकताओं को जांचा गया। वर्ष 2013 में बीबीएनडीए अथारिटी से इस उद्योग के भवनों को बढ़ाने की अनुमति दी गई, क्या उसके बाद मैप के अनुरूप भवन जांचा गया।

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उद्योग के अंदर ज्वलनशील मात्रा में बड़ी संख्या में कैमिकल ड्रम मौजूद हैं, लेकिन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कभी इसकी पड़ताल करने कोशिश की। राज्य दवा नियंत्रक का कार्यालय बद्दी में स्थापित किया गया है, लेकिन बड़ी मात्रा में कैमिकल का इस्तेमाल होने के बावजूद भी क्या दवा निरीक्षकों ने इसकी पड़ताल की। ऐसे ही अनेकों सवाल इस समय हर उद्यमियों सहित आम आदमी के जहन में आ रहे हैं।

क्या है लाइसेंस का नियम

इंस्पेक्टरी राज खत्म करने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से उद्योगों को स्थापित करने के लिए अब ऑन लाइन पंजीकरण की प्रणाली शुरू कर दी है। इससे अब उद्योग लगाने वाले बिजनेस मैन के पास आन लाइन ही सब कुछ उपलब्ध हो जाता है। लिस्ट में सभी संबंधित विभागों की सूची शामिल होती है। उद्योग विभाग के पास पंजीकरण करवाना उद्यमी की मर्जी होती है। विभाग में पंजीकरण उद्यमी अकसर बेनाफिट के लिए ही करवाता है। सेल्फ रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू होने के बाद अब उद्यमी अपने स्तर पर ही सभी औपचारिकताएं पूरी करता है।

14 वर्षों से चल रहा है उद्योग

एनआर एरोमा उद्योग के प्रबंधक इस क्षेत्र में 2002 से काम कर रहे हैं।पहले यह किराए के भवन में उत्पादन का काम चला रहे थे, लेकिन उसके बाद उन्होंने 2009 में झाड़माजरी के इस परिसर में उद्योग स्थापित किया और 2010 में यहां खुशबुदार उत्पादों का उत्पादन शुरू कर दिया था। शुरूआती दौर में इनके उत्पाद श्रीलंका सहित अन्य कई देशों तक भी गए और उसके बाद अब अधिकतर उत्पाद भारतीय बाजार में ही जा रहे थे।

सरकार सहित उद्योग भी अनजान

खुशबुदार उत्पादों को तैयार करने के लिए इस उद्योग को कौन सा विभाग लाइसेंस देगा, इस बात से उद्यमियों सहित विभाग के अधिकारी भी अनभिज्ञ हैं। सोमवार को झाड़माजरी में चल रही बैठक में भी यह मुद्दा निदेशक उद्योग विभाग व उद्योग मंत्री ने उठाया और सभी विभागाधिकारियों को इस बारे पूछा गया, लेकिन किसी के पास जवाब नहीं था।

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उद्योग के पास फायर विभाग की एनओसी, फैक्ट्री लाइसेंस, पॉल्यूशन एनओसी, जीएसटी सहित सभी कागज पूरे थे, लेकिन किसी विभाग के पास इसका पंजीकरण नहीं था, जिससे सरकारी अधिकारियों सहित उद्योग प्रबंधन की बड़ी लापरवाही भी इस मामले के बाद सामने आई है।


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