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Himachal Canteen Rate: हिमाचल विधानसभा कैंटीन में शाकाहारी भोजन 40, मांसाहारी 50 में; पहले मिलता था फ्री

Himachal Canteen Rate हिमाचल विधानसभा की कैंटीन में शाकाहारी भोजन के लिए 40 रुपये और मांसाहारी के लिए 50 रुपये लिये जाते हैं जबकि 1996 तक यहां खाने का कोई शुल्क नहीं लिया जाता था।

By Babita kashyapEdited By: Published: Fri, 06 Dec 2019 11:17 AM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2019 11:17 AM (IST)
Himachal Canteen Rate: हिमाचल विधानसभा कैंटीन में शाकाहारी भोजन 40, मांसाहारी 50 में; पहले मिलता था फ्री
Himachal Canteen Rate: हिमाचल विधानसभा कैंटीन में शाकाहारी भोजन 40, मांसाहारी 50 में; पहले मिलता था फ्री

शिमला, प्रकाश भारद्वाज। Himachal Canteen Rate हिमाचल में मंत्रियों व विधायकों के लिए विधानसभा सत्र के दौरान ही भोजन की व्यवस्था है। विधानसभा की कैंटीन में शाकाहारी भोजन के 40 रुपये व मांसाहारी के 50 रुपये वसूले जाते हैं। विधानसभा में मिलने वाले खाने पर उपदान सरकार का सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) प्रदान करता है। जीएडी हर साल खाने का रेट तय करता है। इसके आधार पर शिमला और धर्मशाला में आयोजित होने वाले विधानसभा सत्र के दौरान खाने का खर्च उठाया जाता है। इस साल बजट सत्र के दौरान खाने का दैनिक खर्च 30 हजार रुपये था। मानसून सत्र के दौरान भी यही खर्च रहा। 

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हालांकि धर्मशाला में आयोजित होने वाले शीतकालीन सत्र के दौरान नाश्ता, दोपहर और सायं का भोजन तैयार होता है। हर दिन मंत्री, विधायक, अधिकारी कर्मचारी समेत दूरदराज से आने वाले करीब 1600 से 1800 लोग खाना खाते हैं।

हिमाचल प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) की ओर से शाकाहारी खाने का मूल्य 800 रुपये प्रति प्लेट है और मांसाहारी का 1000 रुपये प्रति प्लेट। सरकार का सार्वजनिक उपक्रम एचपीटीडीसी विधानसभा के अतिरिक्त रियायती मूल्य पर राज्य सचिवालय, प्रदेश उच्च न्यायालय में भी भोजन उपलब्ध करवाता है।

 1996 तक मुफ्त था खाना

हिमाचल प्रदेश विधानसभा में 1996 तक खाने का कोई शुल्क नहीं लिया जाता था। पहली बार शाकाहारी खाने का 10 रुपये और मांसाहारी खाने का शुल्क 20 रुपये तय किया गया। उससे पहले तक खाना नि:शुल्क मिलता था। विधानसभा में खाने की सुविधा 68 विधायकों के साथ-साथ पत्रकारों के लिए है। सरकार के अधिकारी भी नियमों के विपरीत इस सुविधा को ग्रहण करते है।

कॉफी हाउस की कैंटीन

विधानसभा परिसर में इंडियन कॉफी हाउस की कैंटीन हुआ करती थी। इसमें सरकार के मंत्री, विधायक खाना खाने के लिए आते थे। यहां पर दक्षिण भारतीय इडली, डोसा, कॉफी, बटर टोस्ट उपलब्ध होते थे। मंत्रियों के चैंबर, परिसर के भीतर चाय-पानी की सुविधा नहीं थी। इस प्रकार की सुविधा 1969 से लेकर चल रही थी। बताते हैं करीब 35 साल पहले वीरभद्र्र सिंह मुख्यमंत्री बनने के बाद विधानसभा में खाने की व्यवस्था शुरू की गई थी।

संसद में खाने को लेकर लिया गया निर्णय उनका अपना है। सरकार इस बारे में जो निर्णय लेगी, विपक्षी कांग्रेस उसका समर्थन करेगी। रियायती दरों पर मिलने वाले भोजन पर कांग्रेस को कोई एतराज नहीं है।

-मुकेश अग्निहोत्री, नेता प्रतिपक्ष।

संसद के सेंट्रल हॉल में मिलने वाले खाने की बात कुछ और है। यहां पर विधानसभा में मिलने वाले खाने की बात अलग है। वहां पर राउंड द क्लॉक खाने की सुविधा है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा में केवल सत्र के दौरान खाने की व्यवस्था की जाती है। यदि जरूरी हुआ तो सरकार खाने का रेट बढ़ा भी सकती है। 

-सुरेश भारद्वाज, संसदीय कार्यमंत्री।

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