Transgender Icon Maya Thakur: स्कूल में उड़ा मजाक, टीचरों ने भी नहीं दिया साथ... फिर पढ़ाई छोड़ ऐसे बनाई खुद की पहचान
Transgender Icon Maya Thakur हिमाचल की ट्रांसजेंडर आइकन माया ठाकुर ने समाज में ट्रांसजेंडरों के साथ भेदभाव का मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा कि स्कूल में उनका भी मजाक बनाया जाता था इसलिए वह अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पाई। वहीं माया ने बताया कि अगर अब उन्हें वापस से शिक्षा शुरू करने का मौका दिया जाए तो वह जरूर आगे पढ़ाई शुरू करना चाहेंगी।
पीटीआई, शिमला। हिमाचल प्रदेश राज्य चुनाव आयोग की ट्रांसजेंडर आइकन माया ठाकुर (Transgender Icon Maya Thakur) ने अपने जीवन के संघर्षों को बताया है। उन्हें नौवी कक्षा के बाद ही स्कूल छोड़ने को मजबूर कर दिया गया था। माया अब ट्रांसजेंडर आइकन बन चुकी हैं।
स्कूलों में शिक्षकों और छात्रों का झेला दुर्व्यवहार: माया ठाकुर
ट्रांसजेंडर आइकन ने बताया कि स्कूल में उन्होंने छात्रों और शिक्षकों की मनमानी झेली है। इसी के कारण वह स्कूल की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाई। शिमला संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत सोलन जिले के कुनिहार क्षेत्र के कोठी गांव की रहने वाली ठाकुर ने कहा कि स्थिति इतनी गंभीर हो गई थी कि ग्रामीणों ने उनके परिवार पर उन्हें बाहर निकालने का दबाव बनाना शुरू कर दिया।
माया ने अत्याचारों के खिलाफ उठाई आवाज
वहीं इतने सारे अत्याचारों के बीच वह शायद राज्य में 35 लोगों में से एकमात्र ट्रांसजेंडर थीं, जिन्होंने बोलने का साहस जुटाया। माया ने बताया कि जब वह अपने परिवार को स्कूल में हुए दुर्व्यवहार के बारे में बताती थीं, तो उनकी फैमिली को लगता था कि वह स्कूल छोड़ने का बहाना बना रही हैं। माया ने बताया कि अगर अब उन्हें वापस से शिक्षा शुरू करने का मौका दिया जाए तो वह जरूर आगे पढ़ाई शुरू करना चाहेंगी।
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माया ने आगे बताया कि शिक्षा, नौकरियां और ट्रांसजेंडरों के खिलाफ भेदभाव खत्म करना हमारे मुख्य मुद्दे हैं। ऐसे ट्रांसजेंडर भी हैं जो पढ़ना चाहते हैं, शिक्षक, वकील, पुलिस में शामिल होना चाहते हैं और जीवन में तरक्की करना चाहते हैं। लेकिन जब हम नौकरियों के लिए आवेदन करते हैं तो कोई हमें नौकरी नहीं देता।
समाज को नहीं करना चाहिए भेदभाव: माया ठाकुर
माया ने कहा कि मैं एक पुरुष के रूप में पैदा हुई थी लेकिन अपनी पहचान एक महिला के रूप में की। मेरी पहचान एक ट्रांसजेंडर महिला के रूप में है, हम उभयलिंगी हैं न कि किन्नर। उन्होंने कहा कि उन्हें समाज में स्वीकार नहीं किया जाता क्योंकि लोग उन्हें किन्नर मानते हैं और दूरी बनाए रखते हैं।
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उन्होंने कहा कि उत्तर की तुलना में दक्षिण भारत में स्थिति अभी भी बेहतर है और ट्रांसजेंडरों के लिए सामाजिक स्वीकार्यता के लिए जागरूकता फैलाने की जरूरत है। हर किसी को अपनी पसंद का जीवन जीने का अधिकार है।
माया ने पुलिस पर भी लगाए आरोप
माया ने पुलिस पर ज्यादती के खिलाफ उनकी शिकायतें दर्ज न करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि डरा-धमका कर या गाली देकर पैसा वसूलने की किन्नर संस्कृति बंद होनी चाहिए। इसके अलावा, किन्नरों द्वारा ट्रांसजेंडरों को ले जाने या उन्हें परेशान करने की प्रथा और ऐसे कृत्यों में लिप्त लोगों पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।