CM Sukhu Interview: हिमाचल में 3 साल में कितना व्यवस्था परिवर्तन, 1500 रुपये की गारंटी से लेकर पंचायत चुनाव पर क्या बोले सीएम?
CM Sukhu Interview, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुक्खू ने एक इंटरव्यू में राज्य में पिछले 3 सालों में हुए व्यवस्था परिवर्तन पर बात की। उन्होंने पंचाय ...और पढ़ें

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू सरकार के तीन साल पर साक्षात्कार के दौरान। जागरण
जागरण टीम, शिमला। CM Sukhu Interview, हिमाचल प्रदेश सरकार के तीन साल पूरे हो रहे हैं। प्रदेश व्यवस्था परिवर्तन के दौर में आगे बढ़ रहा है। नए दौर में राजनीति बदलाव के साथ सरकार के सभी पक्षों को सकारात्मक कार्यप्रणाली से जनहित लक्ष्य पर काम करना होगा। प्रदेश के इतिहास में पहली सरकार है, जिसने सरकार के स्तर पर सोचने का तरीका बदला है।
इस सोच पर चलकर प्रदेश के आम आदमी को प्रत्येक योजना का लाभ पहुंचाने की व्यवस्था की है। आइएएस हो या आइपीएस अधिकारी परिणाम आधारित काम करना पड़ेगा, नहीं तो विकल्प मौजूद हैं।
सख्त निर्णयों का नतीजा है कि भाजपा के समय शिक्षा क्षेत्र में हिमाचल 21वें पायदान पर था, वह आज पांचवें स्थान पर पहुंच गया है। अब सरकार के निर्णयों को लोगों का सहयोग मिल रहा है। मैंने कभी नहीं कहा कि केंद्र हिमाचल का सहयोग नहीं कर रहा है, लेकिन जब घाव होता है उसी समय मरहम मिलना चाहिए जो केंद्र से नहीं मिला। हम अपने हकों की लड़ाई लड़ रहे हैं।
कुछ प्रशासनिक लड़ाई है तो कुछ अधिकारों की लड़ाई। हम पंचायत चुनाव टालने की बात नहीं कर रहे। हमारी प्राथमिकता पहले आपदा से जो प्रभावित हुए हैं उन्हें बसाना है। कांग्रेस के सत्ता में तीन साल के कार्यकाल पूरा करने पर मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू से 'दैनिक जागरण' की टीम प्रकाश भारद्वाज और अनिल ठाकुर ने विशेष बातचीत की। प्रस्तुत हैं उसके प्रमुख अंश:

तीन साल का कार्यकाल कितना चुनौतीपूर्ण रहा, अपने निर्णयों से संतुष्ट हैं?
यह मानने को कोई तैयार नहीं था कि हमारी सरकार द्वारा जो निर्णय लिए जा रहे थे, उसके परिणाम सुखद होंगे। स्कूल बंद व मर्ज करने के निर्णय को लेकर तो लोगों में बेहद नाराजगी थी। विपक्ष ने भी मुद्दा बनाकर इसे खूब उछाला। सरकार का यह कदम शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए था। इन्हीं सख्त निर्णयों का नतीजा है कि भाजपा के समय शिक्षा क्षेत्र में हिमाचल 21वें पायदान पर था, वह आज पांचवें स्थान पर पहुंच गया है। अब सीबीएसइ स्कूल, राजीव गांधी डे बोर्डिंग स्कूल व अंग्रेजी माध्यम जैसी पहल शुरू की गई है। अब सरकार के निर्णयों को लोगों का सहयोग मिल रहा है। समाज के अन्य वर्गों के साथ बुद्धिजीवी वर्ग ने भी सोचने का तरीका बदला। उसकी का परिणाम है कि व्यवस्था परिवर्तन के तीन साल पूरे होने पर प्रदेश की जनता को सरकार ने विकासात्मक योजनाओं को 60 प्रतिशत से अधिक धरातल पर उतारकर का लाभ पहुंचाया है। शेष चालीस प्रतिशत कार्य तेजी से पूरे किए जा रहे हैं।
केंद्र पर आपका आरोप रहता है कि हिमाचल के लिए सहयोगात्मक रवैया नहीं...क्या कहेंगे?
मैंने ऐसा कभी नहीं कहा कि केंद्र हिमाचल का सहयोग नहीं कर रहा है। हां, यह बात तो है कि जब घाव होता है तो तत्काल मरहम मिलना चाहिए जो केंद्र से नहीं मिला। वर्ष 2023 में हिमाचल ने सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा का सामना किया। केंद्र की टीम ने आकलन कर 9300 करोड़ रुपये का नुकसान बताया। इसकी एवज में केवल 451 करोड़ रुपये मिले वह भी दो साल बाद। इसी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वर्ष आपदा के बाद राज्य को 1500 करोड़ रुपये देने की घोषणा की, यह राशि अभी तक नहीं आई। लोगों के घर बहे, कई जानें गई, लेकिन भाजपा ने ऐसे मौके पर भी राजनीति की।

व्यवस्था परिवर्तन के तीन साल हो चुके हैं, नतीजा क्या आया?
हिमाचल देश का पहला राज्य है जो आपदा में अपना घर गंवा चुके लोगों को घर बनाने के लिए सात लाख व सामान खरीदने के लिए एक लाख रुपये दे रहा है। जब तक घर नहीं बन जाता रहने की व्यवस्था व उसका किराया भी दे रहे हैं। यही तो व्यवस्था परिवर्तन है। अस्पतालों की 19 साल पुरानी एमआरआइ मशीन बदली व घर से ही गाय का दूध 53 रुपये व भैंस का 63 रुपये प्रति लीटर खरीदने की व्यवस्था शुरू की। जिसके पास दो बीघा जमीन है वह प्राकृतिक खेती से खेती करेगा और उसे सरकार खरीदेगी।
हिमाचल की खस्ताहाल आर्थिक स्थिति में सुधार के प्रयासों का क्या परिणाम आया?
पहली बात यह कि इसके लिए भाजपा जिम्मेदार है। पूर्व की भाजपा सरकार ने कस्टमाइज्ड पैकेज के नाम पर हिमाचल के हितों को बेचा है, जबकि सत्ता में आने के बाद हमने अधिकारों की लड़ाई लड़ी। जल विद्युत परियोजनाओं की अवधि पूरी होने पर हमें 50 प्रतिशत रायल्टी मिलनी चाहिए। सतलुज जल विद्युत परियोजना, कौलडैम एनटीपीएसी को दे दिए। इनसे राज्य को क्या मिल रहा है। हमने सत्ता में आते ही हिमाचल के हक की लड़ाई लड़ते हुए रायल्टी बढ़ाने और परियोजना की अवधि पूरी होने से राज्य को वापस लेने के मामले केंद्र सरकार के समक्ष उठाए।
हिमाचल के हितों की लड़ाई आप से पहले भी लड़ी जाती रही?
-मुख्यमंत्री बनते हैं... आते हैं और चले जाते हैं। मैं हिमाचल के अधिकारों को दिलाने का काम कर रहा हूं। जब इसमें सफल हो जाएंगे तो हिमाचल को किसी के आगे हाथ फैलाकर गिड़गिड़ाने की जरूरत नहीं रहेगी। यही तो कहना चाहता हूं कि पहले के मुख्यमंत्रियों ने ऐसा सोचा होता तो आज यह स्थिति न होती। सिर्फ पिछली भाजपा सरकार की बात की जाए तो भाजपा सरकार ने कस्टमाइज्ड पैकेज के नाम पर हिमाचल को लुटाने का काम किया। पांच हजार बीघा जमीन 1.32 करोड़ रुपये में दी। बिजली तीन रुपये प्रति यूनिट पर और पानी भी औने-पौने मूल्य पर। वह भी तब जब जीएसटी से हिमाचल को कोई लाभ होने वाला नहीं।

2027 तक हिमाचल कैसे आत्मनिर्भर व 2032 में देश का सबसे अमीर राज्य बनेगा?
हम अपने हकों की लड़ाई लड़ रहे हैं। कुछ प्रशासनिक लड़ाई है तो कुछ अधिकारों की लडाई। पहले बिजली परियोजनाओं ने हिमाचल को लूटा। फिर भाजपा सरकार ने हिमाचल के हितों को बेचा। बिजली परियोजनाएं करोड़ों रुपये हमारे संसाधनों से कमाती है, हिमाचल को इसकी एवज में कुछ नहीं मिलता। वैसे ही पानी है। हिमाचल से पांच नदियां बहती है। पंजाब व हरियाणा में कोई नदी नहीं है। हमारे संसाधनों पर हमारा अधिकार है। हम इसकी लड़ाई लड़ रहे हैं।
मंत्रिमंडल के विस्तार का क्या होगा, अगर हां तो कब?
मंत्रिमंडल का विस्तार करना व इसमें बदलाव करना ये हाईकमान का निर्णय होता है...वही फैसला लेगा। मंत्रिमंडल विस्तार की संभावनाएं हमेशा बनी रहती हैं। मंत्रिमंडल विस्तार कभी भी हो सकता है।
पंचायत चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग से टकराव क्यों?
पंचायत चुनाव होंगे। हम चुनाव टालने की बात नहीं कर रहे। हमारी प्राथमिकता पहले आपदा से जो प्रभावित हुए हैं उन्हें बसाना है। जिसने घर खोया है उसे घर बनाकर देना है। पंचायत चुनाव के लिए कोई टकराव नहीं है न ही असमंजस है। यह चुनाव करवाए जाएंगे।
1500 रुपये की गारंटी पर विपक्ष आक्रामक है, आरोप है कि महिलाओं से छल किया गया?
चुनावों में महिलाओं को 1500 रुपये देने की गारंटी दी थी। सत्ता में आने के बाद सरकार ने महिलाओं को इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि के तहत 1500 रुपये दिए भी हैं। इसके लिए नियम बनाए गए हैं। आने वाले समय में इस गारंटी को अक्षरश: लागू किया जाएगा।
विस सत्र में विपक्ष इस बात से नाराज था कि प्रश्नों के उत्तर नहीं मिल रहे, क्या सूचना छिपाई जा रही है?
भाजपा का आरोप पूरी तरह गलत है। सूचना एकत्र करना व सूचना मुहैया करवाना दोनों का तरीका है। सूचना एकत्र की जा रही है यह कहा गया है। यदि सूचना न देनी होती तो नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के प्रश्न को आगे न लगाया जाता। सूचना देने का समय सत्ता पक्ष तय करेगा। भाजपा निश्चिंत रहे उन्हें पूरी सूचना मिलेगी। हां, कुछ प्रश्नों के उत्तर देने में देरी हुई है।
एक साल से कांग्रेस की कार्यकारिणी नहीं है, कितना नुकसान हुआ, विनय क्या उम्मीदों पर खरा उतरेंगे?
कांग्रेस अध्यक्ष का पद खाली नहीं था, केवल कार्यकारिणी भंग थी। विनय कुमार को अध्यक्ष बनाने से पहले मुझसे भी चर्चा हुई। सभी मंत्रियों व अन्य नेताओं की राय पूछी गई। वे विस उपाध्यक्ष रहे हैं, लंबे समय से कांग्रेस में है। उनके नेतृत्व में कांग्रेस आगे बढ़ेगी और काम करेगी। जहां तक विकास चर्चा प्रभारी की बात है वह सरकार ने नियुक्त किए हैं। विकास चर्चा प्रभारी लगाने का मकसद सरकार की नीतियों व विकास कार्यों को जनता के बीच रखना है।
चिट्टे के खात्मे के लिए लड़ाई लड़ी जा रही है, अवैध खनन रोकने को क्या करेंगे?
अवैध खनन रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान के साथ मेरी विस्तृत चर्चा हुई है। आने वाले दिनों में इस को लेकर भी काम किया जाएगा।
आप और उपमुख्यमंत्री के बीच रिश्तों पर बार-बार सवाल आखिर क्यों उठते हैं?
मेरे व मुकेश अग्निहोत्री के बीच किसी तरह का मतभेद नहीं है। वह मुझे सलाह देते हैं और मैं उसे सुनता भी हूं और अमल भी करता हूं। कैबिनेट के प्रत्येक निर्णय में उनकी सहमति होती है। उपमुख्यमंत्री ठीक कहते हैं कि कुछ निर्णय लेने का अधिकार केवल मुख्यमंत्री के पास होता है। लोग इसका गलत अर्थ निकाल लेते हैं।
तीन सालों में सबसे ज्यादा खुशी कब मिली?
शिक्षा क्षेत्र में जब हम 21वें से 5वें पायदान पर आए, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने व स्वास्थ्य क्षेत्र में किए सुधारों के 60 प्रतिशत परिणाम सामने आए तो खुशी मिली। अधिकारी भी इसकी कल्पना नहीं कर पा रहे थे, लेकिन इसके नतीजे सामने आए।
सबसे ज्यादा गुस्सा कब आता है?
जब अधिकारी आम जनता की नहीं सुनते तब सबसे ज्यादा गुस्सा आता है। मैं चाहता हूं कि अधिकारी लोगों की समस्याओं का त्वरित समाधान करना सुनिश्चित करे। ऐसा नहीं है, अधिकारियों की कार्य प्रणाली में सुधार आया है।

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