कृषि वैज्ञानिकों ने माना, शून्य बजट प्राकृतिक खेती आज की जरूरत
पांच राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों व कृषि वैज्ञानिकों ने माना कि शून्य बजट खेती बेहतर है।
राज्य ब्यूरो, शिमला : पांच राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों व कृषि वैज्ञानिकों ने माना है कि पद्मश्री सुभाष पालेकर की शून्य बजट प्राकृतिक खेती वर्तमान समय की जरूरत है। हरियाणा के गुरुकुल कुरुक्षेत्र में दो दिवसीय शून्य बजट प्राकृतिक खेती कार्यशाला में हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, राजस्थान व उत्तर प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति व कृषि वैज्ञानिक शामिल हुए।
कृषि वैज्ञानिकों ने माना कि रासायनिक और जैविक खेती ने किसानों को न केवल बरबाद किया है बल्कि पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंचाया है। इसकी भरपाई सिर्फ शून्य बजट प्राकृतिक खेती को अपनाकर ही की जा सकती है। कार्यशाला में आए लोगों ने राज्यपाल के साथ गुरुकुल की अत्याधुनिक गोशाला, एनडीए विंग, जीवामृत निर्माण केंद्र सहित विभन्न प्रकल्पों का निरीक्षण किया। उन्होंने गुरुकुल के शून्य बजट प्राकृतिक खेती फार्म में फसलों का मुआयना किया। इस दौरान राज्यपाल आचार्य देवव्रत, पद्मश्री सुभाष पालेकर, पंजाब के राज्यपाल के सचिव जेएम बालामुरुगन, मध्य प्रदेश के ग्वालियर कृषि विवि के कुलपति डॉ. एस के राव, जबलपुर कृषि विवि के कुलपति डॉ. पी के बीसेन, राजस्थान के कोटा कृषि विवि के कुलपति डॉ. जीएल केशवा, जोबनेर कृषि विवि के कुलपति डॉ. पीएस राठौर, एनडीआरआइ करनाल से डॉ एसके शर्मा, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. हरिओम, डॉ. सहारण सहित कई कृषि वैज्ञानिक उपस्थित थे।