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प्रशिक्षण के बाद ही उड़ान भर पाएंगे मानव परिंदे, नियमों में हुआ बदलाव

पैराग्लाइडिंग के दौरान हो रहे हादसों को देखते हुए प्रशासन अब सख्‍त हो गया है अब प्रशिक्षण प्रमाणपत्र दिखाने के बाद ही मानव परिंदे उड़ान भर पाएंगे।

By Babita kashyapEdited By: Published: Fri, 29 Nov 2019 09:12 AM (IST)Updated: Fri, 29 Nov 2019 09:12 AM (IST)
प्रशिक्षण के बाद ही उड़ान भर पाएंगे मानव परिंदे, नियमों में हुआ बदलाव

दविंद्र ठाकुर, जेएनएन। नियमों को नजरअंदाज करने वाले मानव परिंदों के पर उड़ान भरने से पहले ही कतर दिए जाएंगे। पैराग्लाइडिंग के दौरान हो रहे हादसों से सबक लेते हुए पर्यटन विभाग ने नियमों को सख्त करते हुए कुछ और औपचारिकताएं भी जरूरी कर दी हैं। पैराग्लाइडिंग साइटों पर प्रशिक्षण का प्रमाणपत्र दिखाने के बाद ही पैराग्लाइडर उड़ान भर पाएंगे।

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15 दिन का प्रशिक्षण अनिवार्य

पर्यटन विभाग ने प्रशिक्षण का समय निर्धारित किया है। दिसंबर के दूसरे सप्ताह पैराग्लाइडरों को 15 दिन का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस दौरान पायलटों को सुरक्षा नियमों का पाठ भी पढ़ाया जाएगा।

पैराग्लाइडिंग के समय पहनना होगा पहचानपत्र

पायलट को पर्यटन विभाग की ओर से जारी पहचानपत्र पहनकर ही उड़ान भरनी होगी। विभाग भी इस पर नजर रखेगा। पैराग्लाइडिंग करवाने वाले संचालकों को भी इसका ध्यान रखना होगा अन्यथा उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी।  

पैराग्लाइडिंग की समयसारिणी में होगा बदलाव

पर्यटन विभाग ने पैराग्लाइडिंग की समयसारणी में बदलाव किया है। इससे पायलट सूरज के ढलने के बाद भी उड़ान भरते थे। अब विंटर में पहली अक्टूबर से 31 मार्च तक सुबह नौ से शाम पांच बजे तक तथा समर सीजन में पहली अप्रैल से 30 सितंबर तक सुबह नौ से शाम सात बजे तक पैराग्लाइडिंग होगी।

अब स्थान में नहीं होगा बदलाव

 कुल्लू में सात पैराग्लाइडिंग साइटें हैं। पहले यह होता था कि पर्यटकों की भीड़ बढ़ने पर संचालक दूसरी जगह पैराग्लाइडिंग  करवाते थे। अब निर्धारित साइट पर ही बुकिंग पर पैराग्लाइडर उड़ाना पड़ेगा। 

लगातार हो रहे हादसों के कारण विभाग ने पैराग्लाइडर्स  के लिए प्रशिक्षण जरूरी कर दिया है। इसके बाद ही पायलट उड़ान भर पाएंगे। इनके लिए पहचानपत्र अनिवार्य कर दिया है।

-बीसी नेगी, जिला पर्यटन अधिकारी कुल्लू

प्रदेश में पर्यटकों की सुरक्षा के लिए सरकार की ओर से कड़े नियम बनाए जा रहे हैं। भविष्य में घटना न हो इसके

लिए प्रशिक्षण अनिवार्य किया गया है। 

-गोविंद ठाकुर, वन मंत्री 

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