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प्रदेश निजी स्कूल एसोसिएशन ने दसवीं व बारहवीं कक्षा की वार्षिक परीक्षाओं को स्थगित करने का किया विरोध

महेश राणा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड परीक्षाओं का कोविड नियमों का पालन करते हुए सफल आयोजन कर रहा था परंतु सरकार द्वारा सीबीएसई बोर्ड की तर्ज पर परीक्षाओं को स्थगित करने का निर्णय तर्कसंगत नहीं है।

By Richa RanaEdited By: Published: Thu, 15 Apr 2021 01:06 PM (IST)Updated: Thu, 15 Apr 2021 01:06 PM (IST)
दसवीं एवं 12वीं कक्षा की वार्षिक परीक्षाओं को स्थगित करने के निर्णय का विरोध किया है।

जयसिंहपुर, जेएनएन। हिमाचल प्रदेश निजी स्कूल एसोसिएशन सरकार के दसवीं एवं 12वीं कक्षा की वार्षिक परीक्षाओं को स्थगित करने के निर्णय का कड़ा विरोध करती है। एसोसिएशन के महासचिव महेश राणा ने जारी बयान में कहा कि हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड परीक्षाओं का कोविड नियमों का पालन करते हुए सफल आयोजन कर रहा था परंतु सरकार द्वारा सीबीएसई बोर्ड की तर्ज पर परीक्षाओं को स्थगित करने का निर्णय तर्कसंगत नहीं है।

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उन्होंने कहा कि सीबीएसई द्वारा पूरे देश मे एक समान परीक्षा ली जाती है जबकि हिमाचल बोर्ड को प्रदेश स्तर पर लेनी थी। हिमाचल में कोरोना की स्थिति इतनी भी खराब नही थी कि परीक्षाओं को स्थगित करना पड़े। कोरोना पोजटिव बच्चों के परीक्षा बाद में लेने का प्रावधान किया गया था तो फिर पेपर पोस्टपोन करने का कोई औचित्य नहीं था। उन्होंने कहा कि 17 मई के बाद भी पेपर होंगे या नहीं इस पर भी संशय है ऐसे में बच्चों की मानसिक स्थिति पर भी असर पड़ेगा। 

एक महीने के बाद बच्चों को तैयारी करने में दिक्कत आएगी और वह परीक्षा में अच्छे प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे । बच्चे एवं उनके अभिभावक भी सरकार के इस निर्णय से प्रभावित है और वह भी चाहते हैं कि परीक्षाएं पूर्ण रूप से संचालित जिससे उनकी तैयारी पर और उनकी मेहनत विफल नहीं जाए। समाज के बुद्धिजीवियों एवं आम जनता का यह मानना है कि सरकारी आयोजन में जिसमें चुनाव रैलियां एवं कार्यक्रमों में करोना नहीं है पर जब बात शिक्षा की आती है और स्कूल की आती है तो करोना को देखते हुए स्कूल बंद रखे जाते हैं यह समझ से परे है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को निजी स्कूलों की स्थिति पर भी गंभीरता से विचार करने की जरूरत है । उउन्होंने कहा कि प्रदेश में 4000 के करीब निजी स्कूल हैं जिसमे 90 प्रतिशत स्कूल ग्रामीण इलाकों में हैं जो सरकार के ऐसे निर्णयों से बंद होने के कगार पर पहुंच चुके हैं। स्कूल बसें खड़े खड़े खराब हो रही हैं ऊपर से इनकी बैंक की किस्तें, इंश्योरेंस व टैक्स के खर्च ने निजी स्कूल प्रबंधकों के हाथ खड़े कर दिए हैं।


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