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Dussehra In Baijnath: हिमाचल के बैजनाथ में आखिर क्‍यों नहीं जलाया जाता रावण का पुतला, जानिए रोचक तथ्‍य

Baijnath Dussehra Festival देश में दशहरा पर्व विजयदशमी व बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है और लंकापति रावण का पुतला जलाया जाता है। लेकिन हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा में एक ऐसा स्थान भी है जहां पर रावण का पुतला नहीं जलाया जाता।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Tue, 04 Oct 2022 07:05 AM (IST)Updated: Tue, 04 Oct 2022 07:39 AM (IST)
Dussehra In Baijnath: हिमाचल के बैजनाथ में आखिर क्‍यों नहीं जलाया जाता रावण का पुतला, जानिए रोचक तथ्‍य
बैजनाथ का शिव मंदिर, यहां रावण ने तपस्‍या की थी।

धर्मशाला, जागरण टीम। Baijnath Dussehra Festival, पूरे देश में दशहरा पर्व विजयदशमी व बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है और लंकापति रावण का पुतला जलाया जाता है। लेकिन हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा में एक ऐसा स्थान भी है, जहां पर रावण का पुतला नहीं जलाया जाता। यहां रावण का पुतला जलाना अनिष्ठ माना जाता है। जी हां यहां बात हो रही है जिला कांगड़ा के बैजनाथ क्षेत्र की। यहां पर रावण का पुतला नहीं जलाया जाता और न ही दशहरे पर आयोजन होता है।

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जिन्‍होंने भी जलाया रावण उनके साथ हुआ अनिष्‍ठ

कुछ लोगों ने इसे शुरू करने का प्रयास किया था, लेकिन रावण के पुतले को जलाने वाले के साथ ही अनिष्ठ घटना हो जाती थी, इसलिए इसे बंद कर दिया गया। वहीं इस क्षेत्र में कोई भी सुनार की दुकान नहीं है। अगर कोई सुनार यहां दुकान खोलता है तो आग लगने से उसका सारा कारोबार चौपट हो जाता है और दुकान जल जाती है। ऐसी घटनाएं यहां हो चुकी हैं। इसलिए यहां पर दशहरा उत्सव का आयोजन नहीं होता।

इस तरह लंका की बजाय बैजनाथ में स्थापित हो गया शिवलिंग

यहां पर भगवान शिव पिंडी रूप में विराजमान हैं। यहां पर लघुशंका के लिए रावण रुका था और शिव की पिंडियां गवाले के पास देकर गया लेकिन जब वापस आया तो भगवान शिव यहीं पर स्थापित हो चुके थे। रावण भगवान शिव का परम भक्‍त था। इसी कारण यहां पर रावण के पुतले को नहीं जलाया जाता। शिव को यहां स्थापित करवाने का माध्यम रावण रहा है। मान्यता है कि यहां स्थापित शिवलिंग रावण द्वारा लंका ले जाया जाने वाला शिवलिंग था। जो भगवान शिव से बीच रास्ते में न रखने की एक शर्त के पूरा न होने के कारण यहां स्थापित हो गया। इसके बाद रावण ने यहीं पर भगवान शिव की तपस्या की थी और मोक्ष का वरदान प्राप्त किया था।

आभूषण का कारोबार अब बैजनाथ नहीं पपरोला में

सोने का कारोबार बैजनाथ के बजाय पपरोला में होता है। पपरोला में ही आभूषण की दुकानें मिलेंगी, जबकि बैजनाथ में सुनार की दुकान नहीं है। यहां पर आग लगने का डर रहता है। कुछ दुकानदारों ने यहां पर आभूषणों के लिए दुकानें खोली पर आग लगने व अन्य अनिष्ठ के कारण सफल नहीं हो सके।

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