मुख्यमंत्री बोले: विपक्ष के रवैये पर निर्भर करती है बातचीत, वीरभद्र सिंह सलाह न दें, हमने आपका वक्त भी देखा
Himachal Pradesh Budget Session 2021 हिमाचल प्रदेश विधानसभ के बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा बातचीत विपक्ष के रवैये पर निर्भर करती है। विधानसभा में चल रहे गतिरोध पर सीएम जयराम ने कहा विधानसभा को चलाने के लिए सत्ता पक्ष व विपक्ष का होना बहुत जरूरी है।
शिमला, जेएनएन। Himachal Pradesh Budget Session 2021, हिमाचल प्रदेश विधानसभ के बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा बातचीत विपक्ष के रवैये पर निर्भर करती है। विधानसभा में चल रहे गतिरोध पर सीएम जयराम ने कहा विधानसभा को चलाने के लिए सत्ता पक्ष व विपक्ष का होना बहुत जरूरी है। मुद्दों पर चर्चा होती है, जो भी विपक्ष ने किया है वह दुखद है। सभी की इच्छा है कि सदन में सार्थक चर्चा हो। इससे सदन का नुकसान हो रहा है। पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के निलंबित विधायकों के साथ धरने पर बैठने को लेकर सीएम ने कहा कि उनकी पूर्व सीएम से कोई बात नहीं हुई है। अगर वो आज सदन में आते हैं तो वे जरूर उनसे इस संबंध में बात करेंगे। निलंबित विधायकों को मनाने के संबंध में सीएम ने कहा कि यह सब विपक्ष के रवैये पर निर्भर करता है।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह हमें सलाह न दें, हमने वह समय भी देखा है, जब हमें बसों में भरकर दूर जंगल में छोड़ा गया था। विपक्ष में रहते हुए भाजपा विधायकों ने केवल सदन के बीचों बीच आकर विरोध प्रदर्शन किया था और उस समय कांग्रेस सरकार ने विपक्ष के साथ इस तरह से व्यवहार किया था, जबकि विपक्ष का हक होता है कि वह लोकतांत्रिक तरीके से विरोध प्रदर्शन करे। लेकिन यहां पर मामला राज्यपाल के साथ दुर्व्यवहार से जुड़ा है। इसलिए हमें भी यह अच्छा नहीं लग रहा कि सदन में केवल सत्तापक्ष है। मैं चाहूंगा कि कांग्रेस के जो विधायक बाहर गए हैं, वह तो भीतर आएं। उनका कहना था कि राज्यपाल के साथ हुई घटना के लिए कांग्रेस विधायकों को जाकर माफी मांगनी चाहिए।
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करुणामूलक संघ ने किया प्रदर्शन
प्रदेश करुणामूल्क संघ ने विधानसभा परिसर के बाहर धरना दिया और प्रदर्शन किया। अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाने के लिए विधानसभा के बाहर पहुंचे। करुणामूल्क संघ मांग कर रहा है कि एकमुश्त आधार पर पदों को भरा जाए। इन पदों को भरने के लिए 62500 रुपये की शर्त को समाप्त किया जाए और इसके स्थान पर ढाई लाख रुपये सालाना परिवार की आय निर्धारित की जाए। इन शर्तों के कारण करुणामूल्क आधार पर 70 फीसदी को नौकरियां नहीं मिल रही हैं।