हिमाचल के राज्य सहकारी बैंक में फर्जी डिग्री से पा ली नौकरियां, 450 डिग्रियां जांच के दायरे में, पढ़ें खबर
Himachal Cooperative Bank हिमाचल प्रदेश के राज्य सहकारी बैंक में भर्तियों के बाद अब डिग्रियों का विवाद सामने आया है। बैंक के कर्मचारियों व अधिकारियों की स्नातक की करीब 450 डिग्रियां विजिलेंस जांच की जद में आ गई हैं।
शिमला, रमेश सिंगटा। हिमाचल प्रदेश के राज्य सहकारी बैंक में भर्तियों के बाद अब डिग्रियों का विवाद सामने आया है। बैंक के कर्मचारियों व अधिकारियों की स्नातक की करीब 450 डिग्रियां विजिलेंस जांच की जद में आ गई हैं। आरोप है कि न केवल इन डिग्रियों के दम पर नौकरी हासिल की गई, बल्कि पदोन्नति भी ली गई हैं। पुख्ता सूत्र इसकी पुष्टि करते हैं। विजिलेंस की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि भारतीय जनता पार्टी की ओर से तैयार चार्जशीट में जो भी आरोप लगाए गए थे, वे सही पाए जा रहे हैं।
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ये डिग्रियां बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, तेलंगाना व केरल आदि राज्यों से हासिल की गई हैं। इनमें निजी विश्वविद्यालयों के अलावा कुछ सरकारी विश्वविद्यालय भी हैं। आरोप है कि ये विश्वविद्यालय अपने कैंपस से बाहर परीक्षाएं नहीं करवा सकते थे, लेकिन इनके लिए शिमला, चंबा व कांगड़ा आदि स्थानों पर परीक्षा केंद्र दर्शाए गए। इस कारण इन डिग्रियों के फर्जी होने का अंदेशा जताया गया।
विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को लिखे थे पत्र
हिमाचल प्रदेश के विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो ने अन्य राज्यों के कुलपतियों को पत्र लिखे। इनमें संदिग्ध डिग्रियों की सत्यता का पता करने को कहा गया। इसे लेकर जांच एजेंसी की टीमों ने इन राज्यों में भी जांच की है। कुछ और पत्र भी लिखे गए हैं। जो जानकारी आई है, इसके आधार पर आरोपों में सच्चाई दिख रही है।
चार्जशीट के आधार पर जांच
विजिलेंस ने भाजपा की चार्जशीट के आधार पर प्रारंभिक जांच की। इसमें बैंक में भर्तियों में भी धांधलियां बरतने के आरोप लगे थे, डिग्रियों पर भी सवाल उठाए गए थे।
दो डिग्रियां निकली थी फर्जी, बैंक कर्मियों पर लगी पेनल्टी
बैंक प्रबंधन की ओर से छह डिग्रियों पर फर्जी होने का शक जताया गया था। इसे लेकर प्रबंध निदेशक ने विजिलेंस को पत्र लिखा था। इनमें से दो डिग्रियां फर्जी पाई गई हैं। इसके आधार पर प्रबंधन ने दो कर्मियों को पेनल्टी लगाई है। एक एजीएम पदोन्नत हो गया था। उससे पदोन्नति के समय के वेतन की रिकवरी की गई है। दूसरे ने पदोन्नति नहीं ली थी। दोनों को पांच साल की सर्विस ब्रेक दी गई है। लेकिन कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है।
विजिलेंस को वेरिफिकेशन के लिए कहा : बैंक प्रबंधन
प्रबंध निदेशक स्टेट कॉपरेटिव बैंक पंकज ललित का कहना है हमने विजिलेंस को छह डिग्रियों की वेरिफिकेशन के लिए कहा था। इसमें से चार सही पाई गई हैं। दो डिग्रियां फर्जी निकली हैं। इसके आधार पर दोनों कर्मियों को सर्विस ब्रेक दिया गया है। पदोन्नति वापस ली गई, लेकिन एफआइआर दर्ज नहीं कर्रवाई गई है। ये डिग्रियां दूसरे प्रदेशों के निजी विश्वविद्यालयों से ली गई थी। सभी पुराने मामले हैं। इनके अलावा विजिलेंस क्या कर रही है, इसके बारे में मुझे जानकारी नहीं है।
मानव भारती विवि में सामने आया था घोटाला
सोलन जिले के सुल्तानपुर स्थित मानव भारती विश्वविद्यालय में फर्जी डिग्रियों का बड़ा घोटाला सामने आया था। वहां लाखों डिग्रियां फर्जी पाई गईं। पहले पुलिस की एसआइटी ने जांच की और अब सीआइडी की एसआइटी कर रही है। यह घोटाला हजारों करोड़ों रुपये का है। इस मामले में अभी कई लोगों की गिरफ्तारियां हो सकती है। दूसरा मामला एपीजी विश्वविद्यालय का है। वहां सीआइडी ने इसी वर्ष केस दर्ज किया था।