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उपवास से बढ़ाएं दिमाग की ताकत

उपवास के संदर्भ में कई देशों में शोध-अध्ययन जारी हैं। मेडिकल रिसर्च से यह बात सामने आयी है कि कुछ अंतराल पर उपवास रखने पर अनेक प्रकार के स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं।

By Pratibha Kumari Edited By: Updated: Wed, 30 Nov 2016 05:21 PM (IST)
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आज अमेरिका और चीन से लेकर भारत आदि देशों में मोटापा एक अभिशाप बनता जा रहा है। डायबिटीज, हृदय रोग और कैंसर से लेकर बढ़ती उम्र के साथ होने वाली बीमारियां एक बड़ी जनसंख्या को अपनी गिरफ्त में ले रही हैं, ऐसे में उपवास की महत्ता को लेकर चर्चा तेज हो गई है।

जारी हैं शोध-अध्ययन

दुनियाभर के अनेक वैज्ञानिक उपवास के फायदों को लेकर निरंतर शोध (रिसर्च) व अध्ययन कर रहे हैं। अध्ययनों से यह बात सामने आयी है कि कुछ-कुछ अंतराल पर उपवास करने से अनेक प्रकार के स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं। इनमें वजन घटाने से लेकर हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल कम करना शामिल है। अमेरिका स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजिंग की न्यूरोसाइंस लेबोरेट्री के प्रमुख और जॉन हॉपकिन्स विश्वविद्यालय में न्यूरोसाइंस के प्रोफेसर मार्क मैटसन पिछले कई वर्षों से इस विषय पर शोध कर रहे हैं। उपवास करने से हृदय, मांसपेशियां, आंत और शरीर के अन्य अंग बेहतर कार्य कर पाते हैं और इससे मस्तिष्क की शक्ति बढ़ती है।

मस्तिष्क रोगों की रोकथाम

प्रोफेसर मार्क के अनुसार, उपवास के दौरान ऊर्जा की खपत कम होने से मस्तिष्क न्यूरोडिजनेरिटव (बढ़ती उम्र के साथ तंत्रिका तंत्र या नर्वस सिस्टम से संबंधित रोग) बीमारियों को रोकने में सफल होता है। इससे याददाश्त बढ़ती है और मूड खुशनुमा होता है। मस्तिष्क की ज्ञान से संबंधित क्रिया में सुधार होने से ही अल्जाइमर और पार्किंसन जैसे रोगों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। वर्षों से जारी अपने प्रयोगों के दौरान मैटसन और उनकी टीम इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि अगर हफ्ते में दो दिन का उपवास किया जाए, तो इससे मस्तिष्क के हिप्पोकैम्पस (मस्तिष्क का महत्वपूर्ण भाग) की क्षमता में में सुधार आता है। मस्तिष्क की कोशिकाओं में एमिलॉयड प्लेक एकत्र नहीं हो पाते हैं। यह एमिलॉयड प्लेक एक प्रकार का प्रोटीन है, जो अल्जाइमर के मरीजों में पाया जाता है। मार्क की मानें, तो नर्वस सिस्टम के सशक्त होने से व्यक्ति में अवसाद (डिप्रेशन) की समस्या उत्पन्न नहीं होती। प्रोफेसर मार्क के अनुसार उपवास समूचे

एहतियात जरूरी

हालांकि हर किसी को उपवास की सलाह नहीं दी जा सकती। गुड़गांव स्थित मेदांता द मेडिसिटी के एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. अंबरीश मित्तल के अनुसार, जो लोग डायबिटीज (मधुमेह) से पीड़ित हैं, उनके लिए उपवास रखना नुकसानदेह है। उपवास से अनेक लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव भी पड़ सकता है।

स्वस्थ व्यक्ति रखें उपवास

नई दिल्ली स्थित अपोलो हॉस्पिटल के सीनियर नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ.डी.के.अग्रवाल की राय में स्वस्थ व्यक्तियों के लिए हफ्ते-पंद्रह दिन में एक बार उपवास रखना लाभप्रद हो सकता है।

जरूरी है हल्का भोजन

नई दिल्ली स्थित सरगंगाराम अस्पताल के सीनियर न्यूरो एंड स्पाइन सर्जन डॉ. सतनाम सिंह छाबड़ा की मानें, तो स्वस्थ लोग कम मात्रा में दिन में तीन-चार बार हल्के पोषक तत्वों से युक्त डाइट लें और समुचित व्यायाम
करें, तो इससे अच्छी सेहत बरकरार रखने में मदद मिलेगी।

आयुर्वेद में उपवास

आयुर्वेद में लंघन एक विशिष्ट चिकित्सा पद्धति है, जो शरीर से विषाक्त तत्वों को कम करने और बाहर निकालने
में सहायक है। उपवास इसी लंघन का एक भाग है। लंघन का शाब्दिक अर्थ है शरीर में लघुता या हल्कापन लाना।
उपवास के लिए रोग और व्यक्ति की अवस्था के अनुसार एक निश्चित समय के लिए किसी भी प्रकार के भोजन का त्याग करना होता है। वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. प्रताप चौहान बताते हैं कि आयुर्वेद में कई प्रकार के रोगों में उपवास की उपयोगिता का उल्लेख किया गया है, जैसे-बुखार या ज्वर, वमन या उल्टी आना, नेत्र संक्रमण, दस्त, त्वचा के रोग, मूत्र विकार, मोटापा, लिवर, हृदय, गला, फेफड़ों और सिर से संबंधित रोगों में उपवास का उद्देश्य शरीर में चयापचय क्रिया (मेटाबॉलिज्म) के दौरान उत्पन्न विषाक्त तत्व का पाचन कर अग्नि तत्व की वृद्धि करना होता है। उपवास के कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं...

-शरीर से मल-पेशाब और अपान वायु का समुचित रूप से बाहर निकलना।
-तरोताजा और ऊर्जावान महसूस करना।
-शरीर की सभी प्रक्रियाओं में सुधार होना।
-सुस्ती और थकान दूर होना।
-स्वाद, भूख, प्यास और नींद का संंतुलित होना।
-मन का शांत और प्रसन्नचित्त होना।