Baroda By-Elections 2020 Result: गढ़ बचाने में कामयाब रहे हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा
Baroda By-Elections 2020 Result मुख्य मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी इंदुराज नरवाल उर्फ भालू और भाजपा प्रत्याशी अंतरराष्ट्रीय पहलवान योगेश्वर दत्त के बीच रहा। इनेला प्रत्याशी जोगेंद्र सिंह और लोसुपा प्रत्याशी राजकुमार सैनी ने कांग्रेस-भाजपा के हार-जीत के गणित को प्रभावित करने की कोशिश की।
सोनीपत [नंदकिशोर भारद्वाज]। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने गढ़ बरोदा को बचाने में कामयाब रहे, वहीं मुख्यमंत्री मनोहर लाल इस बार भी बरोदा में कमल खिलाने में सफल नहीं हुए। कांग्रेस प्रत्याशी इंदुराज नरवाल ने अपने प्रतिद्वंद्वी योगेश्वर दत्त को 12000 से अधिक मतों से हरा दिया। बता दें कि कांग्रेसी विधायक श्रीकृष्ण हुड्डा के निधन के बाद खाली हुई बरोदा विधानसभा में उपचुनाव की घोषणा होते ही कांग्रेस से पहले भाजपा सक्रिय हो गई थी। दो महीने से अधिक समय तक मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उनकी सरकार के सभी मंत्री बरोदा में डेरा डाले रहे। प्रत्याशियों की घोषणा के बाद सियासी परा पूरी तरह चरम पर पहुंच गया था। मुख्य मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी इंदुराज नरवाल उर्फ भालू और भाजपा प्रत्याशी अंतरराष्ट्रीय पहलवान योगेश्वर दत्त के बीच ही रहा। हालांकि, इनेला प्रत्याशी जोगेंद्र सिंह और लोसुपा प्रत्याशी राजकुमार सैनी ने कांग्रेस-भाजपा के हार-जीत के गणित को प्रभावित करने की कोशिश की।
बता दें कि बरोदा को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ माना जाता रहा है। कांग्रेस प्रत्याशी श्रीकृष्ण हुड्डा यहां से तीन बार विधानसभा पहुंचे थे। बरोदा से भाजपा एक बार भी नहीं जीती है, इसलिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस सीट को जीतने के लिए पूरा जोर लगा रखा था। कांग्रेस और भाजपा ने इस सीट पर जीत को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया था।
हलके के सबसे बड़े दस गांव निभाएंगे हार-जीत में अहम भूमिका
बरोदा उपचुनाव में हलके के सबसे अधिक मतदाताओं वाले दस गांवों ने प्रत्याशियों की हार-जीत में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। तीनों प्रमुख दलों के प्रत्याशी इन गांवों में धुआंधार प्रचार कर रहे थे। बरोदा, बुटाना, कथूरा, भैंसवाल कलां, मुंडलाना, शामड़ी, जागसी, धनाना, गंगाना और भावड़ सबसे बड़े गांव हैं। इनमें से कई गांवों में तो दो-दो और दो गांवों में तीन-तीन पंचायतें हैं।
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बरोदा विधानसभा क्षेत्र का इतिहास
- बरोदा हलका (1966 से 2005 तक एससी के लिए रिजर्व रहा और 2009 में ओपन हुआ)
- 1967 में कांग्रेस पार्टी से रामधारी विधायक बने और बीजेएस पार्टी से डी सिंह हारे
- 1968 में विशाल हरियाणा पार्टी से श्यामचंद विधायक बने और कांग्रेस पार्टी से रामधारी हारे
- 1972 में श्यामचंद कांग्रेस से विधायक बने और नेशनल कांग्रेस से रामधारी हारे
- इसके बाद बरोदा सीट पर लगभग 32 साल तक स्व. देवीलाल परिवार का दबदबा रहा
- 1977 में भलेराम जनता पार्टी से विधायक बने और निर्दलीय धारा सिंह हारे
- 1982 में लोकदल से भलेराम विधायक बने और कांग्रेस से सरदार हारे
- 1987 में लोकदल से कृपाराम विधायक बने और कांग्रेस से श्मायचंद हारे
- 1991 में जनता पार्टी से रमेश खटक विधायक बने और रामधारी कांग्रेस से हारे
- 1996 मेें समाजवादी जनता पार्टी से रमेश खटक विधायक बने और हविपा से चंद्रभान हारे
- 2000 में इनेलो से रमेश खटक विधायक बने और कांग्रेस पार्टी के श्यामचंद को हराया
- 2005 में इनेलो से रामफल चिड़ाना विधायक बने और कांग्रेस से रामपाल हारे
- 2009 में यह हलका पहली बार ओपन हुआ, जिसमें कांग्रेस पार्टी से श्रीकृष्ण हुड्डा विधायक बने और इनेलो से डॉ. कपूर सिंह नरवाल हारे
- 2014 में कांग्रेस से श्रीकृष्ण हुड्डा विधायक बने और इनेलो से डा. कपूर सिंह नरवाल हारे
- 2019 में कांग्रेस से श्रीकृष्ण हुड्डा विधायक बने और भाजपा से पहलवान योगेश्वर दत्त हारे
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