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ट्यूबवेल के पानी से भूमि की उपजाऊ शक्ति हो रही है कमजोर

ट्यूबवेल के पानी से भूमि की उपजाऊ शक्ति बिगड़ रही है। ट्यूबवेल

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Feb 2021 05:23 AM (IST)Updated: Thu, 18 Feb 2021 05:23 AM (IST)
ट्यूबवेल के पानी से भूमि की उपजाऊ शक्ति हो रही है कमजोर

जागरण संवाददाता, सिरसा: ट्यूबवेल के पानी से भूमि की उपजाऊ शक्ति बिगड़ रही है। ट्यूबवेल के पानी से सिचाई करने से भूमि की भौतिक व रासायनिक दशा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। खेतों में सिचाई करने से पहले ट्यूबवेल के पानी की जांच करवाना जरूरी है। जबकि किसान पानी की जांच नहीं करवाते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र में ट्यूबवेल के पानी की निशुल्क जांच की जाती है। गौरतलब है कि भूमिगत जल औसतन 27 फीसद ही कृषि योग्य है। 18 फीसद सामान्य, 18 फीसद क्षारीय, 11 फीसद लवणीय व 26 फीसद लवणीय क्षारीय है। जिस पानी में विद्युत चालकता 4 हजार से कम, विनियमनशील सोडियम कार्बोनेट 2.5 से अधिक तथा सोडियम अवशोषण अनुपात 10 से अधिक हो इसे क्षारीय जल कहलाता है। इसे भूमि का प्रयोग करने से भूमि की उपजाऊ शक्ति कमजोर हो जाती है। इसका असर उत्पादन पर पड़ता है। अगर इस पानी का लंबे समय से प्रयोग किया जाता तो उत्पादन होना बिल्कुल बंद हो जाता है।

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केंद्र में होती है निश्शुल्क जांच

कृषि विज्ञान केंद्र में पानी की निश्शुल्क जांच होती है। इसके लिए किसान ट्यूबवेल को कम से कम 2 से 3 घंटे चलाने के बाद चलते पानी को बोतल में भर लें। बोर में जिस-जिस सतह पर पानी पूरा मिले। उसी सतह से पानी का नमूना अलग-अलग बोतल में भरें। ट्यूबवेल का मीठा पानी भी जमीन व फसलों के लिए हानिकारक हो सकता है, इसके लिए पानी की जांच के बाद ही सिचाई करें।

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नहीं ट्यूबवेलों का पानी पीने योग्य

शहर में लगे अधिकतर ट्यूबवेलों का पानी पीने योग्य नहीं है। पब्लिक हेल्थ विभाग द्वारा सप्लाई किए जा रहे ट्यूबवेल के पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक है। जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। ट्यूबवेल के पानी में अधिक घुलनशील रसायनों (फ्लोराइड, लोह तत्व या नाइट्रेट) की अधिकता के कारण अनुपयोगी हो चुका है। जिसके कारण ये पीने के लायक नहीं बचा है। केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) की अलग-अलग जिलों से पिछले साल सैंपल लिए गये। रिपोर्ट में भी जिले के अंदर पानी पीने लायक नहीं बताया गया। पानी में रासायनिक पैरामीटर औसत सीमा से अधिक मिले। बढ़ रहे रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों के प्रयोग ने जल के सभी स्त्रोतों तथा तालाबों, कुओं, नदियों एवं सागर को भी प्रदूषित कर दिया है।

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समय-समय पर ट्यूबवेल के पानी की जांच करवानी चाहिए। इससे यह पता चल जाता है कि ट्यूबवेल के पानी में कितना फीसद क्षारीय, लवणीय व अन्य कोई दिक्कत है। इस पानी से लगातार सिचाई करते हैं तो भूमि बंजर हो सकती है।

- डा. देवेंद्र जाखड़, कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र, सिरसा।


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