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Emergency: दमन की दास्तां के मूक गवाह ये पेड़, दिग्गज नेता इन्हीं के नीचे गाते थे लोकतंत्र के तराने

Emergency इन पेड़ों के नीचे कभी चंद्रशेखर लालकृष्ण आडवाणी भैरोंं सिंह शेखावत जॉर्ज फर्नांडीज ताऊ देवीलाल सहित कई दिग्गज लोकतंत्र के तराने गाते थे।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 25 Jun 2020 12:01 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jun 2020 12:50 PM (IST)
Emergency: दमन की दास्तां के मूक गवाह ये पेड़, दिग्गज नेता इन्हीं के नीचे गाते थे लोकतंत्र के तराने
Emergency: दमन की दास्तां के मूक गवाह ये पेड़, दिग्गज नेता इन्हीं के नीचे गाते थे लोकतंत्र के तराने

रोहतक [ओपी वशिष्ठ]। नया बस स्टैंड स्थित हुडा सिटी पार्क, आपातकाल की कड़वी यादों का मूक गवाह है। शहर के इस चहेते पार्क की जगह कभी डिस्टिक्ट जेल हुआ करती थी। आपातकाल लगते ही बड़े नेताओं को जेलों में ठूंसा जाने लगा। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व उप राष्ट्रपति भैरोंं सिंह शेखावत, पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीज, ताऊ देवीलाल, बीजू पटनायक सरीखे नेताओं को दिल्ली से लाकर यहां की जेल में कैद किया गया था।

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भले ही आज यहां संगीतमयी फव्वारों और आम के पेड़ों की छाया के बीच लोग सैर-सपाटे के लिए आते हैं, लेकिन एक जमाना ऐसा भी था जब इन्हीं पेड़ों के नीचे लोकतंत्र के तराने गाए जाते थे। दिग्गज नेता सत्ता के दमन के खिलाफ यहां रणनीति बनाते थे। वर्ष 2013 में पुरानी जेल को तोड़कर सुनारिया स्थित नए परिसर में शिफ्ट कर दिया गया। लेकिन, पुरानी जेल में लगे पेड़ों को नहीं काटा गया। जेल की काल कोठरी तो नहीं रही, लेकिन आम के पेड़ आज भी लोकतंत्र समर्थकों के संघर्ष के किस्सों को बयां करते हैं।

आडवाणी डिप्टी पीएम बनने के बाद रोहतक जेल देखने पहुंचे थे

आपातकाल के नायकों में शुमार वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी 18 जुलाई 1975 से 22 जुलाई 1975 तक रोहतक जेल में बंद रहे थे। उन्हें ए-क्लास श्रेणी में रखा गया था। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में आडवाणी जब उपप्रधानमंत्री बने तो उन्होंने रोहतक जेल की उस बैरक को देखने की इच्छा जताई, जहां उन्हें आपातकाल के दौरान रखा गया था। 27 जून 2003 को वह रोहतक जेल पहुंचे थे। करीब 30 मिनट तक वहां ठहरे। तत्कालीन जेल अधीक्षक के साथ आपातकाल के अनुभवों को भी साझा किया।

आसपास के इलाके में आबादी बढ़ने पर शिफ्ट की गई जेल

रोहतक के नए बस स्टैंड स्थित पुरानी जेल के आसपास समय के साथ आबादी बढ़ने से सुरक्षा कमजोर पड़ने लगी थी। जेल की चाहरदीवारी से भी ऊंची आसपास इमारतें बन गई थीं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार के दौरान यहां से जेल को सुनारिया गांव में शिफ्ट किया गया। पुरानी जेल की जगह पर सिटी पार्क बना दिया गया है। सैर-सपाटे के लिए शहरवासियों का पसंदीदा स्पॉट यह पार्क बन चुका है।

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