Marriage in lockdown: शादियों में 50 लोगों के शामिल होने की गाइडलाइन को हाई कोर्ट में चुनौती
हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर शादियों में 50 लोगों के शामिल होने की केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन को चुनौती दी गई है।
जेएनएन, चंडीगढ़। शादियों में 50 लोगों के शामिल होने की केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन पर पुनर्विचार किए जाने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि शादी में चाहे 50 लोगों को शामिल होने की इजाजत दी गई है, लेकिन शादी-समारोह जैसे कार्यक्रम में फिजिकल डिस्टेंसिंग बनाए रखना बेहद मुश्किल होता है। यह कोरोना जैसे घातक वायरस को अपने पास आमंत्रित करने जैसा है।
एडवोकेट एचसी अरोड़ा द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार कि यह गाइडलाइन अपने आप में ही कोरोना के खिलाफ की जा रही जंग को कमजोर कर सकती है, क्योंकि शादियों में बैंड-बाजे वाले, केटरिंग और सेवाएं देने वाले भी होते हैं उन्हेंं इन 50 लोगों में शामिल ही नहीं किया गया है। ऐसे में शादी में शामिल होने वालों की गिनती 50 लोगों से ज्यादा हो जाएगी फिर शादी में मिलनी जैसी रस्में भी होती हैं जहां फिजिकल डिस्टेंसिंग कैसे बनी रह सकती है।
याची ने कोर्ट को यह भी बताया कि अधिक से अधिक लोगों को विवाह में शामिल करने के लिए लोग कई शिफ्ट में विवाह कर रहे है, पंजाब के एक शहर का हवाला देकर बताया गया कि वहां प्रशासन ने दिन और रात में एक विवाह करने की इजाजत दी थी।
इसके अलावा याची ने कोर्ट को बताया कि हरियाणा और पंजाब में दहेज विरोधी अधिनियम लागू है जिसके तहत विवाह में अधिकतम 25 लोग की बाराती के तौर पर शामिल हो सकते हैं। याचिकाकर्ता ने कहा कि केंद्र सरकार ने 50 लोगों की अनुमति देते हुए हरियाणा, पंजाब जैसे राज्यों के प्रावधानों को नहीं देखा है जिसके चलते दो कानून आमने-सामने आ गए हैं।
लिहाजा, केंद्र सरकार को इस गाइडलाइन पर दोबारा विचार करना चाहिए। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि शंकर झा पर आधारित बेंच ने मामले का निपटारा करते हुए याची को केंद्र, हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ को रिप्रेजेंटेशन देने की सलाह दी। इसके अलावा कोर्ट ने केंद्र, हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ को याची की रिप्रेजेंटेशन पर निर्णय लेने का आदेश दिया है।