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बस और ट्रेन चलने की उड़ी अफवाह, बच्चों संग सड़क पर जुट गई प्रवा‍सी श्रमिकों की भीड़

लॉकडाउन और कोरोना वायरस के चलते प्रवासी श्रमिकों को सबसे ज्‍यादा मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। अब न नौकरी है और न खाने को रोटी। किसी ने अफवाह उड़ा दी घर वापसी को भीड़ जुट गई।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 13 May 2020 01:30 PM (IST)Updated: Wed, 13 May 2020 01:30 PM (IST)
बस और ट्रेन चलने की उड़ी अफवाह, बच्चों संग सड़क पर जुट गई प्रवा‍सी श्रमिकों की भीड़

पानीपत, जेएनएन। शहर की कॉलोनियों में उप्र और बिहार के लिए बसों और ट्रेनों का संचालन शुरू होने की अफवाह ऐसी फैली की कि कामगारों का हुजूम जीटी रोड पर उतर आया। कुछ लोगों ने सड़कों पर खड़ी रोडवेज बसों के सामने फोटो खींचवा कर इन्हें सोशल साइटों पर वायरल कर दिया। इसका असर ये हुआ कि सुबह 9 बजे से ही कॉलोनियों में रह रहे दूसरे राज्यों के कामगार बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन की ओर निकल पड़े।

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जीटी रोड पर खड़ी बसों को देख सड़कों पर बैठने लगे। पुलिस ने उन्हें बस स्टैंड के सामने से खदेड़ दिया तो कामगारों ने सामान्य अस्पताल और राजकीय गल्र्स संस्कृति सीसे स्कूल के सामने पड़ाव डाल लिया। सड़क किनारे बैठे कामगारों को देख शहरवासियों ने ऐसे हालात में संक्रमण की चिंता जताई। पुलिस कर्मचारी दिनभर कामगारों से घर लौटने की अपील करते दिखाई दिए।

डीसी मैडम, घर जाने का करो बंदोबस्त

जितेंद्र ने बताया कि वार्ड 11 की सैनी कॉलोनी में मंगलवार सुबह रोडवेज बस चलने की खबर मिली। कॉलोनी से आठ महिलाओं और सात बच्चों संग 35 कामगारों का दल बस स्टैंड के लिए रवाना हुआ। वह भी पत्नी कंचन, तीन साल के बेटे शिवांश और ढाई माह की बेटी शिवांशी के साथ गांव जाने के लिए बस स्टैंड पहुंच गया। यहां आते ही पुलिसकर्मियों ने लाठी चार्ज करने की चेतावनी दी और घर लौटने के लिए कहा। बस संचालन शुरू होने की आस में दल ने सामान्य अस्पताल के सामने बस स्टॉप पर डेरा डाल लिया। उन्होंने डीसी से साधन मुहैया कराने की मांग की।

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रोजाना 20 रुपये खर्च कर आ रहा हूं बस स्टैंड

सैनी कॉलोनी के कामगार संतराम ने बताया कि वह पिछले तीन दिनों से गांव आजमगढ़ जाने के लिए रोजाना बस स्टैंड आ रहा है। बस स्टैंड पहुंचाने के लिए ई-रिक्शा चालक कभी 20 तो कभी 30 रुपये लेते हैं। सुबह कॉलोनी में उप्र और बिहार के लिए बस संचालन शुरू होने की सूचना मिली तो वह भूखे पेट ही बस स्टैंड पहुंच गया। यहां हकीकत कुछ और ही मिली। दल के अधिकतर लोग ठेकेदारों के पास काम करते थे। अब उन्हें खाने के भी लाले पडऩे लगे है। हर कोई घर जाने के लिए ङ्क्षचतित है। पता नहीं आगे का सफर कैसे पूरा हो पाएगा।

पैसे और राशन खत्म, कैसे चलाएं घर

उझा रोड से आए कामगार जितेंद्र ने बताया कि सुबह कॉलोनी से लगभग 100 कागमार गांव लौटने के लिए पानीपत बस स्टैंड पहुंचे। अधिकतर कामगारों के पास रुपये और घरों में राशन खत्म हो चुका है। आस थी कि स्थानीय प्रशासन उनकी घर लौटने में मदद करेगा, लेकिन यहां हालात कुछ और ही निकले। अधिकतर कामगारों ने दावा किया कि सेक्टर 29 और सनौली रोड के फैक्ट्री मालिकों ने लॉकडाउन में उनकी कोई मदद नहीं की। भूखे मरने से बचने के लिए वे मजबूरन गांव लौट रहे है। अगर जल्द ही कोई मदद नहीं मिली तो वे पैदल गांव की ओर चल पड़ेंगे।

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