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मिलिये हरियाणा के अनोखे मकान वाले बाबा से, साकार करते हैं लोगों के अपने घर का सपना

हरियाणा के यमुनानगर में एक मकान वाले बाबा अपने अनोखे कार्य के लिए लोगों के बीच चर्चाओं के केंद्र बने हुए हैं। यह बाबा लोगों के अपने घर का सपना साकार कर रहे हैं। वे जरूरमंदों का मकान तैयार करवाकर देकर उनकर बरसों की साध पूरी करते हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 17 Nov 2020 09:58 AM (IST)Updated: Tue, 17 Nov 2020 09:58 AM (IST)
एक मकान काे सौपने के माैके पर संत बाबा जसपाल सिंह और अन्‍य लोग।

यमुनानगर, [पोपीन पंवार]। जिले के भंभौली गुरुद्वारे के संत बाबा जसदीप सिंह को लोग मकान वाले बाबा कहते हैं। दरअसल वह लोगों के जीवन के सबसे बड़े सपने को साकार करते हैं। वह जरूरतमंद लाेगों के अपने घर का सपना साकार करते हैं। बाबा जसदीप ने साबित किया है कि जब लोगों की मदद करना ही जीवन का उद्देश्य बन जाए तो कोई भी परेशानी रास्ते में अड़ंगा नहीं डाल सकती। अभी तक वह काफी संख्‍या में लोगों को मकान बनवाकर दे चुके हैं।

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गरीब और जरूरतमंदों बनवाकर देते हैं मकान

जसदीप सिंह जरूरतमंदों को आवास बनाकर देते हैं। वह बताते हैं कि अब लोगों को छत उपलब्ध कराने के काम को ही उन्होंने अपना मिशन बना लिया है। इस मुहिम में बाबा की मदद के लिए शहर के समाजसेवी भी जुड़ रहे हैं। बाबा लोगों के सहयोग से अबतक 15 लोगों को घर बनवाकर दे चुके हैं। वर्ष-2021 में 50 लोगों को घर देने का लक्ष्य है। घर के लिए अबतक करीब 150 लोगों के नाम की लिस्ट आ चुकी हैं।

घर बनवा कर देने से पहले पात्रता की जांच की जाती है। इसके लिए बाबा की टीम और गांव के मौजिज लोगों के द्वारा पड़ताल की जाती है। पात्र सही मिलने के बाद निर्माण कार्य शुरू होता है। बाबा जसदीप सिंह के इस काम की सराहना राज्यपाल सत्यदेव नारायण भी कर चुके हैं।

एक मकान को साैंपने के मौके पर हरियाणा के राज्‍यपाल सत्‍यदेव नारायण आर्य के साथ बाबा जसपाल सिंह।

बाबा जसदीप सिंह बताते हैं कि करीब डेढ़ साल पहले उनको पता चला कि कांसापुर निवासी निर्मल को धर्म परिवर्तन के लिए कुछ लोग उसे घर बनाकर देने का ऑफर दे रहे हैं। इसकी सूचना मिलते ही उन्होंने निर्मल सिंह से संपर्क किया। निर्मल की आर्थिक हालत वाकई बहुत कमजोर थी। उसका घर भी जर्जर हालत में था। इसके बाद उन्होंने उसी वक्त निर्मल को मकान बनाकर देने का वादा किया और घर बनाकर निर्मल को सौंपा।

करने लगे लोग संपर्क

निर्मल का मकान तैयार होने पर कई परिवार उनके पास आए और अपनी आर्थिक हालत के बारे में बताया। बाबा ने अपने स्तर पर इन लोगों की पड़ताल करवाई। उसके बाद इनको मकान तैयार कर दिया। शुरू में आर्थिक दिक्कत उनके सामने भी आई। इसके बाद जब लोगों को उनके मिशन के बारे में पता चला तो खुद ही लोग जुड़ते गए और कारवां बनता गया। कोरोना काल में भी जरूरतमंदों के लिए घर बनाने का काम नहीं रुका। अभी तक 15 मकान तैयार करा चुके हैं।

संत बाबा जसपाल सिंह द्वारा तैयार करवाया गया एक मकान।

हर मकान को नाम दिया गुरु कृपा निवास

संत की ओर से अब तक जितने भी मकान बनवाए गए हैं सबका नाम नाम गुरु कृपा निवास रखा है। इनका विधिवत उद्घाटन भी करवाते हैं। बालछप्पर में बनाए गए मकान का हरियाणा के राज्यपाल सत्यनारायण आर्य ने उद्घाटन किया था। सरस्वती नगर में राज्य मंत्री ओमप्रकाश यादव वाल्मीकि समाज के व्यक्ति के लिए बने मकान का उद्घाटन कर चुके हैं।

संत बाबा जसदीप सिंह कहते हैं कि नर सेवा ही नारायण सेवा कही जाती है। धार्मिक स्थल जरूरी है, तो उसी तरह गरीबों के लिए भी घर जरूरी है। इससे समाज में भाईचारे की भावना बढ़ती है और समानता आती है। इसी को ध्यान में रखते हुए मिशन चलाया है।

एक जरूरतमंद के जर्जर घर का निरीक्षण करते संत बाबा जसपाल सिंह।

ऐसा मकान केवल सपना ही था : संतोष

कोतरखाना निवासी संतोष रानी का कहना है कि 2010 में उनके पति श्याम लाल की मौत हो गई थी। बड़े बेटे सुशील की भी मौत हो गई थी। परिवार में वह, उनका छोटा बेटा सतीश और बड़े बेटे की पत्‍नी व बच्चे हैं। आर्थिक हालात इतनी कमजोर है कि परिवार का दिहाड़ी कर पेट पाल रहे हैं। इस बीच सरपंच के माध्यम से वह बाबा संत जसदीप सिंह के पास गए। बाबा की टीम ने आकर पूरी पड़ताल की। इसके बाद करीब 90 गज के प्लॉट पर मकान बनानकर दिया। उनकी आमदनी में तो मकान केवल सपना ही था।

एक जरूरतमंद के मकान का निर्माण शुरू करवाते संत बाबा जसपाल सिंह।

बाबा के सहारे से बना मकान : रमेश

सरस्वतीनगर के रमेश वाल्मीकि का कहना है कि उनकी आर्थिक हालत कमजोर है। पत्नी दिव्यांग है। चार बच्चे हैं और भाई के बच्चों की जिम्मेदारी भी उनके कंधों पर है। एक ही कमरे में पूरा परिवार रहता था। यह भी खस्ताहाल था। वह एक जानकार के माध्यम से बाबा संत जसदीप सिंह से मिले। उन्होंने खुद घर आकर स्थिति देखी। फिर 70 गज जमीन पर मकान बनाकर दिया। बाबा के सहारे से अब मकान बन गया है।

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