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यमुनानगर में कर्मचारियों के हकों पर डाका, खाते में अधिक वेतन दिखाकर हो रही पीएफ में हेराफेरी

यमुनानगर में कर्मचारियों को पीएफ नहीं मिल रहा है। नियमों का संस्थानों ने तोड़ निकाल लिया है। वे कर्मचारियों का वेतन रिकॉर्ड में 15 हजार से ज्यादा दिखाते हैं। सबसे बुरा हाल अभिभावकों से अधिक फीस और किताबें बेचने वाले स्कूलों का है।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Sun, 18 Apr 2021 04:32 PM (IST)Updated: Sun, 18 Apr 2021 04:32 PM (IST)
यमुनानगर में कर्मचारियों के हकों पर डाका, खाते में अधिक वेतन दिखाकर हो रही पीएफ में हेराफेरी
नियम के अनुसार 15 हजार से कम वेतन मिलने वाले कर्मचारियों का ईपीएफ मिलना जरूरी है।

यमुनानगर/जगाधरी, जेएनएन। कर्मचारियों के अधिकारों को हड़पा जा रहा है। ईपीएफओ (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) के अधिकारी भी कर्मचारियों को हक नहीं दिला पा रहे हैं। क्योंकि संस्थानों ने इसका तोड़ निकाल लिया है। नियम के अनुसार 15 हजार से कम वेतन मिलने वाले कर्मचारियों का ईपीएफ मिलना जरूरी है। कर्मचारिेयों को रिकॉर्ड में 15 हजार से अधिक का वेतन दर्शाया जा रहा है, ताकि पकड़ में न आए।

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बाद में ये बढ़े पैसे वापस ले लेते हैं। इस तरीके की शिकायतें ईपीएफओ के अधिकारियों के पास आ रहीं हैं। जांच के लिए सरस्वती नगर, बिलासपुर, जगाधरी व रादौर एरिया में टीम भी गई। दो सौ से ज्यादा संस्थानों की सूची विभाग तैयार कर रहा है। सबसे बुरा हाल अभिभावकों से अधिक फीस और किताबें बेचने वाले स्कूलों का है। यहां पर पीएफ का खेल ज्यादा ही गड़बड़ है।

डर के कारण साध ली थी चुप्पी

ईपीएफ के अधिकारियों के मुताबिक बिलासपुर क्षेत्र के स्कूल के कर्मचारी की शिकायत आई थी कि उसको वेतन में 25 हजार रुपये दिखाए जा रहे हैं, जबकि वेतन आने के बाद 17 हजार रुपये उससे वापस ले लिए जाते हैं। जांच के लिए टीम स्कूल में गई तो कर्मचारियों ने नौकरी के डर के कारण प्रबंधन के सामने चुप्पी साध ली।

रिकवरी के लिए लिखा था विभाग को

इसी तरह से सरस्वती नगर एरिया में भी मामला सामने आया था। बाद में विभाग ने उसका खाता सीज कर 90 हजार रुपये निकाले। पहले ये स्कूल मायापुरी एरिया में चल रहा था। ईपीएफ में गड़बड़ी मिलने पर विभाग ने 1.20 लाख हजार का जुर्माना लगा दिया। जुर्माने से बचने के लिए संचालक ने स्कूल मायापुरी से शिफ्ट कर सरस्वती नगर में शुरू कर दिया। विभाग की टीम ने अभिभावक बन कर प्रिंसिपल से बच्चे की फीस जमा कराने के बहाने से स्कूल का बैंक खाता मांगा और रिकवरी के लिए भेजा।

फैक्ट्रियों में नहीं घुसने देते टीम को

पीएफ में कर्मियों के हकों पर डाका डालने में फैक्ट्री संचालक भी पीछे नहीं हैैं। वुड फैक्ट्री में 100 से 150 लोग तक काम करते हैं। चंत को छोड़कर अधिकतर नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। एक फैक्ट्री में जांच के लिए जब टीम जाती है, तो उसे घुसने नहीं दिया जता। टीम को बाहर से ही बैरंग लौटना पड़ता है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के कमिश्नर मयंक बंसल का कहना है कि जिन लोगों को पीएफ की सुविधा नहीं मिल रही है। वह शिकायत करें। उनका नाम गुप्त रखेंगे। हम अपने स्तर पर सूची तैयार कर रहे हैं। कोरोना संकटकाल में काम ज्यादा तेजी से नहीं हो पाया।

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