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जिन लाडलों को सेना की वर्दी में देखने का था सपना, वो कफन में लिपटे आए Panipat News

हिसार छावनी में सेना भर्ती से 10 युवक ऑटो से जींद लौट रहे थे। हांसी रोड पर गांव ईक्कस और रामराय के बीच तेल टैंकर ऑटो पर चढ़ गया। इसमें 10 लोगों की मौत हो गई।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Thu, 26 Sep 2019 11:45 AM (IST)Updated: Thu, 26 Sep 2019 12:44 PM (IST)
जिन लाडलों को सेना की वर्दी में देखने का था सपना, वो कफन में लिपटे आए Panipat News
जिन लाडलों को सेना की वर्दी में देखने का था सपना, वो कफन में लिपटे आए Panipat News

पानीपत/जींद, जेएनएन। जिले का नागरिक अस्पताल। सुबह के 6 बजे। पोस्टमार्टम हाउस में बूराडेहर, पाजू कलां, भिड़ताना, धड़ौली, पिल्लूखेड़ा के आठ जवानों के शव रखे हुए हैं। इनमें से कुछ के परिजन रात से ही अस्पताल में बिलख रहे हैं। कुछ जवानों के परिजन सुबह अस्पताल पहुंच गए। सुबह 9 बजे तक सैकड़ों की भीड़ पोस्टमार्टम हाउस के बाहर हो गई। हर आंख भाव शून्य है। सबका कलेजा फटने को आ रहा है। अंदर से हर दिल रो रहा है। किसी की जुबान नहीं उठ रही। जिनके लाडले चले गए, उनके भाइयों व पिता की हालत किसी से देखी नहीं जा रही थी। जींद हादसा आठ परिवारों को जिंदगी भर का दर्द दे गया। तीन घरों के इकलौते चिराग बुझ गए। अब सिर्फ आंसू...। बेटों को सेना में भर्ती होने के लिए भेजा था, लेकिन जिंदगी भर के लिए आंसू दे गया। जिन बेटों को सेना की वर्दी में देखने को सपना था, वो कफन में लिपटे थे। 

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सभी अपने लाडले की एक झलक देखने के लिए पोस्टमार्टम हाउस के अंदर इंट्री करने की कोशिश कर रहे हैं। अंदर काफी संख्या में पुलिस है। भीड़ होने के कारण पुलिस पोस्टमार्टम हाउस का गेट बाहर से बंद करवा देती है। लाडलों का पार्थिव शरीर ले जाने के लिए तीन कैंटर व एक टाटा 407 भी पोस्टमार्टम हाउस के अंदर खड़ी कर दी गई है। गांव बूराडेहर के दो जवान रोबिन पुत्र दलबीर व मंगल पुत्र राजबीर भी मृतकों में शामिल हैं।

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गांव के लोग पहुंचे अस्‍पताल

अपने लाडलों की डेड बॉडी लेने के लिए गांव से काफी संख्या में लोग अस्पताल पहुंचते हैं। इनमें रोबिन व मंगल के साथ प्रैक्टिस करने वाले भी काफी युवा हैं। कोई गमगीन है तो कोई उसके साथ बिताए पलों को याद कर रहा है। धड़ौली के सुमित के पिता सुभाष का रो-रो कर बुरा हाल हो चुका है। उसके परिजन किसी तरह उसे दिलासा दे रहे हैं। पिल्लूखेड़ा के भारत के पिता की हालत काफी दयनीय है। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा है। कभी पोस्टमार्टम हाउस के अंदर जा रहे हैं तो कभी बाहर। पसीने से पूरी तरह लथपथ। गमले में गमछा। 

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एक जिंदगी मौत से जूझ रहा

भिड़ताना के सतीश की आंखें पथराई हुई है। उसके एक लाडले संजय की मौत हो चुकी है, जबकि परमजीत हिसार निजी अस्पताल में भर्ती है। इस हादसे में सिर्फ परमजीत ही बचा है। उसकी हालत भी काफी गंभीर है। सभी यही दुआएं कर रहे थे कि भगवान परमजीत के अंदर सांसें डाल दे। 

कई घर उजड़ गए

पाजू कलां के रणधीर के दो लाडलों दीपक व संजय की भी मौत हो चुकी है। रणधीर मंगलवार रात 11 बजे से ही अस्पताल में है। रात से ही उसकी हालत पागलों जैसी हो रही है। दीपक बड़ा था व संजय सबसे छोटा। बीच वाला गांव में बिजली की दुकान करता है। वह भी रात से ही पिता के साथ है। रणधीर से चला नहीं जा रहा है। लोग उसे सहारा दे रहे हैं। इन युवाओं के साथ हांसी से ऑटो में आ रहे जींद हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी के प्रवीन व ऑटो ड्राइवर के परिजन भी हांसी से अस्पताल आ चुके हैं। पोस्टमार्टम हाउस के आसपास भीड़ में गमगीन लोगों के मुंह से एक ही बात निकल रही थी, कई घर उजड़ गए। भगवान ऐसा किसी के साथ न करे।

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दो सगे भाइयों की मौत से परिवार पर मुसीबतों का पहाड़

ऑटो-टैंकर भिड़ंत में गांव पाजू कलां के दो सगे भाइयों की दर्दनाक मौत से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर फैल गई। हर किसी की जुबान पर एक ही बात थी, गांव ने दो भावी फौजियों को खो दिया। रणधीर सिंह का बड़ा बेटा 23 वर्षीय दीपक चार सालों से सेना में भर्ती होने की तैयारी कर रहा था। उसी के साथ सबसे छोटा बेटा 19 वर्षीय संजय अपने भाई के साथ दो साल से तैयारी में लग गया। लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। जिस बाप ने अपने बच्चों को मेहनत मजदूरी कर पढ़ाया था ताकि वो बुढ़ापे में उसका सहारा बन सकें, उसी बाप ने एक साथ दो बेटों के शवों को कन्धा देना पड़ा। दीपक की अभी छह महीने पहले ही शादी हुई थी, उसकी पत्नी रेखा का रो-रो कर बुरा हाल था। वह बार-बार बेसुध हो रही थी। यही हाल दीपक व संजय की मां, बाप, बुआ, भाई व अन्य परिजनों का था। महिलाओं की चीत्कार सुन कर ग्रामीण भी अपने आंसू रोक नहीं पा रहे थे। सभी ग्रामीणों को अपने होनहार जवानों की अकस्मात मौत पर गहरा सदमा लगा है। दोनों भाइयों के दाह संस्कार के समय पूरे गांव सहित सैकड़ों व्यक्ति मौजूद रहे।

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एक एक पैसा जोड़ कर पढ़ाया था बच्चों को 

दीपक व संजय के पिता रणधीर सिंह पर तो जैसे दुखों का पहाड़ टूट गया। रोते बिलखते पिता को ग्रामीण ढांढ़स बंधा रहे थे। रणधीर रोते रोते बस अपने बेटों को याद कर रहा था। किस प्रकार दोनों भाई सेना में भर्ती होने के लिए चार सालों से जी तोड़ मेहनत कर रहे थे। रणधीर की आर्थिक हालत कमजोर है, मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा है। बेटों ने भी कसर नहीं छोड़ी और सेना में भर्ती होने का पहला पड़ाव बड़ी आसानी से पार कर लिया था। सुबह शाम दौड़ लगाना व साथ साथ पढाई करना। दोनों का सपना था अपने बाप के बुढ़ापे का सहारा बनने का लेकिन एक अनहोनी ने पूरे परिवार को दुख के सागर में डुबो दिया।

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पौने घंटा दबे रहने के बावजूद चल रही थीं दोनों भाइयों की सांसे

हादसे का पता चलते ही हादसा स्थल पर पहुंचे एंबुलेंस चालक विजय नगर निवासी नवदीप ने बताया कि घटना स्थल पर खौफनाक मंजर था और हादसे को देखकर हर कोई सहमा हुआ था। पुलिस कर्मी व आसपास के गांवों के लोग इसी प्रयास में लगे हुए थे टैंकर के नीचे फंसे लोगों को बाहर निकालकर उनकी जान बचाई जा सके। तेल टैंकर ऊपर चढ़ने के कारण आटो की पूरी बॉडी सड़क से मिली हुई थी। क्रेन से टैंकर को उठाकर दूसरी दूसरी क्रेन से आटो को नीचे से निकाला। जब उसे बाहर निकाला तो उसमें फंसे नौ लोगों की मौत हो चुकी थी, जबकि पौने घंटे नीचे दबे रहने के बावजूद गांव भिड़ताना निवासी सगे भाई संजय व परमजीत की सांसे चल रही थी। दोनों की सांसे चलती देखकर उनको तुरंत ही एंबुलेंस से वह नागरिक अस्पताल में लेकर आया। लग रहा था कि दोनों बच जाएंगे, लेकिन..।

टीए, क्‍लर्क, जीडी की भर्ती क्‍लीयर कर चुका था सुमित 

धड़ौली गांव का सुमित पिछले तीन साल से आर्मी में जाने के ख्वाब संजोए रेस की तैयारी कर रहा था। इस दौरान सुमित ने पांच बार टीए (टेरिटोरियल आर्मी) भर्ती की रेस क्लीयर की, एक बार आर्मी क्लर्क और एक बार आर्मी जीडी भर्ती की रेस क्लीयर की। हर बार सुमित पेपर में रह जाता था। इस बार उसे आस थी कि आर्मी में नौकरी करने का उसका ख्वाब पूरा हो जाएगा लेकिन इस बार किस्मत ने साथ नहीं दिया और उसका ख्वाब अधूरा रह गया। सुमित हर बार एक्सीलेंट में रेस क्लीयर करता था। उसके फेसबुक स्टेट्स पर भी इंडियन आर्मी और भोले का भगत की ही झलक मिलती थी। सुमित जब हिसार से चला था तो उसने अपने दोस्त विकास के पास कॉल की थी और उसे अपने साथ गांव चलने के लिए कहा था, लेकिन विकास ने अपनी बहन के घर रुकने की बात कही थी और वह साथ नहीं आया था।

बुझ गया मेरा दीपक..

30 मार्च को ही दीपक की शादी हुई थी। उसकी पत्नी रेखा के हाथों से शादी में लगने वाली मेहंदी व चूड़ा अभी उतरा भी नहीं था कि उसकी दुनिया ही लुट गई। सुनहरे भविष्य के सपने रोजाना संजो कर सोने वाली रेखा पर जैसे भगवान ने अन्याय ही कर दिया। दर्दनाक हादसे में अपने पति दीपक को खोने वाली रेखा की हंसती खेलती दुनिया उजड़ गई। दीपक बाबा रामदेव की कंपनी में काम करता था। शादी के बाद ही वह नौकरी छोड़कर आया था। मंगलवार को घर वाले उसे मना कर रहे थे, फौज में भर्ती होने की जिद के कारण वह ना करते हुए भी हिसार चला गया।

शव देखकर घबरा गया

जब परमजीत को अस्पताल में दाखिल किया, वह बोल रहा था। हादसे की जानकारी दे रहा था। जब उसका इमरजेंसी में इलाज किया जा रहा था तो आटो में फंसे दूसरे युवाओं के शव पहुंचने शुरू हो गए। शवों को देखकर परमजीत घबरा गया और उसे बेचानी हो गई। परमजीत को घबराता देखकर स्वास्थ्य कर्मियों ने उसे दूसरे कमरे में शिफ्ट कर दिया।

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कहां खो गए मां के लाल

रामराय गांव के पास मंगलवार रात हादसे में गांव बूराडेहर में दो घरों के चिराग बुझ गए। गांव के रोबिन व मंगल अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे। हिसार में हुई भर्ती में फिजिकल टेस्ट देकर अपने दोस्तों के साथ घर आ रहे थे। दोनों की मौत की सूचना के बाद गांव में मातम छा गया। रोबिन ने 9 बजे मां के पास फोन करके बताया था कि अबकी बार उसका सेना में सेलेक्शन में पक्का हो जाएगा। हिसार में उसका उत्कृष्ट नंबरों से फिजिकल टेस्ट क्लीयर हो गया है। इस बार बार वह सेना में पक्का भर्ती होगा। फोन सुनकर मां दर्शना की आंखों में खुशी के आंसू छलक गए। तीन माह पहले भी रोबिन 1 अंक से रह गया था लेकिन अबकी बार उसने फिजिकल में बेहतरीन अंक प्राप्त किए थे। रोबिन के पिता दलबीर ने बताया कि रोबिन बचपन से ही होनहार था। उसकी इच्छा थी कि सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करे। रोबिन का क्लर्क का पेपर 23 को अंबाला में होना था। सेना में भर्ती होने के लिए उसने क्लर्क का पेपर भी छोड़ दिया था। बूराडेहर निवासी अनिल ने बताया कि रोबिन और मंगल दोनों खास मित्र थे। दोनों भर्तियों में इकट्ठे जाते थे। दोनों कबड्डी के अच्छे खिलाड़ी थे। दोनों मिलनसार व्यक्तित्व के धनी थे।

दोनों ने सेल्फी लेकर मौत से 13 घंटे पहले लिखा, सपना पूरा होने जा रहा है

रोबिन सिंह की मंगलवार रात करीब साढ़े 10 बजे मौत हो गई। मंगलवार सुबह साढ़े 9 बजे ही उसने अपने गांव के ही दोस्त मंगल के साथ सेल्फी लेकर फेसबुक पोस्ट की थी। इस फोटो में दोनों के हाथों में सेना की दौड़ क्लीयर होने का टैग भी है। इस पोस्ट में अंग्रेजी में लिखा है.. ड्रीम इज गोइंग टू बी फुल फिल्ड। फाइनली क्वालीफाइड इंडियन आर्मी फिजिकल टेस्ट इन एक्सीलेंट पॉजीशन विद माइ ब्रदर मंगल सिंह कालकंधा। यानि सपना पूरा होने जा रहा है। भाई मंगल सिंह के साथ इंडियन आर्मी में फिजिकल टेस्ट क्लीयर कर लिया है। इस पोस्ट को 344 लाइक मिले हैं। शुरू में खूब दोस्तों ने बधाई दी है तो रोबिन ने थैंक्स करते हुए जवाब भी दिए हैं। लेकिन मौत के बाद मिस यू भाई, दुखद की टिप्पणियां हैं। इस पोस्ट पर कुल 143 टिप्पणियां हैं व 6 दोस्तों ने इस पोस्ट को शेयर किया है।

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मां ने कहा था हिसार रुक जाओ

रोबिन ने जब रात 9 बजे मां को फोन किया तो उसने कहा था कि रात को हिसार ही रुक जाओ, लेकिन रोबिन ने कहा कि उन्होंने ऑटो किराये पर ले लिया है। जींद तक आसानी से पहुंच जाएंगे। साढ़े 9 बजे रोबिन ने दोस्त के पास फोन करके कहा कि उसे लेने के लिए जींद आ जाए। रात के समय हादसे की खबर मिलते ही मां के खुशी के आंसू गम में बदल गए।

मौत ने फेसबुक पोस्ट से करवा दिया था इशारा

रोबिन सिंह ने अपनी फेसबुक पर पिछले दिनों कई ऐसी पोस्ट डाल रखी हैं, जिससे यह महसूस होता है कि मौत इशारों में बता रही थी कि मैं आने वाली हूं। 15 सितंबर को ही दोपहर 11.48 बजे रोबिन ने लिखा कि एक अक्टूबर तक हूं थारे बीच। किसे नै किमे कहना है तो कह लो। इतनै किसे का किमे गलत करा हो तो सॉरी। इसी तरह 11 सितंबर को उसने एक पोस्ट डाली है, जिस पर लिखा है कि.. अशी अज दे राजे हां, साड्डा पता नहीं कल दा। इसी के साथ रोबिन ने क्लासरूम का फोटो भी पोस्ट किया हुआ है। रोबिन ने कई फैशनेबल फोटो फेसबुक पर पोस्ट किए हुए हैं।

रोबिन का फेसबुक स्टेटस: पहला काम छोरियां की इज्जत करना, मां-बापू की इज्जत करना

रोबिन सिंह काफी संस्कारी लड़का था और फेसबुक पर भी काफी एक्टिव था। माता-पिता से मिले संस्कार उसका फेसबुक स्टेट्स ही बता रहा है। उसने स्टेट्स पर लिखा है पहला काम छोरियां की इज्जत करना, मां-बापू की इज्जत करना। फिर हाथ जोड़ते हुए सिंबल। फेसबुक स्टेटस पर उसने मां के साथ अपना फोटो लगाया हुआ है।

शादी के 13 साल बाद पैदा हुआ था रोबिन, मां हुई बेहोश

बूराडेहर निवासी किसान दलबीर की शादी के 13 साल बाद बड़ी मन्नतों से रोबिन का जन्म हुआ था। उसकी एक छोटी बहन है, जो अविवाहित है। रोबिन माता-पिता व बहन का लाडला था। उसकी मौत की खबर मिलते ही मां बेसुध हो गई। पापा की आंखों से भी आंसू नहीं रुक रहे थे। दाह संस्कार के समय भी मां को बेहोशी की हालत में ही महिलाएं अंतिम यात्र में लेकर गई थी। उसे कुछ होश नहीं आ रहा था। उसकी दुनिया उजड़ चुकी था। छोटी बहन का भी रो-रो कर बुरा हाल था। रोबिन शक्ल सूरत से काफी स्मार्ट। सिर पर लहराते हुए घने बाल। मुंह पर मूंछे आनी शुरू हो गई थी। सेना में जाने का बड़ा चाव था।

मेरे दोनूं शेर बरगे बेटे गए, ईब मैं किसकै जाऊंगा

हाय रै बेटा सुमित। ईब मैं किसकै बड़ूंगा। तेरे पै तो आस थी रै बेटे। मेरे लाडले बेटे। मनैं तो रास्ता बता जा रै बेटे। मेरे दोनूं शेर बरगे बेटे गए। मेरी जिंदगी नै रोक ले रै राम। मैं कित जाउंगा रै मेरे बेटे। अर बेटे, तन्नै लेण आगा रै। रै मेरे सुमित। मेरे सुमित लाडले बेटे रै। ईब तेरा पापा कित जावैगा रै। अरै तेरे पापा की बता ज्या रै। अरै मनै किसे की माड़ी कोनी करी। मेरा एक बी शेर कोनी छोड्डा। अरै मैं लूट ग्या। राम नै मेरै गेलै इतनी माड़ी क्यूं करी रै। रै बेटा, घरां सेब-केले धरे सैं। ईब उननै कूण खावैगा। बेटा सुमित, मैं भूखा रह ज्यांदा, तेरै खातर दिहाड़ी करा करदा। रै मनै राह बता ज्या मेरे बेटे। मनै किसकै हवाले छोड़ गे रै बेटे। मेरा बेटा बैग ले कै चाल पड़ा रै। रै अमित, तेरी भूल कोनी पड़ी थी ईब लग। ईब छोटै भाई ने भी ले ग्या। हाय रे मेरे शेर जिसे बेटे चले गए। नागरिक अस्पताल में धड़ौली गांव के सुभाष वाल्मीकि का रूदन क्रंदन देखकर आसपास खड़े लोगों की आंखों में भी पानी भर आया था। सबका कलेजा फटने को हो रहा था। 

हर किसी की आंखें नम

किसी से खुद ही नहीं संभला जा रहा था। फिर सुभाष को कौन संभालता। बड़ी मुश्किल से एक बुजुर्ग महिला ने पास उसे संभालने की कोशिश की तो सुभाष का कलेजा फिर फट पड़ा। उससे न खड़ा होया जा रहा था न बैठा जा रहा था। उसे पानी पिलाने लगे तो बोले ईब तो मेरा बेटा पीवैगा पानी। सुभाष के छोटे बेटे सुमित की हादसे में मौत हो गई। रोते हुए कई बार सुभाष की आंखें पथरा रही थीं। सुभाष पर यह दूसरा बड़ा दुख था। करीब दस महीने पहले ही उनके बड़े बेटे अमित की बीमारी से मौत हो गई थी। अमित एक बेटी का पिता था। उसकी मौत के बाद अमित की पत्नी भी बेटी को लेकर मायके चली गई थी। अब सुभाष व उनकी पत्नी को छोटे बेटे सुमित के सहारे ही जिंदगी काटनी थी। सुभाष दिहाड़ी करके ही घर चला रहा था। बेटे की इच्छाएं पूरी करने के लिए माता-पिता अपनी खुशियां कुर्बान कर रहे थे। सुमित कहता था कि फौज में भर्ती होने के बाद तुम्हें परेशान नहीं होने दूंगा।

मां हो रही थी बेहोश, पिता बेजान, पत्नी को नहीं बताया

मंगलवार रात हादसे का पता चलते ही सुमित के पिता और मां रात 2 बजे ही पड़ोसियों के साथ बाइक पर बैठकर जींद अस्पताल आए थे। तब युवकों के मरने की खबर सुनकर मां का कलेजा फट आया था। ऐ रे मेरे बेटे सुमित। तूं कित चला गया। मैं तो मेरे बेटे धोरै जाऊंगी। साथ आए बच्चों ने बताया कि ताई, सुमित ठीक सै। उसनै पीजीआई रोहतक ले गए हैं। सुमित के पिता सुभाष को भी तब सच्चाई का पता नहीं था। वह अस्पताल में खड़े लोगों से पूछ रहे थे कि सुमित बोलै था के। पीजीआइ में किस टैम ले कै गए सैं। ठीक तो सै वो। उसके पैरों तले की धरती निकल रही थी। शरीर बेजान सा था। उसके साथ पड़ोसियों को पता चल गया था कि अब सुमित नहीं रहा, लेकिन सुभाष व उनकी पत्नी को नहीं बता रहे थे।

फेसबुक पर लिखा, तारे पूछ रहे हैं, हमारा तारा तुम्हारे पास कैसे

सुमित फेसबुक पर काफी एक्टिव था। काफी फैशनेबल था। डिजाइन के कपड़े पहनने का शौक था। लेकिन मेहनती थी खूब था। नए-नए स्टाइल से फेसबुक पर पोस्ट डालता था। पिछले साल 29 नवंबर को सुमित ने फेसबुक पर अपने शानदार फोटो के साथ लिखा था कि.. मुङो देखकर आसमान के तारे भी मेरी तरफ गुस्से से देख रहे हैं और पूछ रहे हैं .. हमारा एक तारा तुम्हारे पास कैसे? 19 फरवरी 2018 को सुमित ने फेसबुक पर अपना प्यारा सा फोटो पोस्ट करके लिखा था कि.. बैठना भाइयों के बीच चाहे बैर ही क्यों ना हो। और खाना मां के हाथों का, चाहे जहर ही क्यों ना हा। सुमित के दोस्त सुनील धड़ौली ने फेसबुक पर लिखा कि मिस यू भाई रै। या के बनी भाई। घणा याद आवैगा भाई। क्यूकर सब्र आवैगा भाई।

बेटे को देखने जुटा गांव

सुमित का पार्थिव शरीर जब गांव में पहुंचा तो उसे आखिरी बार देखने के लिए गांव के सैकड़ों लोग जुट गए। मां तो रो-रो कर बेहोश रही थी। बार-बार उसे पानी पिलाने की कोशिश की जा रही थी, लेकिन पानी भी गले से नीचे नहीं उतर रहा था। आसपास की महिलाओं का भी रो-रो कर बुरा हाल हो चुका था। लकड़ी देने के लिए पूरे गांव के 36 बिरादरी के लोग श्मशान घाट में पहुंच गए थे। जवान लाडले की मौत पर किसी को विश्वास नहीं हो रहा था।

गांव बूराडेहर के दो घरों के चिराग बुङो

सड़क हादसे ने गांव बूराडेहर के दो घरों के चिराग बुझा दिए। दलबीर के पुत्र रोबिन सिंह व मंगल पुत्र राजबीर अपने घर के इकलौते पुत्र थे। हालांकि रोबिन की एक छोटी बहन है व मंगल की दो बड़ी बहनें हैं।

पाजू कलां के दो सगे भाइयों की मौत

गांव पाजू कलां के रणधीर बैरागी के दो जवान बेटे भी हादसे ने लील लिए। रणधीर के तीन बेटे हैं। बड़ा बेटा दीपक व सबसे छोटा संजय सेना में भर्ती होना चाहते थे। अब घर में सिर्फ एक बेटा रह गया है।

धड़ौली के सुभाष का भी घर खाली हुआ

धड़ौली गांव के सुभाष वाल्मीकि के बड़े बेटे अमित की करीब दस माह पहले मौत हुई थी। मंगलवार रात छोटे बेटे सुमित की भी मौत हो गई। घर में सिर्फ पति-पत्नी रह गए।

पिल्लूखेड़ा का भारत तोड़ गया उम्मीदें

गांव पिल्लूखेड़ा के राममेहर के दो पुत्र हैं। बड़ा बेटा भारत अब 19 साल का हुआ था। 12वीं पास करके आर्मी में भर्ती होने के लिए खूब मेहनत कर रहा था।

बड़े भाई की मौत, छोटा गंभीर

गांव भिड़ताना के सतीश के बड़े बेटे संजय की मौत हो गई, जबकि छोटा हिसार अस्पताल में भर्ती है। इनका एक तीसरा भाई भी है। सतीश के परिवार की आर्थिक हालत काफी कमजोर है। बेटों से ही उम्मीद थी।

सेल्स परचेज करता था प्रवीन

सेना में भर्ती होने गए युवकों के साथ ऑटो में हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी जींद निवासी 52 वर्षीय प्रवीन भी सवार था। प्रवीन कई वर्ष से बाइकों की सेल्स परचेज करता था।

बेटे की मौत, पिता के सपने टूटे

गांव पिल्लूखेड़ा निवासी सावर के दो बेटे हैं। बड़ा बेटे 20 वर्षीय अमित की सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करने की इच्छा थी। अमित सेना में भर्ती की तैयारी के साथ अपने पिता सावर की खेतीबाड़ी के काम में सहयोग करता था।

रात को चलता था ऑटो

वार्ड एक हांसी निवासी 25 वर्षीय सोमी मेहनत मजदूरी के साथ ऑटो चलाने का काम करता था। दिन में उसका भाई सन्नी आटो चलता था।

ये था मामला

हिसार छावनी में सैनिक जनरल ड्यूटी और क्लर्क सैनिक पदों पर भर्ती चल रही है। मंगलवार को भर्ती रैली के चौथे दिन जींद और सिरसा के युवाओं को शारीरिक परीक्षा के लिए बुलाया गया था। भर्ती में शामिल होने के बाद 10 युवक ऑटो से जींद लौट रहे थे। रात करीब साढ़े 10 बजे हांसी रोड पर गांव ईक्कस और रामराय के बीच तेल टैंकर ऑटो पर चढ़ गया। बाद में क्रेन से ट्राला को ऑटो से हटाया गया। इस हादसे में गांव भिड़ताना निवासी संजय, गांव बुरा डेहर निवासी मंगल व रोबिन, पाजू कलां निवासी सगे भाई दीपक व संजय, रामराय निवासी भारत, धड़ौली वासी सुमित, पिल्लूखेड़ा निवासी अमित और जींद के हाउसिंग बोर्ड निवासी प्रवीण समेत 10 लोगों की मौत हो गई। वहीं मृतकों में शामिल ऑटो चालक हिसार का बताया जाता है। मृतक संजय के भाई परमजीत को रोहतक पीजीआइ रेफर किया गया है। डीएसपी कप्तान सिंह ने बताया कि हादसे की जांच की जा रही है।


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