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सामान्य अस्पताल में दिव्यांगों को बैठने के लिए नहीं मिली बेंच

करीब एक बजे तक आवेदन जमा हुए इसके बाद सभी को रेडियोलॉजी विभाग स्थित कक्ष संख्या 112 के बाहर पहुंचने को कहा गया। सभी जैसे-तैसे वहां पहुंचे तो बैठने के लिए बेंच तक नहीं थी। मजबूरी में सभी फर्श पर ही बैठ गए।

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Jul 2019 08:52 AM (IST)Updated: Thu, 11 Jul 2019 08:52 AM (IST)
सामान्य अस्पताल में दिव्यांगों को बैठने के लिए नहीं मिली बेंच

जागरण संवाददाता, पानीपत : सिविल अस्पताल में पर्चा और दवा विडो पर दिव्यांगों को कतार में न लगना पड़े, इसके लिए अलग खिड़की बनाई गई हैं। रैंप भी बना है, व्हील चेयर का भी इंतजाम है। बुधवार को जब दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने पहुंचते हैं तो सभी साधन बौने पड़ जाते हैं। इस बार भी दिव्यांग पहले आवेदन जमा करने के लिए धक्का-मुक्की के शिकार हुए, बाद में 112 कक्ष के बाहर उन्हें बैठने के लिए बेंच तक नहीं मिली।

दिन बुधवार, समय दोपहर करीब 12 बजे। अस्पताल के ओपीडी ब्लॉक स्थित कक्ष में आवेदन जमा करने के लिए दिव्यांगों की कतार लगी दिखी। कुछ के परिजन लाइन में लगे रहे। धक्का-मुक्की के माहौल में कई दिव्यांग गिरने से बचे। कई को लाइन से बाहर कर दिया गया।

एक बजे तक आवेदन जमा

करीब एक बजे तक आवेदन जमा हुए, इसके बाद सभी को रेडियोलॉजी विभाग स्थित कक्ष संख्या 112 के बाहर पहुंचने को कहा गया। सभी जैसे-तैसे वहां पहुंचे तो बैठने के लिए बेंच तक नहीं थी। मजबूरी में सभी फर्श पर ही बैठ गए। मेडिकल बोर्ड के मुताबिक शाम तक लगभग 80 को प्रमाण पत्र जारी किए गए। एक्स-रे मशीन कम वोल्टेज के कारण बंद रही, इस कारण करीब 20 को फिर कभी आने को कहा गया। 10 से अधिक आवेदन त्रुटि के कारण लौटाए गए। कुछ ऐसे भी दिव्यांग थे, जिनका कई बार चक्कर लगाने के बाद आवेदन जमा हुआ।

पूरा फॉर्म भरकर लाएं दिव्यांग

एमएस डॉ. आलोक जैन ने बताया कि दिव्यांग फॉर्म पूरा करके लाएं तो दिक्कत नहीं होगी। दिव्यांगों के बैठने के लिए पर्याप्त संख्या में बेंच लगाई जाएंगी।

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यहां आकर सिर्फ दुर्दशा होती है

दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन जमा करने चौथी बार आया हूं। खुद चला नहीं जाता, परिवार के लोग गोद में लाते हैं। भीड़ और अव्यवस्था इतनी है कि नंबर ही नहीं आता। दिव्यांगों की दुर्दशा देखनी है तो बड़े अधिकारियों को यहां आकर देखना चाहिए।

संतराम, बतरा कॉलोनी, फोटो 4

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तीन बार रद हो चुका आवेदन

दो साल पहले दुर्घटना में पैर बेकार हो चुके हैं। सरकार दिव्यांगों को पेंशन का लाभ देती है, यह सोचकर प्रमाणपत्र बनवाने व्हीलचेयर पर अस्पताल पहुंचा। तीन बार आवेदन रिजेक्ट कर दिया। एक बार में ही सभी कमियां बता दें तो दिव्यांगों को ज्यादा दिक्कत नहीं होगी।

कन्हैया, नौल्था, फोटो 5


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