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इस विधि से करें धान की बिजाई, कम खर्च में आमदनी अधिक, पानी भी 30 फीसद बचेगा

इस बार करनाल में 1.65 लाख हैक्टेयर में होगी धान की बिजाई व रोपाई मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के तहत इस बार 2600 एकड़ में मक्का की होगी बिजाई। कृषि एवं कल्याण विभाग के उप कृषि निदेशक आदित्य प्रताप डबास ने कहा 1500 एकड़ में हो चुकी सीधी बिजाई।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Mon, 07 Jun 2021 05:39 PM (IST)Updated: Mon, 07 Jun 2021 05:39 PM (IST)
धान की सीधी बिजाई से किसानों को फायदा।

करनाल, [प्रदीप शर्मा]। किसान अब जागरूक हो रहे हैं। धान रोपाई करने की बजाय धीरे-धीरे बिजाई की तरफ फोकस कर रहे हैं। यही वजह है कि जिले में अब तक 1500 एकड़ धान की सीधी बिजाई हो चुकी है। हालांकि रोपाई के लिए कृषि एवं कल्याण विभाग ने 15 जून के बाद का समय दिया है। लेकिन जो किसान इस समय धान की सीधी बिजाई करना चाहता है तो कर सकता है।

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धान की सीधी बिजाई और रोपाई में पानी की बड़ी भूमिका है। रोपाई में पानी की लागत ज्यादा होती है, जबकि बिजाई से किसान 30 प्रतिशत तक पानी बचा सकते हैं। पानी की कीमत जानते हुए किसान सीधी बिजाई पर ध्यान देने लगे हैं। सीधी बिजाई से किसानों को आठ बड़े फायदे हैं जबकि रोपाई से 11 बड़े नुकसान हैं। किसानों की लागत भी पूरी नहीं हो पाती। इसे लेकर दैनिक जागरण ने उप कृषि निदेशक डा. आदित्य प्रताप डबास से वार्ता की।

परंपरागत विधि के 11 बड़े नुकसान

1. कद्दू यानि खेत की जुताई से लाभदायक जीवाणु की संख्या पर बुरा असर पड़ता है।

2. भूमि की संरचना बिगड़ती है।

3. जमीन में वायु संचार प्रभावित होता है।

4. धान के बाद जो फसल लगाई जाती है, उसकी पैदावार कम होती है।

5. वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो परंपरागत विधि से वातावरण में मिथेन गैस की काफी मात्रा चली जाती है जो जलवायु परिवर्तन में अहम भूमिका निभाती है।

6. पानी भरकर ट्रैक्टर चला दिया तो लेजर लेवलिंग का खर्च बेकार जाता है।

7. प्रति एकड़ 50 लीटर डीजल खर्च होता है जो पर्यावरण प्रदूषित करता है। उत्पादन खर्च में वृद्धि होती है।

8. नर्सरी तैयार करने का झंझट।

9. रोपाई के लिए लेबर की समस्या

10. समय पर लेबर नहीं मिलने से दो-बार खेत तैयार करने की प्रक्रिया करनी पड़ती है।

11. नर्सरी की उम्र बढ़ने से फुटाव नहीं होता। पैदावार घटती है।

धान की सीधी बिजाई के आठ बड़े फायदे

1. नर्सरी तैयार करने का खर्च बचेगा।

2. रोपाई का खर्च बचेगा।

3. खेत को कद्दू करने का खर्च व ट्रैक्टर घिसाई की बचत।

4. लेबर की बचत।

5. पानी की 30 प्रतिशत तक बचत।

6. पानी के वाष्पीकरण के बजाय भूजल संचयन प्रक्रिया तेज होती है।

7. जमीन में जल धारण करने की बढ़ती है क्षमता

8. पैदावार में नहीं आती कमी।

रकबा कम कर मक्का व दलहन बुआई पर जोर

हरियाणा में जमीन के घटते जल स्तर को बचाने के लिए सरकार ने मेरा पानी मेरी विरासत योजना शुरू की है। इसमें धान की जगह मक्का, कपास, अरहर, मूंग, मोठ, उड़द, सोयाबीन, तिल, मुंगफली व खरीफ सीजन के सभी चारे, खरीफ प्याज, बागवानी सब्जियां लगाने पर सात हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि कृषि और किसान कल्याण विभाग से सत्यापन उपरांत बैंक खातों में जमा की जाएगी। मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पंजीकरण करके किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मक्के की फसल बेच सकता है। पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है।

जिले में अब तक 1500 एकड़ धान की सीधी बिजाई की जा चुकी है। अभी काम जारी है। धान रोपाई का लक्ष्य नहीं आया है, लेकिन लगभग 1.65 लाख हैक्टेयर रकबा रहता है। किसानों से अपील है कि ज्यादा से ज्यादा बिजाई करें। मक्का की बुआई करें। इस बार 2600 एकड़ में मक्का की बुआई की जाएगी। दलहनी फसलों पर सरकार प्रोत्साहन राशि दे रही है। किसानों को पानी की कीमत समझनी चाहिए। एक-एक बूंद कीमती है। फसल चक्र अपनाकर प्रकृति संतुलन में भागीदार बनें।

डा. आदित्य प्रताप डबास, उप कृषि निदेशक, कृषि एवं कल्याण विभाग करनाल।


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