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पति-पत्नी के साथ जींद में लिव इन में रह रही महिला, हाई कोर्ट ने कहा- अनैतिक रिश्ते को नहीं ठहरा सकते जायज

जींद में महिला अपने पुरुष मित्र के साथ लिव इन में रह रही है। साथ में पुरुष की पत्नी भी रहती है। वह सुरक्षा के लिए हाई कोर्ट पहुंचे। कोर्ट ने कहा कि अनैतिक रिश्ते को जायज साबित करने के लिए दायर याचिका पर राहत नहीं दी जा सकती।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 08 Mar 2021 05:56 PM (IST)Updated: Mon, 08 Mar 2021 10:40 PM (IST)
पति-पत्नी के साथ जींद में लिव इन में रह रही महिला, हाई कोर्ट ने कहा- अनैतिक रिश्ते को नहीं ठहरा सकते जायज
लिव में रह रहे जोड़े पर हाई कोर्ट की टिप्पणी। सांकेतिक फोटो

चंडीगढ़ [दयानंद शर्मा]। किसी अनैतिक रिश्ते को जायज साबित करने के लिए दायर याचिका पर हाई कोर्ट से राहत की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी एक शादीशुदा पुरुष व एक महिला द्वारा लिव इन रिलेशनशिप में रहने तथा साथ-साथ रहते हुए सुरक्षा दिए जाने की मांग संबंधी याचिका को खारिज करते हुए की।

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हाई कोर्ट की जस्टिस मंजरी नेहरू कौल ने जींद निवासी प्रेमी जोड़े की मांग को खारिज करते हुए कहा कि केवल अनैतिक व अवैध रिश्ते पर हाई कोर्ट के अनुमोदन की मोहर लगाने के लिए दायर ऐसी याचिका पर हाई कोर्ट कोई आदेश जारी नहीं करेगा। इस मामले में जोड़े ने हाई कोर्ट में सुरक्षा के लिए याचिका दायर कर बताया कि याची महिला तलाकशुदा है और दूसरा याचिकाकर्ता पुरुष उससे विवाह करना चाहता है।

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पुरुष विवाहित है और वह उसकी पत्नी की सहमति से याचिकाकर्ता पुरुष के घर में रह रही है, लेकिन उनके रिश्तेदार उनके इस रिश्ते से खुश नहीं हैंं और उनको जानमाल का खतरा है। याची महिला व पुरुष ने हाई कोर्ट से आग्रह किया कि उन दोनों को पुलिस सुरक्षा देने का आदेश जारी किया जाए।

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सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि यह अपवित्र गठबंधन है। याचिका बिना कोई ठोस आधार के तहत दायर की गई है, जो कानूनी अधिकार का दुरुपयोग है। याची पक्ष इस मामले में हाई कोर्ट को विश्वास को नहीं दिला पाया कि उसे वाकई कोई खतरा है। यह याचिका केवल अनैतिक रिश्ते पर हाई कोर्ट की मुहर के लगाने के उद्देश्य से दायर की गई है। इसमें याची कहीं भी कानूनी सुरक्षा का हकदार नहीं है, इसलिए हाई कोर्ट इस मामले में सुरक्षा देने के अपने अधिकार का प्रयोग नहीं करेगा और कोर्ट ने याचिका को खारिज करने का आदेश सुना दिया।

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