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थम नहीं रहा दलितों का उत्पीडऩ, भिवानी में सर्वाधिक केस, कई जिलों में हालत चिंताजनक

हरियाणा में दलित उत्‍पीड़न की घटनाएं कम नहीं हो रही है। कई जिलों में हालत अ‍ब भी चिंताजनक है। भिवानी जिले में दलित उत्‍पीड़न के सबसे ज्‍यादा केस हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 16 Feb 2020 01:29 PM (IST)Updated: Sun, 16 Feb 2020 01:29 PM (IST)
थम नहीं रहा दलितों का उत्पीडऩ, भिवानी में सर्वाधिक केस, कई जिलों में हालत चिंताजनक
थम नहीं रहा दलितों का उत्पीडऩ, भिवानी में सर्वाधिक केस, कई जिलों में हालत चिंताजनक

चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा में तमाम प्रयासों के बावजूद दलित उत्पीडऩ के केस कम होने का नाम नहीं ले रहे। पिछले पांच वर्षों में पिछड़ों के उत्पीडऩ में भिवानी सबसे आगे हैं जहां सर्वाधिक मामले दर्ज हुए। फरीदाबाद और हिसार में भी स्थिति चिंताजनक है। हालांकि पंचकूला, अंबाला और सोनीपत दूसरे जिलों को सामाजिक सौहार्द की राह दिखा रहे। यहां दर्ज केसों की संख्या अपेक्षाकृत कम है। पूरे प्रदेश में इस दौरान दलित उत्पीडऩ के तीन हजार 695 मामले दर्ज हुए।

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फरीदाबाद-हिसार में भी स्थिति चिंताजनक, पंचकूला, अंबाला और सोनीपत दिख रहे सामाजिक सौहार्द की राह

वहीं, विधानसभा में हरियाणा राज्य अनुसूचित जाति आयोग विधेयक पारित होने के डेढ़ साल बाद भी आयोग का गठन नहीं हो पाया है। सितंबर 2018 में पारित विधेयक पर तत्कालीन राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने 5 नवंबर 2018 को मुहर लगा दी, जबकि 30 नवंबर 2018 को इसे प्रदेश सरकार के गजट (राजपत्र ) में भी प्रकाशित कर दिया गया। 15 फरवरी 2019 को अनुसूचित जातियां एवं पिछड़े वर्ग कल्याण विभाग के तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव धनपत सिंह ने नोटिफिकेशन जारी कर उसी तिथि से यह कानून लागू करा दिया। इसके बावजूद यह आयोग गठित नहीं किया गया है।

अनुसूचित जाति आयोग विधेयक पारित होने के डेढ़ साल बाद भी आयोग का गठन नहीं

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में भी 10 अक्टूबर 2013 को सरकारी नोटिफिकेशन द्वारा हरियाणा अनुसूचित जाति आयोग की स्थापना की गई थी। दस महीने बाद जब विधानसभा चुनाव नजदीक आए तो अगस्त 2014 में हरियाणा कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष फूल चंद मुलाना सहित अन्य सदस्यों की नियुक्ति कर दी गई।

बहरहाल जब अक्टूबर 2014 के विधानसभा चुनावों में भाजपा की सरकार बनी तो दो महीने बाद ही इस आयोग को भंग कर दिया गया। फूलचंद मुलाना ने इसे पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका डालकर चुनौती भी थी जिसे खारिज कर दिया गया।

पिछले पांच वर्षों में दर्ज दलित उत्पीडऩ के मामले

जिला   -          केस

अंबाला  -         92

भिवानी  -        303

चरखी दादरी  - 101

फरीदाबाद   -   285

फतेहाबाद  -    122

रेलवे  -           17

गुरुग्राम  -       190

हांसी   -          77

हिसार  -        280

झज्जर  -      130

जींद  -          186

कैथल  -       186

करनाल  -     159

कुरुक्षेत्र  -      130

मेवात  -        125

नारनौल  -     181

पलवल  -      208

पंचकूला  -    35

पानीपत  -   148

रेवाड़ी  -       131

रोहतक  -     243

सिरसा  -     123

सोनीपत  -    93

यमुनानगर  -150

कुल  -        3,695

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