चुनावी शंखनाद : मनोहर और हुड्डा के बाद अब चौटाला की बारी
हरियाणा में चुनाव तो अगले साल है, लेकिन राज्य में सभी पार्टियों ने अभी से अपने अभियान शुरू कर दिए हैं। भाजपा व कांग्रेस के बाद अब इनेलो भी मैदान में उतर गया है।
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा में पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई भाजपा और दस साल तक राज करने वाली कांग्रेस ने चुनावी बिगुल फूंक दिए हैं। अब बारी राज्य के प्रमुख विपक्षी दल इनेलो की है। जाट बेल्ट जींद और दक्षिण हरियाणा के प्रमुख शहर होडल से अपने चुनाव अभियानों का आगाज करने वाली भाजपा व कांग्रेस अब इनेलो की धार देखने को तैयार हैं। इनेलो ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 7 मार्च को किसान अधिकार रैली का एलान कर रखा है। इनेलो की इस रैली के बाद राज्य में पूरी तरह से चुनावी माहौल कायम हो जाएगा।
किसानों के मुद्दे पर अधिकार रैली कर चौटाला दिखाना चाह रहे दिल्ली को अपनी राजनीतिक ताकत
हरियाणा की भाजपा सरकार का कार्यकाल अगले साल 26 अक्टूबर को पूरा हो रहा है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह जाट बेल्ट जींद से पार्टी के मिशन 2019 का आगाज कर चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की सोच के अनुरूप हरियाणा भाजपा का एक धड़ा राज्य में समय से पहले चुनाव कराने के हक में है। जिन नेताओं को समय पूर्व चुनाव से डर लग रहा है अथवा दोबारा टिकट नहीं मिलने की आशंका है, वे चाहते हैं कि चुनाव समय पर ही हों। 28 फरवरी को दिल्ली में होने वाली केंद्रीय बैठक में हरियाणा इस मुद्दे पर अपनी राय जाहिर करेगा, लेकिन उसमें बनने वाली सहमति से इतर हरियाणा का भाजपा नेतृत्व खुद को चुनाव के लिए तैयार मान रहा है।
भाजपा ने जाट बेल्ट जींद में किया चुनावी अभियान का आगाज, कांग्रेस ने दक्षिण हरियाणा को चुना
भाजपा की जींद रैली को इसी चुनावी तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। इस रैली के ठीक 10 दिन बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने होडल से अपने चुनाव अभियान का श्रीगणेश कर एक तीर से दो निशाने साधे हैं। हुड्डा ने कांग्रेस हाईकमान को अपनी राजनीतिक ताकत का अहसास तो कराया ही, साथ ही लोगों के बीच पार्टी का चुनावी एजेंडा पेश कर स्पष्ट कर दिया कि वे किन मुद्दों पर चुनाव लडऩे वाले हैं।
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कांग्रेस के बाकी दिग्गजों किरण चौधरी, रणदीप सिंह सुरजेवाला, कुमारी सैलजा, कुलदीप बिश्नोई और अशोक तंवर भी अपने-अपने ढंग से चुनाव अभियान का आगाज कर चुके हैं। हुड्डा की रथयात्रा के संयोजक धर्मसिंह छौक्कर के अनुसार अब चुनावी रथ थमने वाला नहीं है।
इनेलो ने बदली रणनीति, कई मुद्दों पर अभियान
पिछले 14 सालों से सत्ता से दूर हरियाणा के प्रमुख विपक्षी दल इनेलो ने इस बार अपनी रणनीति को बदला है। पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के जेबीटी शिक्षक भर्ती मामले में फंसा होने के बाद पार्टी का काम अभय सिंह चौटाला संभाल रहे हैं। सांसद दुष्यंत सिंह चौटाला, अशोक अरोड़ा, रामपाल माजरा और जसविंद्र संधू सरीखे नेताओं का उन्हें भरपूर साथ मिल रहा है।
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स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने का मुद्दा हो या फिर किसानों की जीवन रेखा मानी जाने वाली एसवाईएल नहर, दादूपुर नलवी नहर और मेवात कैनाल का मामला, इनेलो ने इन मुद्दों को बड़ी ही मजबूती के साथ पकड़ा हुआ है।
दिल्ली में दस्तक से बनेंगे नए सियासी समीकरण
7 मार्च को जनहित से जुड़े मुद्दों को लेकर इनेलो दिल्ली में दस्तक देने वाला है। चौटाला के इस शक्ति प्रदर्शन पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल और हुड्डा की निगाह टिकी है। फिर आम आदमी पार्टी भी 23 मार्च को रोहतक में रैली करेगी। चौटाला की रैली के बाद राज्य में नए राजनीतिक समीकरणों का भी आगाज हो सकता है, इसमें कहीं कोई संशय नहीं है।