धान के उठान से लेकर गोदाम पहुंचाने तक मशीनें करेंगी काम, किसानों के खाते में सीधा जाएगा फसल का पैसा
सरकार अगले खरीफ सीजन में कई नए प्रयोग करने वाली है। मंडियों में काम मशीनों से लिया जाएगा। फसल का पैसा सीधे किसान के खाते में जाएगा।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार अगले खरीफ सीजन में कई नए प्रयोग करने वाली है। प्रदेश सरकार आढ़तियों की मनमानी रोकते हुए फसल का पैसा जहां सीधे किसानों के खाते में डालने जा रही है, वहीं मंडियों में धान के झरान, सफाई, भराई, बोरी की सिलाई तथा उठान से लेकर उसे गोदामों तक पहुंचाने का पूरा काम मशीन के जरिये किया जाएगा। प्रदेश सरकार ऐसा मैकेनिज्म स्थापित करेगी, जिसमें न आढ़ती को दिक्कत हो और न ही फसल के उठान में देरी हो सके।
हरियाणा सरकार पिछले चार सालों से इस प्रयास में है कि किसानों के खाते में सीधे फसल की पेमेंट पहुंचे, लेकिन आढ़तियों के दबाव के चलते इस काम में सफलता नहीं मिल पा रही है। केंद्र सरकार के भी निर्देश हैं कि किसानों के खाते में सीधे पेमेंट जानी चाहिए, लेकिन हर साल आढ़ती सरकार से इस व्यवस्था को अगले साल से लागू करने का अनुरोध करते हैं तो सरकार मान जाती। इस बार भी ऐसा ही हुआ, लेकिन आढ़तियों ने करीब पांच हजार करोड़ रुपये किसानों के खाते में समय से नहीं डाले, जिससे सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई।
हरियाणा सरकार ने ऐसे आढ़तियों की पहचान कर हालांकि उनसे किसानों की पेमेंट में देरी पर जवाबतलबी भी की है तथा तीन दिन से ज्यादा देरी करने पर ब्याज का भुगतान करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन सरकार की योजना है कि भविष्य में किसानों को आढ़तियों के चंगुल से बाहर किया जाए। हालांकि आढ़तियों को अब इस बात का डर सताने लगा है कि अगली बार से यदि किसानों को सीधे पेमेंट मिलने लगी तो उनके द्वारा दिया गया कर्ज का पैसा कैसे लौटेगा। अब आढ़ती इसका रास्ता खोजने की जुगत में जुट गए हैं।
हरियाणा के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास के अनुसार अगली बार से काफी कुछ बदला हुआ होगा। अधिकतर काम मशीन से होंगे। इस बार धान की रोपाई में श्रमिकों की समस्या काफी आड़े आई, इसलिए सरकार ने सीधी बिजाई को प्रोत्साहित किया। पीके दास ने बताया कि इस बार हालांकि गेहूं के उठान में बहुत अधिक दिक्कत नहीं आई, लेकिन व्यवस्थाओं में सुधार की दृष्टि से अब फसल की तुलाई, भराई, सिलाई और उसकी लदाई से लेकर गोदाम तक पहुंचाने का सारा काम मशीनी सिस्टम से होगा। इस दिशा में सरकार काफी गंभीरता से सोच रहा है तथा सरकार की कोशिश है कि इसी बार धान की फसल मंडियों में आने के बाद इस सिस्टम को अमल में लाया जाए।
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