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कोरोना से जंग से सामाजिक सुधार के संकेत भी, जानें बदले लाइफ स्‍टाइल से क्‍या होगा असर

कोरोना के खिलाफ जंग के कारण लाेगों का लाइफ स्‍टाइल बदलग गया है। कोरोना को मात देने के संघर्ष से लोगाें की आदतों में भी हमेशा के लिए सुधार की उम्‍मी जगी है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 19 Apr 2020 02:51 PM (IST)Updated: Sun, 19 Apr 2020 02:51 PM (IST)
कोरोना से जंग से सामाजिक सुधार के संकेत भी, जानें बदले लाइफ स्‍टाइल से क्‍या होगा असर
कोरोना से जंग से सामाजिक सुधार के संकेत भी, जानें बदले लाइफ स्‍टाइल से क्‍या होगा असर

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। पूरा देश और सारा हरियाणा आज कोरोना महामारी से चिंतित है। सारी सरकारें, समाजसेवी संगठन, अफसर और आम लोग महामारी से पूरी मजबूती के साथ जंग लड़ रहे है। कोरोना महामारी की वजह से अभी तक जो भी जान-माल का नुकसान हुआ तथा पूरा सिस्टम पटरी से उतर गया, लेकिन इसके कारण लोगों का खानपान, रहन-सहन और कई आदतें हमेशा के लिए बदलने वाली हैं। यह बदलाव अच्छे के लिए होगा, जो उनके जीवन में अनुशासन, समृद्धि और सिस्टम लेकर आएगा।

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महामारी से निपटने के बाद आएगा लोगों के जीवन में बदलाव और अनुशासन

हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने शनिवार को एक ट्वीट के जरिये इस बदलाव के संकेत दिए हैं। उन्होंने महामारी से बचने और इसे आगे बढ़ने से रोकने के लिए एक बार फिर हाथ जोड़कर नमस्ते करने की भारतीय संस्कृति का समर्थन किया है।

गृह मंत्री अनिल विज ने भी ट्वीट के जरिये दिए इस सामाजिक बदलाव के संकेत

इसको लेकर अनिल विज ने ट्वीट करते हुए कहा कि कोरोना से कुछ अच्छी उम्मीदें भी हैं। कोरोना के बाद शायद लोग हाथ मिलाना व गले मिलना छोड़कर हाथ जोड़कर नमस्ते करना शुरू कर दें और सड़क पर थूकने की आदत छोड़ दें। ऐसा होने पर दूसरों को संक्रमित करने व संक्रमित होने से बचाया जा सकेगा।

हाथ जोड़कर नमस्ते करने और गले न मिलने की संस्कृति को मिलेगा बल

गृह मंत्री विज ने कोरोना से निपटने के लिए विधानसभा में भी हाथ मिलाने और गले मिलने की जगह एक-दूसरे का हाथ जोड़कर अभिवादन करने की सलाह दी थी। उस समय विपक्ष के कुछ विधायकों ने विज की बात को हंसी में टाल दिया था। विज ने कहा था कि हाथ मिलाने वाली पाश्चात्य संस्कृति की बजाए नमस्ते कहकर इस बीमारी से दूर रहा जा सकता है। इससे पहले 2015 में स्वाइनन फ्लू फैलने के दौरान भी बतौर स्वास्थ्य मंत्री विज ने विधानसभा में 'अंग्रेजियत छोड़ो, भारतीयता अपनाओ' का नारा देते हुए हाथ मिलाने की बजाय हाथ जोड़कर अभिवादन करने का समर्थन किया था।

आयुर्वेदिक दवायों के इस्तेमाल, योग और सावधान सफर की ओर मुड़ेंगे लोग

अब हम बात करतें हैं कि कोरोना की वजह से हमारी किन आदतों में सुधार संभव है। सबसे पहले बात करते हैं लाइफ स्टाइल की। खाना खाने से पहले और बाद में तथा कोई भी काम करते हुए हाथ सफाई का ध्यान हमारी दिनचर्या का अहम हिस्सा बनने वाला है।

अपने आसपास के माहौल, वातावरण, कार्यालय, घर तथा सार्वजनिक स्थानों की सफाई के प्रति हमारी जिम्मेदारी तथा जवाबदेही दोनों बढ़ने वाली हैं। रोडवेज की बसों में सफर सावधानीपूर्वक होगा। प्राइवेट वाहनों में लोग एक दूसरे के ऊपर चढ़कर यात्रा करने से परहेज करेंगे। लोग अंग्रेजी दवाइयों के अलावा आयुर्वेदिक दवाइयों के इस्तेमाल पर भरोसा करने लगेंगे तथा नियमित योग व व्यायाम की आदत विकसित करेंगे।

वर्क फ्रॉम होम स्थायी व्यवस्था बनने के आसार

हरियाणा में पंचकूला, गुरुग्राम, सोनीपत, करनाल और फरीदाबाद सरीखे कई अहम शहर हैं, जहां बड़ी कंपनियों के कार्यालय हैं। अभी तक आइटी सेक्टर को छोड़कर बाकी सेक्टरों में वर्क-फ्रॉम-होम यानी घर से काम करने की इजाज़त मिलना नामुमकिन था, लेकिन अब इन कंपनियों के सामने विकल्प खुल गया है। कम खर्च में अधिक काम के नतीजे इन कंपनियों के सामने आ चुके हैं। आइटी के अलावा दूसरे सेक्टर की कंपनियां भी अब अपने कर्मचारियों को घर से काम करने की इजाज़त दे रही हैं।

लोगों का आने-जाने का तरीका बदलेगा

कोरोना वायरस फैलने के बाद से लोग भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने और सार्वजनिक परिवहन के इस्तेमाल से बच रहे हैं। यह आदत अब नियमित रूप से विकसित होने वाली है। लोग भले ही पुरानी बीमारियों से कोई सबक नहीं ले पाए, लेकिन कोरोना से सबक लेकर रहेंगे। पब्लिक ट्रांसपोर्ट के बिना हालांकि काम नहीं चलने वाला है, लेकिन रोडवेज की बसों, रेलवे और मेट्रो के साथ प्राइवेट वाहनों में शारीरिक दूरी तथा सफाई के नियमों का पूरा अनुपालन करना होगा।

ऑनलाइन पढ़ाई पर रहने वाला पूरा फोकस

न केवल हरियाणा बल्कि पूरे देश की अगर बात करें तो अब जल्दी से अगले दो माह तक स्कूल खुलने की कोई संभावना नहीं है। प्रदेश सरकार ने आनलाइन पढ़ाई आरंभ कर दी है। कुछ पढ़ाई टीवी के जरिये हो रही है। चंडीगढ़ सरीखे शहर में शिक्षक आनलाइन क्लास ले रहे हैं। स्कूलों के साथ ही कालेजों में भी यह व्यवस्था शुरू हो सकती है। एमडीयू रोहतक के वाइस चांसलर प्रो. राजबीर सिंह हालांकि ऐसी पहल कर चुके हैं।

मॉल्स में जाने और शॉपिंग की आदतें बदलेंगी

भीड़भाड़ वाली जगहों से कोरोना के संक्रमण फैलने के ख़तरे से लोग अब ऐसी जगहों पर जाने से बचेंगे, जहां मॉल्स, सिनेमाघर, स्कूल और कालेज हैं। दुकानों पर भी शापिंग की आदत बदगेगी। इसके अलावा खान-पान और हाइजीन की आदतों में बड़ा बदलाव होगा। रेस्टोरेंट में क्वालिटी होगी। रेहड़ी व छोटी दुकानों पर अच्छा खाना मिलेगा। साफ-सफाई का विशेष ध्यान रहेगा।

कारोबारी जगत कैसे निपटेगा समस्या से

अगर हम सिक्के के सकारात्मक पहलू को देखें तो भारत को ऑल्टरनेटिव सप्लाई हब के तौर पर खुद को खड़ा करना चाहिए। क्रूड ऑयल में गिरावट से सरकार के पास फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व की कमी नहीं रहेगी। कई इंडस्ट्रीज इस वक्त जीएसटी रेट कट की मांग कर रही हैं। साथ ही डिमांड को बनाए रखने के लिए कारोबारी जगत सरकार से ब्याज दरों में कटौती की मांग कर रहा है। ब्याज दरों में बड़ी कटौती और पर्सनल टैक्स में कटौती से लोगों के हाथ में पैसे बचेंगे।

कोरोना का सामाजिक असर भी

मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक यदि कोई काम लगातार 21 दिन तक किया जाए तो वह अपनी आदत में शुमार हो जाता है। इस पहलू को ध्यान में रखते हुए हम कह सकते हैं कि लोग अब अपने सामाजिक व्यवहार में काफी बदलाव लाने वाले हैं। यह सकारात्मक होगा।

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