RS Election: निर्दलीय MLA कुुंडू का दीपेंद्र को समर्थन, सैलजा नहीं आएंगी जूनियर हुड्डा के नामांकन में
राज्यसभा के चुनाव में निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने कांग्रेस के दीपेंद्र सिंह हुड्डा को समर्थन देने का ऐलान किया है। इसके साथ ही अब भाजपा के तीसरा प्रत्याशी उतारने पर संशय है।
नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। हरियाणा में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए हो रहे चुनाव की सरगर्मी चरम पर पहुंच गई है। भाजपा ने अपने दो प्रत्याशियाें के नाम घोषित किए हैं तो कांग्रेस ने एक सीट के लिए उम्मीदवार की घोषणा की है। भाजपा ने दुष्यंत कुमार गौतम और रामचंद्र जांगड़ा को टिकट दिया है तो कांग्रेस के उम्मीदरवार दीपेंद्र सिहं हुड्डा होंगे। आज नामांकन पत्र दाखिल करने का आखिरी दिन है। इसके साथ ही शुक्रवार सुबह निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने चुनाव में दीपेंद्र हुड्डा को समर्थन देने का ऐलान किया। इसके साथ ही अब भाजपा के तीसरे उम्मीदवार को मैदान में उतारने पर संशय है।
कांग्रेस की फूट आई सामने, टिकट कटने से प्रदेश प्रधान कुमारी सैलजा नाराज
दूसरी ओर, दीपेंद्र सिंह हुड्डा के नामांकन दाखिल करने से पहले हरियाणा कांग्रेस की फूट भी सामने आ गई है। बताया जाता है कि हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्ष कुमारी सैलजा दीपेंद्र के नामांकन में शामिल नहीं होंगी। बता दें कि कुमारी सैलजा राज्यसभा सीट के टिकट की प्रमुख दावेदार थीं और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा उनका टिकट काट कर अपने बेटे दीपेंद्र को उम्मीदवारी दिलाने में कामयाब रहे। दीपेंद्र कांग्रेस विधायक दल की चंडीगढ़ में बैठक के बाद अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे।
बता दें कि महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू पहले मनोहरलाल सरकार को समर्थन दे रहे थे। पिछले दिनों भाजपा नेता व पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर से सियासी जंग के कारण उन्होंने भाजपा-जजपा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था। कुुंडू ने मनीष ग्रोवर पर भ्रष्टाचार के आराेप लगाए थे। बलराज कुंडू ने शुक्रवार सुबह कहा कि वह राज्यसभा चुनाव में दीपेंद्र को वोट देंगे।
राज्यसभा चुनाव में 36 वोट जुुटाने का दावा कर रहा है दीपेंद्र खेमा
कुंडू भ्रष्टाचार के खिलाफ 22 मार्च को रोहतक के मेला ग्राउंड में एक रैली भी कर रहे हैं। निर्दलीय विधायक कुंडू के साथ ही दीपेंद्र हुड्डा खेमा दावा कर रहा है कि 31 कांग्रेस विधायकों के अलावा तीन निर्दलीय और दो जजपा विधायकों के वोट भी उन्हें मिलेंगे। इस तरह कांग्रेस ने 36 विधायकों के समर्थन का दावा किया है।
कांग्रेस के बीमार चल रहे विधायक श्रीकृष्ण हुड्डा भी अब बेशक अस्पताल में हैं मगर वे वेंटीलेटर पर नहीं हैं। टिकट की घोषणा होते ही दीपेंद्र हुड्डा ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा से नई दिल्ली स्थित उनके निवास पर मुलाकात की। इस दौरान सैलजा ने दीपेंद्र को बधाई दी। माना जा रहा है कि सैलजा समर्थित तीनों कांग्रेस विधायक भी क्रॉस वोट नहीं करेंगे। ये तीनों विधायक दीपेंद्र को ही वोट करेंगे। ऐसा माना जा रहा है कि दीपेंद्र चुनाव जीतते हैं तो वह राज्यसभा में भी सबसे कम उम्र के सांसद बनेंगे। दीपेंद्र 2005 में भी जब लोकसभा के लिए चुने गए थे तो सबसे कम उम्र के ही सांसद थे।
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दीपेंद्र प्रदेश कांग्रेसाध्यक्ष के लिए हां भरते तो भूपेंद्र हुड्डा को छोड़ना पड़ता नेता प्रतिपक्ष का पद
कांग्रेस हाईकमान ने राज्यसभा में कुमारी सैलजा को भेजने के लिए अंतिम दौर तक प्रयास किए। हाईकमान की तरफ से दीपेंद्र हुड्डा को यह भी कहा गया कि वे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद ले लें लेकिन दीपेंद्र ने इसके लिए साफ मना कर दिया।
बताया जाता है कि उन्होंने कहा उनके पिता भूपेंद्र सिंह हुड्डा राज्य में नेता प्रतिपक्ष हैं और वह (दीपेंद्र) प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनेंगे तो उनके पिता को इस्तीफा देना होगा। इसलिए वह राज्यसभा में ही जाना चाहते हैं। सूत्र बताते हैं कि राज्यसभा सीट पाने के लिए कुमारी सैलजा ने ही हाईकमान के समक्ष प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ने का प्रस्ताव रखा था। असल में जब सैलजा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था तब दीपेंद्र हुड्डा ही सबसे इस पद के लिए सबसे सशक्त दावेदार थे।
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दीपेंद्र का नाम आने के बाद भाजपा के तीसरे उम्मीदवार पर संशय
इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी अब राज्यसभा के लिए अपना तीसरा उम्मीदवार उतारेगी या नहीं, इसपर संशय हो गया है। दीपेंद्र सिंह हुड्डा को कांग्रेस द्वारा अपना उम्मीदवार घोषित करने के बाद भाजपा अपनी रणनीति पर दोबारा विचार कर रही है। भाजपा के प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव डॉ. अनिल जैन का कहना है कि पार्टी विधायकों की संख्या और तीसरे उम्मीदवार की जीत की संभावनाओं का आकलन कर रही है। डॉ. जैन ने तीसरे उम्मीदवार के बारे में शुक्रवार सुबह तक फैसला लेने की बात कही थी, लेकिन भाजपा ने अब तक कोई घोषणा की है। का समय है।
दरअसल, तीन सीटों में से दो पर नियमित चुनाव हो रहे हैं और एक सीट चौधरी बीरेंद्र सिंह के इस्तीफे से रिक्त हुई है। बीरेंद्र सिंह के इस्तीफे से रिक्त सीट सामान्य बहुमत से तय होगी, इसलिए इस सीट पर कोई दिक्कत ही नहीं है। दोनों नियमित सीटों पर संख्या बल को देखते हुए भाजपा और कांग्र्रेस के प्रत्याशी निर्वाचित हो जाएंगे। लेकिन कांग्रेस दो सदस्य यदि क्रास वोटिंग कर दें तो भाजपा अपना तीसरा उम्मीदवार भी जिता लेगी।
कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा की आपसी गुटबाजी के कारण भाजपा की निगाह इस सीट पर थी। अब दीपेंद्र को टिकट मिलने के बाद हुड्डा अपने बेटे को जिताने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। कांग्रेस को अपना उम्मीदवार जिताने के लिए 30 विधायक चाहिए। उसके 31 विधायकों में चौबीस हुड्डा गुट के हैं। राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार यदि क्रास वोटिंग हो भी जाए तो हुड्डा 6 विधायकों का अलग से जुगाड़ कर लेंगे। वैसे यह आवश्यक भी नहीं कि हुड्डा विरोधी विधायक क्रास वोटिंग कर ही दें।
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