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पंजाब का रवैया नहीं बदला तो हरियाणा ने निकाला रास्‍ता, ऐेसे लाएगा SYL का पानी

एसवाईएल पर पंजाब का रुख नहीं बदला तो हरियाणा इसके लिए नया रास्‍ता निकाल सकता है। वह हिमाचल प्रदेश के रास्‍ते पानी ले सकता है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 24 Aug 2018 09:30 AM (IST)Updated: Sun, 26 Aug 2018 08:49 PM (IST)
पंजाब का रवैया नहीं बदला तो हरियाणा ने निकाला रास्‍ता, ऐेसे लाएगा SYL का पानी
पंजाब का रवैया नहीं बदला तो हरियाणा ने निकाला रास्‍ता, ऐेसे लाएगा SYL का पानी

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब का एसवाईएल नहर पर रवैया नहीं बदला ताे हरियाणा नए रास्‍ते से राज्‍य में इस नहर से पानी ला सकता है। इसके लिए नया रूट तलाश लिया गया है। इससे पिछले चार दशक से हरियाणा और पंजाब के बीच विवाद का कारण बनी एसवाईएल नहर का पानी एक साल के भीतर दक्षिण हरियाणा के सूखे खेतों तक पहुंच सकता है। इसके लिए केंद्र सरकार की दृढ़ इच्छा शक्ति जरूरी है। यह पानी भी ऐसे रास्ते से आएगा कि न तो पंजाब के किसानों को नुकसान होगा और न ही हरियाणा के हिस्से में कमी आएगी।

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एसवाईएल हिमाचल मार्ग समिति ने सुझाया 43 साल से चले आ रहे विवाद का समाधान

एसवाईएल हिमाचल मार्ग समिति के अध्यक्ष एडवोकेट जितेंद्रनाथ ने चंडीगढ़ में पानी के नए रूट की जानकारी दी। यह पानी भाखड़ा डैम से हिमाचल के रास्ते बद्दी होते हुए पिंजौर-पंचकूला के पास टांगरी नदी में पानी डालकर जनसुई हेड तक लाया जा सकता है। उन्होंने एक डाक्यूमेंट्री के जरिये एसवाईएल नहर के वर्तमान हालात व अपने सुझाए रास्ते को दिखाया।

जितेंद्रनाथ के अनुसार, अंबाला में जनसुई हेड से आगे नहर का काम पूरा हो चुका है। भौगोलिक दृष्टि से देखें तो भाखड़ा डैम से वाया हिमाचल प्रदेश हरियाणा बार्डर मात्र 67 किलोमीटर की दूरी पर है, जबकि पंजाब के रास्ते हरियाणा बॉर्डर की दूरी 156 किलोमीटर पड़ती है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने इस नए रास्ते से एसवाईएल का पानी लाने के लिए कोई कार्यवाही नहीं की तो 28 अगस्त से आंदोलन शुरू होगा तथा चार साल की गतिविधियों के बाद एक दिसंबर को दिल्ली में प्रदर्शन किया जाएगा।

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एडवोकेट जितेंद्रनाथ के अनुसार नए रास्ते में पड़ने वाली हिमाचल की अधिकतर जमीन पहाड़ी, बरानी और सरकारी है, जिसे हिमाचल सरकार को देने में अधिक दिक्कत नहीं आएगी। हिमाचल प्रदेश में स्थित भाखड़ा डैम का पानी का बहाव भी तेजी से नीचे की तरफ आता है, जिससे बिजली बनाई जाती है।

उन्‍होंने कहा कि भाखड़ा डैम से बिजली बनाने के बाद यह पानी सतलुज नदी में गिरता है। हिमाचल में सतलुज नदी 11 किलोमीटर तक बहती है, जिसमें से कहीं पर भी एसवाईएल नहर को जोड़ कर पानी लाया जा सकता है। सतलुज नदी से लेकर जनसुई हेड तक एसवाईएल का पानी सरपट दौड़ता हुआ आएगा।

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जितेंद्रनाथ के अनुसार इस रास्ते से पानी लाने पर हरियाणा के लिए 1100 मेगावाट बिजली बनाई जा सकती है। इसके पहले भी जितेंद्रनाथ यह मांग उठा चुके हैं। इस अवसर पर एसवाईएल हिमाचल मार्ग समिति के लीगल हेड एडवोकेट  अभिषेक नंदा, आइटी हेड अभिषेक मेहता, प्रदेश प्रवक्ता बलबीर सिंह जाखड़, सहसचिव कृष्ण ओला, सचिव विकास मेहता और नरेंद्र दुर्जनपुर मौजूद रहे।

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