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हरियाणा सरकार नहीं खरीदेगी विदेशी प्याज, जानें क्‍यों ठुकराया केंद्र सरकार का ऑफर

हरियाणा सरकार ने राज्‍य में प्‍याज की कमी से निपटने के लिए विदेशी प्‍याज खरीदने से इन्‍कार करि दिया है। हरियाणा सरकार ने इस संबंध में केंद्र सरकार के ऑफर को टुकरा दिया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 08 Jan 2020 03:48 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jan 2020 08:33 AM (IST)
हरियाणा सरकार नहीं खरीदेगी विदेशी प्याज, जानें क्‍यों ठुकराया केंद्र सरकार का ऑफर
हरियाणा सरकार नहीं खरीदेगी विदेशी प्याज, जानें क्‍यों ठुकराया केंद्र सरकार का ऑफर

चंडीगढ़, जेएनएन। राज्‍य में प्‍याज की किल्‍लत के बावजूद हरियाणा सरकार ने विदेशी प्याज की खरीद की केंद्र सरकार की पेशकश को ठुकरा दिया है। केंद्र सरकार ने 60 रुपये प्रति किलो की दर से विदेशी प्याज की खरीद की पेशकश की थी। सरकार को यह प्‍याज खर्च आदि जोड़कर 75 रुपये प्रति किलो पड़ता। इसके साथ ही हरियाणा सरकार ने राज्य की चार मंडियों पंचकूला, करनाल, गुरुग्राम और हिसार में सर्वे कराया तो पता चला कि 70 से 75 रुपये किलो की दर से प्याज यहां उपलब्ध है। इसी कारण उसने केंद्र सरकार के ऑफर को ठुकरा दिया।

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केंद्र सरकार ने दिया था ढ़ाई हजार मीट्रिक टन प्याज की खरीद का प्रस्ताव

हरियाणा सरकार को दिल्ली से प्याज मंगाने का खर्च 10 से 15 रुपये क्विंटल पडऩे की वजह से यह रेट वही पड़ रहा है, जिस पर हरियाणा की मंडियों में प्याज उपलब्ध है। लिहाजा केंद्र सरकार से प्याज मंगाने के प्रस्ताव को टाल दिया गया है। प्रदेश सरकार पहले भी मेवात (नूंह) की मंडियों से प्याज मंगवाने का आइडिया ड्राप कर चुकी है, क्योंकि वहां 100 रुपये प्रति किलो से कम प्याज नहीं मिल रहा था। इस रेट पर आम मार्केट में प्याज उपलब्ध था।

60 रुपये किलो तय की थी दरें, 15 रुपये खर्च के कारण पड़ता 75 रुपये

हरियाणा के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने केंद्रीय मंत्रालय को पत्र लिखकर अपने राज्य द्वारा प्याज नहीं खरीदने की जानकारी दे दी गई है, ताकि विदेशी प्याज के स्टॉक को केंद्र सरकार किसी दूसरे राज्य में अलाट कर सके। देश भर में प्याज की बढ़ी कीमतों से आम लोगों को राहत दिलाने के लिये केंद्र सरकार ने विदेशी प्याज खरीदने का फैसला लिया था। लगभग ढ़ाई हजार मीट्रिक टन प्याज हरियाणा को दिए जाने की पेशकश थी।

हरियाणा सरकार ने विधानसभा चुनावों से पहले लोगों को सस्ती दरों पर प्याज उपलब्ध करवाया था। उस समय राशन डिपो के माध्यम से लोगों को 25 रुपये किलो की दर से प्याज दिया गया। एक परिवार को महीने में लगभग 30 किलो प्याज उपलब्ध करवाया गया। उस समय प्याज का रेट 70 रुपये से ज्यादा हो गया था।

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खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास के अनुसार दिल्ली से प्याज लाने का खर्च ज्यादा आ रहा था। राज्य की चार मंडियों का सर्वे करवाया गया तो केंद्र और मार्केट के भाव करीब बराबर आए। ऐसे में फैसला किया गया कि केंद्र से प्याज नहीं लिए जाएंगे।

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