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Narnaul School Bus Accident: HC में किए वादों पर खरा नहीं उतर पाई हरियाणा सरकार, मासूमों को चुकानी पड़ी कीमत

Narnaul School Bus Accident हरियाणा सरकार हाई कोर्ट में किए वादों पर खरा नहीं उतर पाई। प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट में हलफनामा दायर कर अदालत को भरोसा दिलाया था कि स्कूली बच्चों के सफर को सुरक्षित बनाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट में जो हलफनामा दिया था यदि उस पर सही ढंग से काम कर लिया गया होता तो ऐसा हादसा नहीं होता।

By Dayanand Sharma Edited By: Himani Sharma Published: Thu, 11 Apr 2024 09:40 PM (IST)Updated: Thu, 11 Apr 2024 09:40 PM (IST)
HC में किए वादों पर खरा नहीं उतर पाई हरियाणा सरकार (फाइल फोटो)

दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। Narnaul School Bus Accident: हरियाणा सरकार पिछले साल हाईकोर्ट में दिए गए अपने ही हलफनामे का अनुपालन कराने में पूरी तरह से विफल रही है। प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट में हलफनामा दायर कर अदालत को भरोसा दिलाया था कि स्कूली बच्चों के सफर को सुरक्षित बनाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे।

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सरकार ने अपने हलफनामे में कही थी ये बात

सरकार ने सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी सही ढंग से लागू करवाने के लिए स्कूली बसों की जांच के लिए कमेटी का गठन करने की बात भी अपने हलफनामे में कही थी। इस कमेटी में तकनीकी विशेषज्ञ, मोटर वाहन इंस्पेक्टर, पुलिस व शिक्षा विभाग के अधिकारियों को शामिल करने का दावा किया गया था, लेकिन महेंद्रगढ़ हादसे ने स्कूल शिक्षा और परिवहन विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली की सच्चाई की पोल खोलकर रख दी।

दिया जाता ध्‍यान तो नहीं होता हादसा

हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट में जो हलफनामा दिया था, यदि उस पर सही ढंग से काम कर लिया गया होता तो ऐसा हादसा नहीं होता। अब इस बात की कोई गारंटी नहीं रह गई कि भविष्य में भी ऐसे हादसे नहीं होंगे, क्योंकि शिक्षा व परिवहन विभाग की किसी तरह की कोई तैयारी नहीं है।

हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट में दायर हलफनामे में बताया था कि राज्य के स्कूलों में बच्चों को प्रताड़ना व परेशानी से बचाने के लिए स्कूली बसों की रूट पर जांच न करते हुए स्कूलों में जांच की जा रही है। समय समय पर नियमों के खिलाफ चल रही बसों की जांच का प्रविधान किया गया है तथा चालान काटकर उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।

2014 में भी हुआ था हादसा

हरियाणा सरकार के इस जवाब पर विश्वास करते हुए हाई कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए याची पक्ष को छूट दी थी कि अगर उसे सेफ स्कूल वाहन नीति के खिलाफ कोई शिकायत है तो वह संबंधित अथारिटी को शिकायत दर्ज करवा सकता है।

इस मामले में दायर जनहित याचिका में कहा गया था कि निगरानी के अभाव में स्कूल बसों के साथ हादसों की संख्या बढ़ रही है। भिवानी के बाल क्रांति ट्रस्ट की ओर से दाखिल जनहित याचिका में बताया गया था कि वर्ष 2014 में स्कूल बस दुर्घटना में कई मासूमों की जान चली गई थी।

पंजाब और हरियाणा को हाईकोर्ट ने दिया था ये आदेश

हाई कोर्ट ने मामले में संज्ञान लेते हुए पंजाब और हरियाणा दोनों राज्य सरकारों को ठोस नीति बनाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि स्कूल बसों में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित होनी चाहिए। हाई कोर्ट के आदेश पर हरियाणा और पंजाब दोनों सरकारों ने नीति बनाने की बात कही थी।

हरियाणा ने सुरक्षित स्कूल वाहन नीति तो पंजाब ने इसी तरह की पॉलिसी बनाकर इसे लागू किया था। इस पॉलिसी के तहत राज्य और जिला स्तर पर समितियां गठित कर समय-समय पर बसों की जांच करने का प्रविधान किया गया। इन बसों में मासूमों की सुरक्षा के पर्याप्त प्रबंध करने की व्यवस्था की गई।

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याचिकाकर्ता के बताया कि यह नीति बनाने के बावजूद इसे लागू नहीं किया जा रहा है। निगरानी न होने के चलते हादसों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। याचिकाकर्ता ने पूर्व में हुई कुछ दुर्घटनाओं का याचिका में हवाला दिया था, जिसमें मासूम बच्चों की जान गई। याचिकाकर्ता ने कहा कि यदि समय पर बसों की जांच की गई होती तो यह हादसे टाले जा सकते थे। इन दुर्घटनाओं का कारण बसों में खामियां थी।

स्कूली बसों की जांच के हाई कोर्ट के आदेशों की अनुपालन नहीं

हाई कोर्ट ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ के राज्य बाल कल्याण समितियों को आदेश दिया था कि वह स्कूली बसों की जांच करें। हाई कोर्ट ने स्कूली बसों को पास करने में डीटीओ द्वारा सही जांच न करने पर भी सवाल उठाते हुए कहा था कि उनके संज्ञान में आया है कि डीटीओ बस पास करते समय सही मापदंड की पालना नहीं करते।

बेंच ने स्पष्ट किया था कि अगर किसी बस में सेफ स्कूल वाहन की नीति पालना नहीं होती तो उसके लिए प्रिंसिपल जिम्मेदार होंगे। हाई कोर्ट ने राज्य बाल कल्याण परिषद को निर्देश दिया था कि वह राज्य की सभी स्कूल बसों की जांच करते रहें और यह जांच करें कि क्या स्कूली बसें सुरक्षित वाहन नीति की पालना कर रही हैं।

परिवहन विभाग के अधिकारियों ने जिम्मेदारी से मुंह मोड़ा

स्कूली बच्चों के लिए सुरक्षित परिवहन नीति और मानक तैयार करने के लिए राज्य, जिला और उप जिला स्तर की समितियां गठित करने का दावा सरकार की ओर से किया गया है। प्रदेश स्तरीय कमेटी इस पॉलिसी और स्कूल बसों की सुरक्षा के लिए तैयार मानकों को लागू कराएगी। परिवहन विभाग के प्रधान सचिव इसके अध्यक्ष हैं।

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परिवहन आयुक्त, आबकारी एवं कराधान आयुक्त, राज्य परिवहन विभाग के महानिदेशक, पुलिस महानिदेशक, उच्चतर शिक्षा विभाग के महानिदेशक, सेकेंडरी शिक्षा विभाग के महानिदेशक और प्राथमिक शिक्षा विभाग के महानिदेशक सदस्य हैं। इस कमेटी के पास स्कूली बसों की सुरक्षा के मानकों को तैयार करने के लिए शक्तियां हैं, लेकिन वह महेंद्रगढ़ हादसे के बाद फेल साबित हुई।


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