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हरियाणा बजटः सरकार ने दोहराई सामाजिक कल्याण की योजनाओं के प्रति वचनबद्धता

हरियाणा विधानसभा में आज राज्य का बजट पेश किया गया। वित्त मंत्री ने सामाजिक कल्याण की योजनाओं के प्रति भी अपनी वचनबद्धता दोहराई।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 09 Mar 2018 02:30 PM (IST)Updated: Fri, 09 Mar 2018 02:30 PM (IST)
हरियाणा बजटः सरकार ने दोहराई सामाजिक कल्याण की योजनाओं के प्रति वचनबद्धता

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा के वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु विधानसभा में आज बजट पेश किया। वित्‍तमंत्री ने बजट में विकास की ऊंची उड़ान का सपना दिखाया। साथ ही उन्होंने सामाजिक कल्याण की योजनाओं के प्रति भी अपनी वचनबद्धता दोहराई।

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वित्त मंत्री ने कहा कि जन धन, आधार और मोबाइल की त्रिवेणी अर्थात जेएएम के तहत, सभी परिवारों को जन धन के तहत कवर किया गया है। आधार नामांकन के मामले में हरियाणा देश के शीर्ष राज्यों में से एक है। प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत, अगस्त, 2014 में इसके शुरू होने के बाद से 31 दिसंबर, 2017 तक 64.54 लाख जन धन खाते खोले गए। ग्रामीण क्षेत्रों में 31.64 लाख और शहरी क्षेत्रों में 32.90 लाख खाते खोले गए तथा 58.26 लाख रूपे कार्ड जारी किए गए।

वित्त मंत्री ने कहा कि बैंकों द्वारा 31 दिसंबर, 2017 तक प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत 27,94,368, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत 8,53,218 तथा अटल पेंशन योजना के अंतर्गत 1,49,896 लोगों को नामांकित किया गया।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत, चालू वित्त वर्ष के दौरान दिसंबर, 2017 तक 1,35,784 लाभार्थियों को 2051.76 करोड़ रुपये की राशि वितरित की गई, जिसमें से 407.02 करोड़ रुपये, 50,770 महिला लाभार्थियों को तथा 150.74 करोड़ रुपये अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के 29605 लाभार्थियों को वितरित किए गए।

वित्त मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम पूंजी निर्माण, रोजगार सृजन और अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्रदेश में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसई) के प्रदर्शन ने घाटे में कमी या लाभ में सुधार के मामले में सुधार के लक्षण दर्शाए हैं। कंपनी अधिनियम 1956 के तहत पंजीकृत 22 सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में से वर्ष 2016-17 में 14 उपक्रमों ने षुद्ध लाभ अर्जित किया, जबकि वर्ष 2013-14 में 13 उपक्रमों ने शुद्ध लाभ अर्जित किया था।

वर्ष 2016-17 के दौरान इन 14 उपक्रमों द्वारा अर्जित लाभ 187.29 करोड़ रुपये था। घाटे में रहने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की संख्या वर्ष 2013-14 के नौ से कम होकर वर्ष 2016-17 में आठ रह गई। न केवल संख्या में, बल्कि मौद्रिक रूप में भी समग्र घाटा वर्ष 2013-14 में 3,806.37 करोड़ रुपये की तुलना में वर्ष 2016-17 में कम होकर 3,452.42 करोड़ रुपये रह गया।

इसी प्रकार, सहकारी समितियां अधिनियम के तहत पंजीकृत 19 सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने भी सुधार के लक्षण दर्शाए हैं। यह इस बात से परिलक्षित होता है कि घाटे वाले उपक्रमों की संख्या वर्ष 2013-14 में 13 से कम होकर वर्ष 2016-17 में 10 रह गई। घाटे की राषि वर्ष 2013-14 में 435.37 करोड़ रुपये से कम होकर वर्ष 2016-17 में 400.96 करोड़ रुपये रह गई।

इसी प्रकार, इसी अवधि के दौरान लाभ कमाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की संख्या पांच से बढ़कर आठ हो गई और उनका लाभ 72.91 करोड़ रुपये से बढ़कर 337.30 करोड़ रुपये हो गया, जो अप्रत्याशित वृृद्धि दर्शाता है। विशेष कानूनों के तहत पंजीकृत पांच सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने भी अपने लाभ में सुधार दर्शाया है जो कि वर्ष 2013-14 में 33.85 करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2016-17 में बढ़कर 51.03 करोड़ रुपये हो गया।

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