सरकार ने फेंका पासा; ग्राम सभाएं चाहें तो ई-पंचायत से छूट, पर अन्य कई ग्रांटें हो जाएंगी बंद
हरियाणा सरकार ने ई-पंचायत की खिलाफत कर रहे पंचायत सचिवों और सरपंचों पर पासा फेंका है। उन्हें इससे छूट मिल सकती है, पर कुछ शर्तों के साथ।
जेएनएन, चंडीगढ़। ई-पंचायत का विरोध कर रहे ग्राम सचिव और सरपंचों पर सरकार ने नया पासा फेंका है। ऐसी पंचायतों को ग्राम सभा से प्रस्ताव पारित कर सरकार को देना होगा। हालांकि इसकी कीमत उन्हें विकास कार्यों में चुकानी होगी। इन पंचायतों के सरपंचों को 20 लाख की जगह केवल दस लाख रुपये तक खर्च करने की पॉवर मिलेगी। गुड गवर्नेंस की परफार्मेंस ग्रांट भी बंद कर दी जाएगी। वहीं, सरपंचों का विरोध प्रदर्शन आज भी जारी रहा।
विकास एवं पंचायत विभाग ने ई-पंचायतों के फायदे गिनाते हुए फैसला ग्राम सभाओं के हाथ में छोड़ा है। विभाग के मुताबिक ई-पंचायतों की खिलाफत का मतलब पारदर्शिता व नियोजित विकास का विरोध है। ई-पंचायत में हर आदमी को पता रहेगा कि गांव में कितना पैसा विकास के लिए आया और कहां खर्च हुआ। पोर्टल से पता लगेगा कि कौन से काम बाकी हैं। इससे वित्तीय प्रबंधन भी बेहतर होगा।
हुड्डा के राज में शुरू हुई योजना, 3638 पंचायतें ई-पोर्टल पर
हरियाणा में ई-पंचायत कोई नई बात नहीं। पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा की सरकार ने वर्ष 2010 में इस दिशा में कदम बढ़ा दिए थे। हर ग्राम पंचायत की अपनी वेबसाइट है जिसमें वे अपनी ग्राम विकास योजना को अपलोड करेंगे। प्रदेश की कुल 6204 पंचायतों में से 3638 ग्राम पंचायत ई-पोर्टल पर हैं। इस तरह 60 फीसद पंचायतों का डाटा अपलोड हो चुका।
विकास एवं पंचायत विभाग के प्रधान सचिव अनुराग रस्तोगी से सीधी बात
सवाल : पंचायतें जीपीडीपी (ग्राम पंचायत विकास प्लान) से बंध जाएंगी। ऐसे में साल के बीच में किसी काम की जरूरत पड़ी तो वह अटक जाएगा?
जवाब : प्रदेश सरकार ने केंद्र से गुजारिश की है कि हर तीन महीने बाद जीपीडीपी में सुधार का मौका दिया दिया। इसके अलावा अचानक जरूरत पडऩे पर साल में एक बार इसमें फेरबदल की मंजूरी होनी चाहिए।
सवाल : मजदूरी नकद कैसे दी जाएगी। आपात स्थिति में काम कैसे होगा?
जवाब : सरपंचों को मजदूरी का पैसा नकद रखने की पावर मिलेगी। अचानक होने वाले कामों के लिए नकदी हाथ में रहेगी।
सवाल : पंचायत प्रतिनिधि प्रशिक्षित कैसे होंगे? ढांचागत सुविधाएं भी नहीं।
जवाब : ग्राम सचिवों व सरपंचों की ट्रेनिंग कराई जा रही है। ग्राम सचिवालयों के अटल सेवा केंद्रों में ट्रेंड आपरेडर हैं। 1620 ग्रामीण सचिवालय स्थापित किए जा चुके जिनमें कंप्यूटर व नेट की सुविधा है। हर गांव में 3जी नेटवर्क है।
सवाल : वर्तमान में चल रहे कार्यों का क्या होगा?
-जो काम वर्तमान में चल रहे हैं उन्हें ई-पंचायत का हिस्सा नहीं बनाया जाएगा। नए सत्र के काम ही इसके दायरे में होंगे।
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