भूमि खरीद नीति के विरोध में उतरे किसान, कहा- क्या बनना है कागजों में स्पष्ट नहीं
सरकारी प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण के बजाय जमीन खरीदने की नीति में खामियों के विरोध में करनाल के किसान लामबंद हो रहे हैं।
जेएनएन, चंडीगढ़। सरकारी प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण के बजाय जमीन खरीदने की नीति में खामियों के विरोध में करनाल के किसान लामबंद होने लगे हैं। किसानों ने हवाई अड्डे के लिए ई-भूमि पोर्टल पर जमीन के लिए आवेदन मांगने की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि गोवा, महाराष्ट्र व गुजरात की तर्ज पर जमीन का अधिग्रहण कर सरकार मुआवजा दे।
करनाल के गांव कलवेहड़ी निवासी किसान इंदरप्रीत सिंह, सुभाष खोखर, भवनीत सिंह कल्याणा, कंवलदीप सिंह, बलवान सिंह व मनोज कुमार ने शुक्रवार को चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह मुद्दा उठाया। इंदरप्रीत ने कहा कि करनाल में हवाई अड्डा बनना है या हवाई पट्टी का विस्तार होगा, इस पर आज तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है। सरकार हवाई अड्डा बनाने की बात कर रही है, जबकि हवाई पट्टी के विस्तार के लिए 280 एकड़ जमीन खरीदने की बात कही जा रही है।
प्रस्तावित हवाई अड्डे के लिए जमीन देने वाले किसानों ने कहा कि 10 साल से प्रोजेक्ट अधर में है। हुड्डा सरकार में पूरे क्षेत्र को कंट्रोल्ड एरिया घोषित कर दिया गया था जिससे न तो वे जमीन किसी को बेच सके और न इसका कोई दूसरा इस्तेमाल हो सका।
वर्तमान सरकार ने ई-भूमि पोर्टल के जरिये कलवेहड़ी, नेवल व बुढाखेड़ा की जमीन खरीदने के लिए किसानों से सहमति पत्र मांगे हैं। बदले में किसानों को कितना पैसा मिलेगा, इसका कोई पैमाना नहीं। अगर किसान अंडरटेकिंग देता है तो वह सरकार द्वारा तय कीमत लेने के लिए बाध्य होगा और कहीं अपील भी नहीं कर सकेगा। इसके अलावा एग्रीकेटर की भूमिका भी समझ से परे है।
इंदरप्रीत सिंह ने बताया कि इस मसले पर किसान चार बार मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मिल चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि सरकार गुरुग्राम व पलवल की तर्ज पर उनकी जमीन का अधिग्रहण कर पर्याप्त मुआवजा और छोटे किसानों को नौकरी दे। अन्यथा वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मिलकर न्याय मांगेंगे।
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