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शहरों के विस्तारीकरण में पंचायती जमीन के इस्तेमाल पर देना होगा किराया

हरियाणा में शहरी क्षेत्र के विस्‍तार कार्य में पंचायती भूमि का इस्‍तेमाल करने पर किराया देना होगा। यह किराया संबंध्‍ाित विकास एजेंसी को देना होगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 08 Jun 2018 12:40 PM (IST)Updated: Fri, 08 Jun 2018 12:40 PM (IST)
शहरों के विस्तारीकरण में पंचायती जमीन के इस्तेमाल पर देना होगा किराया
शहरों के विस्तारीकरण में पंचायती जमीन के इस्तेमाल पर देना होगा किराया

जेएनएन, चंडीगढ़। शहरों के मास्टर प्लान के विस्तारीकरण में पंचायती जमीन का इस्तेमाल करने पर अब हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) या निजी डेवलपर्स को किराया देना होगा। पंचायती जमीन के इस्तेमाल के बदले एचएसवीपी को हर साल पंचायतों को भूमि की कलेक्टर रेट की 0.5 फीसद राशि देनी होगी।

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विकास एवं पंचायत मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इसकी मंजूरी दे दी है। जल्द ही इस संबंध में नीति अधिसूचित की जाएगी। उन्होंने बताया कि नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग द्वारा अनुमोदित किए जाने के बावजूद परियोजना कार्यान्वित करते समय यदि ग्राम पंचायत के स्वामित्व वाली सड़क, नाली व फुटपाथ का उपयोग यूटिलिटी इन्फ्रास्ट्रेक्चर विकसित करने के लिए खोदा जाता है तो पहले ग्राम पंचायत से अनुमति लेनी होगी। यदि पंचायत का रास्ता कंपनी अपने खर्चे पर पक्का कराती है तो पंचायत को कोई आपत्ति नहीं होगी। बहरहाल, यह ग्राम पंचायत के रिकार्ड में दर्ज होगा।

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धनखड़ ने बताया कि नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग द्वारा कालोनी की सेक्टर योजना या लेआउट योजना अनुमोदित किए जाने पर भी यदि यह भूमि सार्वजनिक उपयोग के लिए इस्तेमाल की जाती है तो भी बिल्डर को भुगतान करना होगा।

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पंचायती जमीनों पर खुलेंगी गोशालाएं

हरियाणा में बेसहारा गायों के दिन फिरने वाले हैैं। प्रदेश सरकार ने पंचायती जमीनों पर गोशालाएं खोलने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। पंचायतें अपने अधिकार क्षेत्र वाली गोचरान की जमीनें गोशालाओं तथा नंदीशालाओं के निर्माण के लिए पïट्टे पर दे सकेंगी। पशुधन के लिए चारे का बंदोबस्त करने के लिए गोशालाओं को अतिरिक्त जमीन मुहैया होगी। आरंभ में जमीन का पïट्टा अधिकतम 15 साल के लिए होगा।

ओम प्रकाश धनखड़ के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मंजूरी दे दी है। नई नीति के मुताबिक संबंधित ग्राम पंचायतों को गोचरान की भूमि का उपयोग करने का प्रस्ताव पास करना होगा। इसके बाद इच्छुक एजेंसियों को गोशाला अथवा नंदीशाला के निर्माण के लिए हरियाणा गोसेवा आयोग के पास आवेदन करना होगा, जिसे जिला उपायुक्त की अध्यक्षता में गठित कमेटी को भेजा जाएगा। पंचायतें चाहेंगी तो भूमि का उपयोग खुद भी कर सकती हैैं अथवा एजेंसियों को पïट्टे पर भी दे सकती हैैं।

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धनखड़ के अनुसार, भूमि के उपयोग की अनुमति जिला कमेटी के अधिकारियों की उपस्थिति में बोली के माध्यम से दी जाएगी। गोशाला का निर्माण एक साल के भीतर करना होगा तथा चारे के लिए उपलब्ध कराई जाने वाली जमीन पर दूसरा कोई काम नहीं किया जा सकेगा। अगर बोलीदाता सिर्फ एक ही है तो उस स्थिति में गोशाला की स्थापना के लिए 5100 रुपये प्रति एकड़ तथा चारे के लिए 7100 रुपये प्रति एकड़ की दर से शुरूआत होगी।

धनखड़ ने बताया कि 200 से 300 पशुओं के लिए एक एकड़, 500 से 700 पशुओं के लिए दो एकड़, एक हजार से 1,200 पशुओं के लिए तीन एकड़, दो हजार पशुओं के लिए चार एकड़ तथा इससे अधिक पशुओं के लिए पांच एकड़ भूमि उपलब्ध कराई जाएगी।

पराली निस्तारण की नीति बनाने पर आगे बढ़ा हरियाणा, कमेटी गठित

इसके साथ ही धनखड़ ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि अगले सीजन से पहले ही पराली निस्तारण के लिए बनाई जाने वाली पराली औद्योगिक बायोमास नीति तथा पराली प्रबंधन नीति तैयार कर लें। यहां अायोजित बैठक में नव एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके महापात्रा के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई गई, जो जल्द ही भारतीय तेल निगम, केंद्रीय पेट्रोलियम व नव एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालयों के अफसरों के साथ बैठक करेगी।

धनखड़ ने कहा कि राष्ट्रीय ताप बिजली निगम के संयंत्रों में ऊर्जा, इथनोल या सीएनजी गैस तथा खेतों में जैविक खाद के तौर पर पराली का प्रबंधन किया जाए। उन्होंने कहा कि  पानीपत रिफाइनरी के निकट 200 करोड़ की परियोजना लगाने पर भारतीय तेल निगम सहमत है।


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