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विवाह अवैध तो भी महिला को गुजारा भत्ता देने से नहीं किया जा सकता इन्कार, फतेहाबाद के मामले पर हाई कोर्ट के आदेश

यदि महिला का पूर्व पति से तलाक नहीं हुआ है और वह दूसरी शादी कर चुकी है तो विवाह अवैध होने के बाद भी उसे गुजारा भत्ता देने से इन्कार नहीं किया जा सकता है। हाई कोर्ट ने यह आदेश फतेहाबाद के एक मामले में दिया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 05 Oct 2021 08:52 PM (IST)Updated: Wed, 06 Oct 2021 07:48 AM (IST)
महिला को गुजारा भत्ता देने के मामले में हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश। सांकेतिक फोटो

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। विवाह के समय महिला का पूर्व के पति से तलाक न होने के चलते विवाह अवैध है, यह दलील देते हुए गुजारा भत्ता आदेश खारिज करने की अपील पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने खारिज कर दी। हाई कोर्ट ने कहा कि भले ही विवाह न भी हुआ हो, लेकिन साथ में संबंध में रहना पीड़िता को गुजारा भत्ता देने का आधार है।

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याची ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए फतेहाबाद फैमिली कोर्ट के 22 जुलाई 2019 के आदेश को चुनौती दी थी। याची ने बताया कि फतेहाबाद की फैमिली कोर्ट ने घरेलू हिंसा के केस में अंतरिम गुजारा भत्ता 25 हजार रुपये तय किया था। याची ने कहा कि महिला का उसका उसके पहले पति के साथ तलाक नहीं हुआ था।

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याची ने कहा कि तलाक न होने के चलते उनका विवाह हिंदू विवाह अधिनियम के तहत वैध विवाह नहीं ठहराया जा सकता था। ऐसे में गुजारा भत्ता देने का आदेश जारी नहीं किया जा सकता है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा कि विवाह की वैधता को देखना ट्रायल कोर्ट का कार्य है, लेकिन यदि विवाह अवैध भी है तो भी महिला याची के साथ एक छत के नीचे रिश्ते में रही है।

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पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि घरेलू हिंसा कानून के तहत पीड़ित महिला यदि सहमति संबंध में भी रहती है तो उस स्थिति में भी उसे अंतरिम रूप से वह गुजारा भत्ता लेने का पूरा हक है। हाई कोर्ट ने कहा कि यह कानून पीड़ित महिलाओं के हित के लिए बना हुआ है। इन टिप्पणियों के साथ ही पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने गुजारा भत्ता आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को सिरे से खारिज कर दिया।


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