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हरियाणा विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव को लेकर दूसरे विधायकों से प्रेमालाप कर रही कांग्रेस

हरियाणा में कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर दी है। नेता प्रतिपक्ष व पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के साथ-साथ दीपेंद्र हुड्डा कुलदीप बिश्नोई व अशोक अरोड़ा रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 09 Feb 2021 01:17 PM (IST)Updated: Wed, 10 Feb 2021 08:01 AM (IST)
हरियाणा विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव को लेकर दूसरे विधायकों से प्रेमालाप कर रही कांग्रेस
हरियाणा के नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा की फाइल फोटो।

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा के विपक्षी दल कांग्रेस ने मौजूदा भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के विरुद्ध विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने की पूरी तैयारी कर ली है। कांग्रेस तीन कृषि कानूनों के विरोध तथा प्रदेश की मौजूदा सरकार के प्रति लोगों के अविश्वास को आधार बनाकर सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाएगी। विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कांग्रेस की ओर से करीब 10 दिन पहले लिखित में स्पीकर को देना होगा। यह स्पीकर की मर्जी पर निर्भर करेगा कि वह कांग्रेस द्वारा दिए गए अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार करें अथवा अस्वीकार कर दें।

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विधानसभा स्पीकर द्वारा यदि कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया जाता है तो सदन में कोई भी एक विधायक खड़ा होकर अविश्वास प्रस्ताव दे सकता है, लेकिन उसके समर्थन में 18 विधायकों का होना जरूरी है। कांग्रेस सदन में यह फार्मूला अपना सकती है, लेकिन इस प्रक्रिया से आए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए स्पीकर समय देने के लिए 10 दिन का समय ले सकते हैं। इसलिए कांग्रेस की कोशिश है कि वह राज्यपाल के अभिभाषण के तुरंत बाद या उससे अगली सिटिंग में सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए।

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कांग्रेस के विधायकों की संख्या 30 है। भाजपा के 40, जजपा के 10, सात निर्दलीय और एक हरियाणा लोक हित पार्टी के विधायक सदन में मौजूद हैं। इनेलो विधायक अभय चौटाला सदन से इस्तीफा दे चुके, जबकि कालका के विधायक प्रदीप चौधरी की विधानसभा में सदस्यता रद हो चुकी है। बहुमत के लिए सरकार को 46 विधायकों की जरूरत होती है, लेकिन दो विधायक कम होने से अब उसका काम 44 विधायकों से भी चल जाएगा। भाजपा के 40 विधायकों के साथ जजपा के 10, पांच निर्दलीय और एक हलोपा विधायक गोपाल कांडा हैं, इसलिए सरकार को हालांकि बहुत ज्यादा खतरा नहीं है, लेकिन कांग्रेस इस अविश्वास प्रस्ताव के जरिये लोगों में सरकार के प्रति भरोसा नहीं होने का संदेश देना चाहती है।

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विधानसभा में आज तक आए 36 विश्वास और अविश्वास प्रस्ताव

हरियाणा विधानसभा में आज तक कुल 36 विश्वास और अविश्वास प्रस्ताव आए हैं, जिनमें से मात्र दो विश्वास प्रस्ताव पास हुए। चौधरी बंसीलाल की सरकार में विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाया था, लेकिन तब बंसीलाल की सरकार विश्वास प्रस्ताव के जरिये उसे फेस कर गई, लेकिन दूसरी बार अविश्वास प्रस्ताव आने के बाद उन्होंने सदन से इस्तीफा दे दिया था। कांग्रेस इस बार पेश किए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव को लेकर खासी गंभीर है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके विधायक राज्यपाल से मिलने का पांच बार समय मांग चुके, लेकिन उन्हें समय नहीं दिया जा रहा है। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा इस अविश्वास प्रस्ताव की रूपरेखा तैयार करने में लगे हैं। उन्हें अपनी पार्टी के गैर हुड्डा खेमे के विधायकों को अपने पक्ष में करने के साथ ही जजपा, निर्दलीय और भाजपा के कुछ असंतुष्ट विधायकों से संपर्क साधने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

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दुष्यंत चौटाला के सामने सबसे बड़ी चुनौती और दुविधा

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक अरोड़ा भी इस काम में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मदद करने में लगे हैं। कहीं न कहीं कुलदीप बिश्नोई भी चाहते हैं कि सरकार में दरार पैदा हो। दूसरी तरफ इस पूरे मामले में जजपा सबसे ज्यादा दबाव में है। भाजपा के साथ सरकार में साझीदार जजपा पर न केवल किसानों के हक में सरकार से समर्थन वापस लेकर फील्ड में उतरने का दबाव है, बल्कि जजपा सरकार के ही कुछ मंत्रियों व भाजपा नेताओं की अंदरूनी राजनीति का शिकार है। ऐसे में जजपा के सामने बड़ी चुनौती है। इसके बावजूद डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला गठबंधन धर्म निभाते हुए न केवल सरकार को अस्थिर नहीं होने दे रहे, बल्कि अपने विधायकों व किसान नेताओं के निशाने पर भी हैं। ऐसे में सदन में जजपा के विधायकों के रूख पर बहुत कुछ निर्भर रहने वाला है।

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