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साथ चलने को तैयार नहीं हरियाणा के कांग्रेस दिग्गज, खींचतान जारी

हरियाणा कांग्रेस के दिग्‍गज चुनाव करीब आने के साथ ही सक्रिय हो गए हैं, लेकिन अपनी अलग ढपली के संग अलग राग छेड़े हुए हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 03 Oct 2018 12:02 PM (IST)Updated: Wed, 03 Oct 2018 12:04 PM (IST)
साथ चलने को तैयार नहीं हरियाणा के कांग्रेस दिग्गज, खींचतान जारी
साथ चलने को तैयार नहीं हरियाणा के कांग्रेस दिग्गज, खींचतान जारी

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में चुनाव नजदीक आने के साथ ही कांग्रेसियों की गुटबाजी कम होने के बजाए बढ़  रही है। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष डॉ. अशोक तंवर, कांग्रेस विधाय‍क दल की नेता किरण चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला सहित सभी नेता अपने 'मिशन' और रणनीति के हिसाब से सक्रिय हैं। पानीपत में हल्ला बोल रैली के जरिये शक्ति प्रदर्शन करने वाले डाॅ. अशोक तंवर मजबूत होकर उभरे हैैं। दूसरी ओर, वहीं कांग्रेस हाईकमान किसी भी सूरत में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अनदेखी का रिस्क नहीं उठाना चाहता। इसलिए हुड्डा खेमे को भी पार्टी में तंवर गुट की तरह की तव्‍वजो मिल रहा है। 

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तंवर को हटाने की कोशिशें नाकाम, अब नई रणनीति बनाएंगे हुड्डा समर्थक

हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए तंवर और हुड्डा खेमे में चल रही रस्साकसी के बीच कोर कमेटी के सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला, पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा, कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी, कुलदीप बिश्नोई और कैप्टन अजय यादव ने भी अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। उम्मीद की जा रही थी कि तीन दिन पहले पंचकूला में हुए महिला अधिकार सम्मेलन में कांग्रेस के अधिकतर दिग्गज एक मंच पर दिखाई देंगे, लेकिन ऐसा हो न सका।

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पंचकूला सम्मेलन में अकेले रणदीप सुरजेवाला और हुड्डा समर्थक गीता भुक्कल ऐसे नेता थे, जो महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुमित्रा चौहान के मंच पर दिखाई दिए। सुरजेवाला, किरण चौधरी और कुलदीप बिश्नोई ने जिस सक्रियता के साथ प्रदेश में अपनी गतिविधियां बढ़ाई हैैं, उसे देखकर माना जा रहा कि कांग्रेस हाईकमान ने इन नेताओं को भी चुनावी तैयारियों में जुटने के संकेत दे रखे हैैं।

हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर अशोक तंवर लंबे समय से काबिज हैैं। उन्हें हटाने की हुड्डा खेमे की तमाम कोशिशें अभी तक रंग नहीं लाई हैैं। इसलिए हुड्डा खेमा नई रणनीति बना रहा है। तंवर आधे प्रदेश में साइकिल यात्राएं कर चुके हैैं और उन्होंने हाल ही में पानीपत में हल्ला बोल रैली के जरिये कांग्रेस हाईकमान को संदेश दिया है कि उनके नेतृत्व में पार्टी मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है। अब हुड्डा दिसंबर में जीटी रोड बेल्ट पर रैली करेंगे।

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उधर, दिल्ली में किसानों और मजदूरों पर हुए लाठीचार्ज में किसानों की पैरवी करने की जिम्मेदारी हुड्डा को सौंपी गई है, जिसका साफ मतलब है कि कांग्र्रेस हाईकमान किसी सूरत में हुड्डा को नजरअंदाज करने की स्थिति में नहीं है। कांग्रेस विधायक गीता भुक्कल के मंगलवार को दिए गए बयान के भी राजनीतिक मायने हैैं।

भुक्कल ने कहा है कि यदि अध्यक्ष पद नहीं मिला तो इसका मतलब यह नहीं है कि हुड्डा कांग्रेस की सरकार नहीं बनवा सकते। भुक्कल के इस बयान  में जहां हुड्डा की ताकत छिपी है, वहीं अशोक तंवर के पद पर बने रहने की संभावना भी नजर आ रही है। बहरहाल, कांग्रेस दिग्गजों की इस लड़ाई में कार्यकर्ता असमंजस की स्थिति में बने हुए हैैं।

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