हरियाणा भाजपा के नए अध्यक्ष की नियुक्ति में जातीय समीकरण साधने की चुनौती
हरियाणा भाजपा के नए अध्यक्ष की नियुक्ति जल्द ही होने वाली है। भाजपा के लिए इसमें जातीय समीकरण और संतुलन साधने बड़ी चुनौती बन गई है।
नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। हरियाणा में सत्तारूढ़ दल भाजपा जल्द ही अपने नए प्रदेश प्रधान की नियुक्त करेगी। भाजपा नेतृत्व के लिए इस नियुक्ति में जातीय समीकरण और संतुलन साधने की बड़ी चुनौती है। पार्टी आलाकमान राज्य में सरकार, संगठन सहित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बीच समन्वय करने के बाद ही नया अध्यक्ष घोषित करना चाहता है। अभी सुभाष बराला हरियाणा भाजपा के अध्यक्ष हैं और उनकी जगह नए प्रधान की नियुक्ति की जानी है।
नया अध्यक्ष बनाए जाने में देरी से दिल्ली में बढ़ रही है दावेदार नेताओं की सक्रियता
पार्टी नेतृत्व की तरफ से यूं तो 20 फरवरी को केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में राष्ट्रीय महामंत्री मुरलीधर राव और मंत्री सुनील देवधर ने दिल्ली हरियाणा भवन में राज्य के सांसदों व चंडीगढ़ में अन्य प्रमुख नेताओं से नए अध्यक्ष के लिए रायशुमारी भी की थी। इसकी रिपोर्ट दोनों नेता केंद्रीय नेतृत्व को सौंप चुके हैं। केंद्रीय नेतृत्व के पास यह रिपोर्ट पहुंचे भी अब 20 दिन हो गए हैं।
ऐसे में अभी तक तो अध्यक्ष पद के दावेदार राज्यसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी चयन का इंतजार कर रहे थे मगर अब इनके सब्र का बांध टूट गया है। पिछले तीन दिनों से इन नेताओं ने दिल्ली में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। अध्यक्ष पद के दावेदार नेता भी संगठन में हो रही नित्य नई चर्चा से खासे परेशान हैं।
राज्यसभा चुनाव में पिछड़ा और दलित वर्ग को पार्टी का टिकट देने के बाद हरियाणा भाजपा के नए अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर सस्पेंस गहरा गया है। राज्यसभा चुनाव के बाद प्रदेश अध्यक्ष पद पर अब पिछड़ा वर्ग के नेता की नियुक्ति की संभावना काफरी कम है। राज्यसभा में पार्टी ने पिछड़ा वर्ग के नेता को नियमित सीट पर छह साल के लिए भेजा है। जाट नेता इस समय सरकार में चार अहम पदों पर हैं। इसके अलावा पराजित नेताओं को केंद्रीय नेतृत्व मुख्य धारा में नहीं लाना चाहता।
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संघ के सुझावों पर भी करना होगा अमल
असल में हरियाणा भाजपा के प्रमुख नेता चाहते हैं कि राज्य इकाई का अध्यक्ष मुख्यमंत्री मनोहर लाल की विचारधारा के अनुरूप हो। ताकि संगठन और सरकार के कामकाज में कोई बाधा उत्पन्न न हो मगर केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष इस बार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की तरफ से भी कुछ सुझाव गए हैं।
इन सुझावों में यह भी कहा गया है कि मुख्यमंत्री के अनुरूप किसी नेता को अध्यक्ष पद पर बैठाने की बजाए किसी सर्वमान्य नेता का चयन करना होगा। इसलिए केंद्रीय नेतृत्व चाहता है कि राज्य भाजपा अध्यक्ष पद पर एक ऐसे नेता का नाम सामने आए जिस पर संघ, संगठन और राज्य सरकार के मुखिया की तरफ से तुरंत स्वीकृति मिल जाए। इस क्रम में कुछ नेताओं के नाम पर दोबारा भी चर्चा हो चुकी है।
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सरकार और संगठन में बेहतर समन्वय जरूरी
बेशक दिल्ली में भाजपा के नेता चाहते हैं कि हरियाणा इकाई का अध्यक्ष सरकार के साये से बाहर का हो लेकिन इसका पार्टी की प्रदेश इकाई के प्रमुख नेता काफी विरोध कर रहे हैं। इन नेताओं का कहना है कि पिछले पांच साल में राज्य में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में सरकार तभी कामयाब हो सकी है जब संगठन में उनके अनुरूप नेता थे। इसलिए इस बार चूंकि सरकार गठबंधन दल के सहारे चल रही है तब संगठन का मुखिया सरकार के मुखिया के अनुरूप ही होना चाहिए।
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